Home गेस्ट ब्लॉग IGIMS : मजदूरों के हक और अधिकार की लड़ाई का एकमात्र रास्ता हथियारबंद संघर्ष ही बच गया है ?

IGIMS : मजदूरों के हक और अधिकार की लड़ाई का एकमात्र रास्ता हथियारबंद संघर्ष ही बच गया है ?

0 second read
0
2
331

70 के दशक में ‘नक्सलबाड़ी एक ही रास्ता’ का नारा बुलंद कर हथियारबंद संघर्ष का आह्वान करने वाले चारु मजुमदार समेत 20 हजार बंगाली युवाओं को मौत की नींद सुलाने के बाद भारतीय शासक वर्ग ने सोचा था कि उसने नक्सलबाड़ी को खत्म कर दिया है. लेकिन  नक्सलबाड़ी की अनुगूंज ‘नक्सलबाड़ी एक ही रास्ता’ बंगाल से निकलकर समूचे भारत में फैलकर माओवादी आंदोलन का स्वरूप ग्रहणकर भारत सरकार के सीधी चुनौती पेश कर रही है.

जिस वक्त ‘नक्सलबाड़ी एक ही रास्ता’ का नारा बुलंदकर देश के किसानों ने देश में सशस्त्र संघर्ष का रास्ता चुना था, तब देश में आंदोलन के अन्य रास्ते भी थे, मसलन, चुनाव लड़ना, कानूनी प्रक्रिया, शांतिपूर्ण जनान्दोलन बगैरह. परन्तु, आज जब न्यायालय और शांतिपूर्ण आन्दोलन लगातार बेमानी होते जा रहे हैं, शांतिपूर्ण आंदोलन पर माफिया गिरोह का सीधा हमला बकायदा पुलिस संरक्षण में हो रहा है, तब क्या यह सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए कि क्या अब हथियारबंद आंदोलन ही एकमात्र विकल्प बच गया है ? शांतिपूर्ण आंदोलन की अब कोई भी जगह इस देश में बच नहीं गया है ?

हम बात कर रहे हैं मौजूदा वक्त में पूर्णतः शांतिपूर्ण आंदोलन के जरिए अपनी मांगों को आईजीआईएमएस के प्रशासनिक अधिकारियों व सत्ता की गलियारों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हजारों आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के शांतिपूर्ण आंदोलन पर माफिया सरगना मनीष मंडल का कायराना हमला और मजदूर नेता अविनाश कुमार समेत आधे दर्जन से अधिक अन्य आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को झूठे मुकदमों में फंसाकर बर्बाद कर देने की घृणास्पद कोशिश.

 

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…