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IGIMS के मजदूर नेता अविनाश कुमार पर जानलेवा हमला करवाने वाला दरिंदा मनीष मंडल को गिरफ्तार करो !

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IGIMS के मजदूर नेता अविनाश कुमार पर जानलेवा हमला करवाने वाला दरिंदा मनीष मंडल को गिरफ्तार करो !
मीडिया को सम्बोधित करते मजदूर नेता अविनाश कुमार

देशभर में रोजगार के नाम पर बंधुआ मजदूर बनाकर रख दिये गये आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को न तो सरकार और न ही उसके अधिकारी मनुष्य समझते हैं. पटना स्थित आईजीआईएमएस में कार्यरत डेढ़ हजार से अधिक आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की यह नियति बन गई है. लेकिन मजदूर नेता अविनाश कुमार के शानदार नेतृत्व में आईजीआईएमएस के आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों ने एकजुट होकर आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के साथ हो रहे अमानवीय कृत्य के खिलाफ आवाज बुलंद किया. इसका परिणाम आज यह हुआ कि गिद्ध की तरह आईजीआईएमएस पर अपना खूनी पंजा गड़ाये चिकित्सा अधीक्षक के पद पर तैनात मनीष मंडल ने अपने गुंडा गिरोह के द्वारा जानलेवा हमला कराया.

विदित हो कि IGIMS के आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के वेतन महज 13 हजार रुपये हैं, जो न्यूनतम जीने लायक मजदूरी से भी कम है.  यही कारण है ये तमाम कर्मचारी अविनाश कुमार के नेतृत्व में लगातार अपनी मांगों को विभिन्न पदाधिकारियों के समक्ष पत्राचार द्वारा उठाते रहे हैं, लेकिन आऊटसोर्सिंग कम्पनियों से करोडों का घूस खाने वाले नराधम मनीष मंडल आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को तबाह करने पर उतारु है.

पहले तो इस नराधम खूंखार दरिंदा चिकित्सा अधीक्षक मनीष मंडल ने आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को डराने-धमकाने का कुकृत्य किया लेकिन जब आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों ने अपने न्यायोचित मांगों से पीछे हटने से इंकार कर दिया तब तत्काल तो मनीष मंडल ने उनके मांगों के साथ मानवीय सहानुभूति दिखाने का नाटक किया. इस बीच इस कुख्यात नराधम मनीष मंडल ने नवपदस्थापित निदेशक, जो आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की मांगों के साथ सहानुभूति रखते थे, सुत्रों से ज्ञात खबर के अनुसार, उन्हें डराने-धमकाने लगा, और अपनी ऊंची पैरवी का इस्तेमाल कर उन्हें आईजीआईएमएस से इस्तीफा देकर भागने पर विवश कर दिया.

शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर मनीष मंडल गुंडा गिरोह का हमला

आईजीआईएमएस से निदेशक को भगाने के बाद इस नराधम मनीष मंडल ने मजदूर नेता अविनाश कुमार को निशाने पर ले लिया, और अचानक 25 जुलाई को इस नराधम मनीष मंडल ने अविनाश कुमार को नौकरी से निकालने का आदेश जारी कर दिया. ऐसे में आक्रोशित आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों ने बकायदा सूचना देकर आज शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आयोजन किया. शांतिपूर्ण जारी इस आंदोलन के बीच ही मनीष मंडल का बेटा अन्य गुंडा गिरोह को लेकर अविनाश कुमार पर पत्रकारों के सामने ही हमला बोल दिया और बुरी तरह मारपीट करते हुए इस खूंखार नराधम मनीष मंडल के दफ्तर की ओर ले भागा.

उपरोक्त मीडिया सम्बोधन के तुरंत बाद ही अविनाश कुमार पर हमला किया गया. मैं स्वयं वहां मौजूद था और इस अचानक अप्रत्याशित इस घटना से हतप्रभ था. मौके पर मौजूद लोग व खुद पत्रकार भी भौचक्के रह गये. आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों का प्रदर्शन जो लगभग समाप्ति पर था, उसी वक्त मनीष मंडल का भेजा यह गुंडा गिरोह शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों पर ‘ईंटा फेंका है, ईंटा फेका है’ का झूठा हल्ला करते हुए टुट पड़ा और मजदूर नेता अविनाश कुमार पर लात और घूंसे बरसाने पड़ा. इसके साथ ही यह गुंडा गिरोह धमकी दे रहा था कि ‘कोई भी कैमरा नहीं चलायेगा. वरना उसे यही मार डाला जायेगा.’ मजदूर नेता अविनाश कुमार पर मनीष मंडल गुंडा गिरोह के इस अप्रत्याशित हमला का संस्थान में लगाये गये सीसीटीवी फुटेज रिकार्डिंग को भी डिलीट करवाये जाने की भी सूचना है ताकि सबूतों को नष्ट किया जा सके.

