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अफवाहबाज जी-न्यूज एंकर पर कांग्रेस की आक्रामकता बेहतर संकेत है

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अफवाहबाज जी-न्यूज एंकर पर कांग्रेस की आक्रामकता बेहतर संकेत है
अफवाहबाज जी-न्यूज एंकर पर कांग्रेस की आक्रामकता बेहतर संकेत है

‘जी न्यूज’ के एंकर रोहित रंजन को नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. यह गिरफ्तारी इसलिए हुई क्योंकि आज सुबह ही छत्तीसगढ़ की रायपुर पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची थी. दरअसल राहुल गांधी के बयान को तोड़ने-मरोड़ने पर रोहित पर छत्तीसगढ़-राजस्थान में केस दर्ज हुए हैं. दूसरे राज्य की पुलिस उन्हे अपने स्टेट लेकर के न चली जाए इसलिए नोएडा पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर अपने पास जमा कर लिया है, नहीं तो कल तक इस बात की कोई सूचना नहीं थी कि नोएडा पुलिस रोहित रंजन को गिरफ्तार करने वाली है.

बहुत से लोगों को यह जानकारी ही नहीं होगी कि यह मामला क्या है ? दरअसल ‘जी न्यूज’ के प्राइम टाइम प्रोग्राम डीएनए को आजकल रोहित रंजन होस्ट कर रहे हैं. 2 जुलाई को डीएनए में रोहित रंजन ने एक झूठी खबर चलाई थी कि राहुल गांधी ने उदयपुर कांड के अपराधियों को बच्चा कहा है. दरअसल राहुल गांधी ने वायनाड में अपने दफ़्तर पर हुए हमले के लिए आरोपित कुछ कार्यकर्ताओं के बारे में ऐसा कहा था. लेकिन जी न्यूज़ ने इसे राहुल गांधी का उदयपुर कांड के सन्दर्भ में दिया वक्तव्य बता दिया.

अगले दिन जब यह वीडियो सोशल मीडिया के जरीए सामने आया तो बहुत हंगामा मचा क्योंकि यह खुल्लेआम बोला गया सफेद झूठ था और इस ख़बर को बहुत से बीजेपी के नेता और मंत्री ट्वीट भी कर चुके थे और गोदी मीडिया से जुड़े कई पत्रकार भी इसे आगे बढ़ा रहे थे.

‘जी न्यूज’ ने इस मुद्दे पर माफ़ी मांगकर बात को दबाना चाहा लेकिन इस बार कांग्रेस आक्रामक रुख अपना चुकी थी. कांग्रेस ने इस मामले में कुल 6 राज्यों में पुलिस शिकायत दर्ज करवाई और इसी के लिए आज सुबह रोहित रंजन को गिरफ्तार करने छत्तीसगढ पुलिस पुहंची.

बहुत से लोग यहां ये तर्क देंगे कि माफ़ी तो मांग ली अब गिरफ्तारी क्यों कर रहे हो ? लेकिन क्या माफ़ी मांगने से बात खत्म हो जाती है ? ऐसी ही फेक न्यूज फैलाकर आपने एक नेता को पप्पू साबित कर दिया. आज भी आलू से सोना बनाने वाला बयान उन्हें पप्पू साबित कराने के लिए वायरल कराया जाता है.

इस सन्दर्भ में 2018 में गृह मंत्री अमित शाह का एक बयान आपको जरूर सुनना और समझना चाहिए जो उन्होंने राजस्थान के कोटा में पार्टी कार्यकर्ताओं, शक्ति केंद्र कार्यकर्ताओं और सोशल मीडिया वॉलिंटियर्स को संबोधित करते हुए दिया था. उन्होंने कहा था कि ‘हम जो चाहें वो संदेश जनता तक पहुंचा सकते हैं, चाहे खट्टा हो या मीठा हो, चाहे सच्चा हो या झूठा हो.’

अमित शाह ने आगे उदाहरण देते हुए कहा यूपी चुनाव (2017) के वक्त एक कार्यकर्ता ने व्हाट्सअप पर एक संदेश पोस्ट कर दिया कि अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव को चांटा मारा. उन्होंने कहा, ‘यह बात सच नहीं थी लेकिन वो संदेश नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे तक वायरल हो गया. मुझे लोगों के फोन आने लगे और कहने लगे कि उनकी पार्टी से लेकर जनता तक ये बात फैली है कि जो अपने बाप का ना हुआ वो हमारा क्या होगा ?’

अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को चेतावनी दी कि ऐसा नहीं करना है, यह गलत है लेकिन उन्होंने जिस अंदाज में यह बात कही है वह देखने लायक है. उनका बात का मतलब यह साफ दिख रहा था कि यदि झूठ भी वायरल करना पड़े तो बिलकुल कर देना चाहिए. ‘जी न्यूज’ के एंकर की गिरफ्तारी बिल्कुल उचित है. जब तक ऐसे लोगों को गिरफ्तार कर जेल में नहीं डाला जायेगा, ये सुधरने वाले नहीं हैं.

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ये ‘जी’ का उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का चैनल है, जो सुबह से नौटंकी किया है कि ‘लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला’, ‘जहां सोनिया सरकार, वहां से अत्याचार’. लेकिन ये नहीं बता रहा है कि क्यों ऐसी नौबत आई ? जब इन्होंने एकदम एजेंडे के साथ किसी शख्स को सुनियोजित तरीके से बदनाम किया, तब तो नहीं सोचा.

‘जी’ के उस शो के बाद अगर राहुल के साथ कुछ हो जाता या आक्रोशित भीड़ अगर कुछ कर देती तो क्या ‘जी’ उसकी जिम्मेदारी लेता ? जानबूझकर किसी को बदनाम करो फिर उसे मानवीय भूल बताओ, अरे वो भूल नहीं तुम्हारी मानसिक गुलामी का नतीजा था.

पत्रकार की गिरफ्तारी का विरोध हम भी करते हैं लेकिन मामला ये है कि एजेंडा चलाने वाले पत्रकार कहलाने का हक नहीं रखते. सरकार के चरणों में बिछ जाने वाले लोकतंत्र का चौथा खंभा होने का अधिकार नहीं रखते.

ना जाने कितने मासूम बेघर हो गए, ना जाने कितनी महिलाएं, बुजूर्ग सरकार की तानाशाही के कारण सड़क पर आ गए, कोरोना में लाखों की मौत हो गई, उनके परिवार कैसे जी रहे हैं, कोरोना में ना जाने कितने बेरोजगार हो गए इस पर आजतक एक बार भी बात नहीं की, हमेशा सरकार के कदमों में साष्टांग दंडवत होकर सरकार का एजेंडा चलाने वालों, तुम लोग पत्रकार नहीं हो और तुम्हारी गिरफ्तारी को पत्रकारों की गिरफ्तारी बताने वाले लोग नासमझ हैं.

जब तुमने सिद्दकी कप्पन और जुबैर जैसे तमाम पत्रकारों को आतंकी, देशद्रोही कहा था तब भी सोचना चाहिए था कि तुम्हारा नंबर भी आ सकता है इसलिए अब भुगतो !

  • गिरीश मालवीय एवं आकाश कुमार

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