मनीष मंडल का यह गुंडा गिरोह मजदूर नेता अविनाश कुमार को बुरी तरह मारते हुए कहीं ले कर चला गया. हम पत्रकारों का एक समूह भी पीछे पीछे जाने का प्रयास किया लेकिन जाने नहीं दिया गया. थोड़ी देर बाद जब हम पत्रकार समूह अन्य कर्मचारियों की मदद से मजदूर नेता अविनाश कुमार को खोजने का प्रयास किये तो पता नहीं चल सका. ऐसे में किसी अनहोनी की आशंका से परेशान एक पत्रकार ने फौरन पटना पुलिस अधीक्षक को फोन पर जानकारी दिया और पुलिस अधीक्षक के हरकत में आने पर स्थानीय आईजीआईएमएस थाना ने अविनाश कुमार को चिकित्सा अधीक्षक मनीष मंडल के कार्यालय से छुड़ाकर बाहर लाये.

मजदूर नेता अविनाश ने क्या बताया

मजदूर नेता अविनाश कुमार ने थाना प्रभारी को लिखे अपने आवेदन में साफ तौर पर जिक्र किया है कि मनीष मंडल ने बुरी तरह घायल अविनाश कुमार को कहा कि ‘अभी मैं चाहूं तो तुझे जिन्दा जलबा दूं. अभी तुम्हारी कम पिटाई हुई है.’ फिर बिना प्राथमिक उपचार के ही थाना के हवाले कर दिया. अपने.आवेदन में मजदूर नेता अविनाश के साफतौर पर कहा है कि ‘यदि मेरे या मेरे परिवार के साथ किसी भी प्रकार की कोई अप्रिय घटना घटती है तो इसका जिम्मेदार सीधे तौर पर चिकित्सा अधीक्षक-1 मनीष मंडल होगा.’ 

अपने आवेदन में मजदूर नेता ने आशंका जाहिर करते हुए लिखा है कि मारपीट की इस घटना में मनीष मंडल का बेटा और उसके गिरोह के लोग शामिल है. अविनाश कुमार ने खुद को पुनः कार्य करने और पूरी सुरक्षा देने की मांग प्रशासनिक अधिकारी से की है.

नराधम मनीष मंडल बड़े पैमाने पर आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को निकालना चाहता क्या है, क्यों ?

आईजीआईएमएस में चिकित्सा अधीक्षक के पद पर कुंडली मारकर बैठा यह नराधम मनीष मंडल आऊटसोर्सिंग पर काम कर रहे कर्मचारियों को बड़े पैमाने पर निकाल बाहर करना चाहता है क्योंकि इससे जो जगह खाली होगा उस जगह पर 50 हजार से एक लाख रुपये लेकर दूसरे लोगों को बहाल करेगा, जिससे करोडों की अवैध उगाही हो सकेगी. इस करोड़ों रुपये की उगाही करने के चक्कर में यह नराधम मनीष मंडल आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों पर लगातार बंदिशें बढ़ाता जा रहा है ताकि या तो तंग आकर कर्मचारी खुद इस्तीफा देकर भाग जाये या विरोध करने पर निकाल बाहर किया जा सके.

अभी की खबर है कि मजदूर नेता अविनाश कुमार के अवैध निष्कासन के विरोध में उतरे सैंकड़ों आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की हाजिरी खुद मनीष मंडल ने काट दिया है. इसके साथ ही उसने सैकड़ों की तादाद में मौजूदा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल कर हजारों लाखों रुपये लेकर उस जगह पर नये कर्मचारियों को बहाल करने का योजना बना रहा है. मनीष मंडल के इस नापाक मंसूबों के खिलाफ चट्टान की तरह अड़े थे मजदूर नेता अविनाश कुमार. यह निश्चित है कि यदि अविनाश कुमार को मनीष मंडल इस संस्थान से निकालने में मनीष मंडल सफल हो जाता है तो हजारों की तादाद में आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को यह मनीष मंडल नौकरी से निकाल बाहर करेगा. 

नराधम मनीष मंडल की ‘फूट डालो राज करो’ की अंग्रेज नीति

इस नराधम मनीष मंडल ने आईजीआईएमएस के ऊपर गिद्ध की भांति जिस तरह बैठा हुआ है और निदेशक से लेकर मामूली कर्मचारियों को ही नहीं अपितु ईलाज कराने आये मरीजों और उसके परिजनों पर जिस तरह खूंखार भेड़िया की तरह टुट पड़ता है, उसमें इसकी सफल ‘फूट डालो, राज करो’ की नीति बेहद काम आ रही है. यह हैवान मनीष मंडल अधिकारियों के खिलाफ कर्मचारियों को ललकारता है, कर्मचारियों के खिलाफ छात्रों को, फिर छात्रों के खिलाफ कर्मचारियों को, मरीजों और उसके परिजनों के खिलाफ सुरक्षाकर्मियों को ललकारता है.

इस नराधम मनीष मंडल की यह नीति इतनी सफल है कि एक और वह निदेशक को जान से मारने की धमकी देकर मूंह बंद रखने या संस्थान छोड़कर भागने के लिए मजबूर करता है तो वहीं दूसरी ओर अन्य अधिकारियों को भी आतंकित किये रहता है. परिणामस्वरूप कोई भी इसके खूंखार नराधम के खिलाफ मूंह खोलने से डरता है. सवाल है आखिर यह हैवान अपने आतंक के बल पर कब तक इस संस्थान को लूटता रहेगा और लोग मूंह बंद किये रहेंगे ? हम समझते हैं कि वह वक्त भी जल्द ही आयेगा जब इस शैतान के जबरे पर अंकुश लगेगा और इसको इसके कुकर्मों का दण्ड मिलेगा.

प्रसिद्धि का भूखा है यह नराधम दरिंदा मनीष मंडल

नराधम दरिंदा मनीष मंडल

प्रसिद्धि पाने का सबसे शॉर्ट कट तरीका है पत्रकारों को लालच देकर अपनी प्रशंसा के पूल बांधना. इस नराधम ने इसी तरीके को अपनाया है. यही कारण है कि इस नराधम का बयान लगातार मीडिया में छाया रहता है. इसका मानना है कि मीडिया उसके जेब में रहता है. इसी जेब की मीडिया का इस्तेमाल करते हुए इस नराधम ने विगत दिनों एक वेव पोर्टल पर न्यूज छपवाया था – ‘गरीबों का मसीहा मनीष मंडल.’गरीबों का मसीहा मनीष मंडल.’ 

गरीबों का यह मसीहा अपने दो-दो पदों का लाभ उठाकर महीने का 3 लाख रुपये वेतन का उठाता है जबकि इसके अन्य लूट-खसोट का कारोबार कितना का है यह तो जांच से ही पता चलेगा, और इसकी तो जांच होने से रही क्योंकि इस नराधम का साफ कहना है कि देश का प्रधानमंत्री कार्यालय, सुप्रीम कोर्ट उसके नाना का है और वह जो कहेगा वही होगा.

3 लाख महीना कमाने वाला यह दरिंदा मनीष मंडल ‘मसीहा’ बनकर 13 हजार कमाने वाले मजदूरों का खून पी रहा है. और अब  अविनाश कुमार झा को नौकरी से निकालने का आदेश जारी किया है क्योंकि बतौर मनीष मंडल अविनाश कुमार झा धरना-प्रर्दशन कर रहे हैं. धरना-प्रदर्शन करना इस देश में कब असंवैधानिक हो गया है ??

बिहार सरकार को आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के जीवन को नरक बनाने वाले चिकित्सा अधीक्षक मनीष मंडल को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर गिरफ्तार किया जाये, अन्यथा, यह खूनी दरिंदा आईजीआईएमएस को खून के दरिया में डूबो देगा. वहीं आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाये और मजदूर नेता अविनाश कुमार को अविलंब कार्य पर वापस आने का आदेश जारी किया जाये. अन्यथा, मजदूरों के  आक्रोश का विस्फोट कहीं इस सत्ता को ही न निगल जाये.

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