राहुल गांधी की तुलना में नरेन्द्र मोदी हर बार टुच्चे मूर्ख साबित हुए हैं, इसके बावजूद आज तक नफरती चैनल्स के जरिए राहुल गांधी के खिलाफ एक माहौल बनाया जा रहा है. अब एक बार फिर राहुल गांधी के एक बयान को तोड़कर कहीं और जोड़कर इन नफरती चैनल्स ने राहुल गांधी के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की है,
गिरीश मालवीय
भारत का बिका हुआ मीडिया अपने हरामीपन से कभी भी बाज नहीं आएगा. यह कल की क्लिपिंग ‘जी न्यूज़’ का प्राइम टाइम प्रोग्राम DNA की है. नया एंकर जो आया है वो झूठ फैलाने में सुधीर चौधरी का भी बाप है. कल इस एंकर ने राहुल गांधी का एक वीडियो चलाते हुए कहा कि उन्होंने उदयपुर हत्याकांड के आरोपियों को ‘बच्चा’ कहा है. चैनल ने इसे ट्वीट भी किया.
जबकि यह बयान राहुल गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड में कांग्रेस दफ्तर पर हमला करने वालों के संदर्भ में दिया था. हमलावरों को लेकर पूछे जाने पर राहुल गांधी ने हिंसा का जवाब अहिंसा से देते हुए कहा कि ‘मैं उन्हें बच्चा समझता हूं.’ उन्होंने कहा कि, ‘जिन लड़कों ने उनके ऑफिस में तोड़-फोड़ की वो बच्चे हैं. ये अच्छा नहीं है, लड़कों ने गैर-ज़िम्मेदाराना हरकत की है.’
अभी खबर आई है कि जी न्यूज ने ऐसा वीडियो चलाने पर माफ़ी मांगी है, लेकिन अब माफी से क्या होगा. ऐसे ही आलू से सोना बनाने वाला वीडियो था.
कल हमारे शो DNA में राहुल गांधी का बयान उदयपुर की घटना से जोड़ कर ग़लत संदर्भ में चल गया था, ये एक मानवीय भूल थी जिसके लिए हमारी टीम क्षमाप्रार्थी हैं, हम इसके लिए खेद जताते हैं pic.twitter.com/YGs7kfbKKi
— Rohit Ranjan (@irohitr) July 2, 2022
कृष्ण कांत लिखते हैं –
अमेरिकी थिंक टैंक RAND Corporation ने कहा है कि टेक्नोलॉजी और पॉलिसी के क्षेत्र में राहुल गांधी आज दक्षिण एशिया में सबसे अपडेटेड और जागरूक नेता हैं लेकिन भारत का मीडिया और भारत की जनता में उनकी छवि क्या है ? राहुल गांधी को जो लोग नजदीक से जानते हैं, वे उनके मुरीद हैं, लेकिन जनता के बीच राहुल गांधी की छवि इसके उलट क्यों है ?
यह वॉट्सएप विषविद्यालय का कमाल है. पिछले दस साल से संघी ब्रिगेड राहुल गांधी को बदनाम करने का अभियान चला रही है. मोदी सरकार, आरएसएस, भाजपा और इनका खरीदा हुआ गोदी मीडिया, सब मिलकर राहुल गांधी को बदनाम करने का महाअभियान चलाने में लगे हैं.
दो दिन पहले ही ‘जी-न्यूज’ ने राहुल गांधी के बयान को आपराधिक तरीके से तोड़कर प्रसारित किया. राहुल गांधी ने तो अपने दफ्तर में तोड़फोड़ करने वालों को बच्चा कहकर बड़ा दिल दिखाया और उन्हें माफ करने की बात की लेकिन जीन्यूज ने उसे उदयपुर की घटना से जोड़ दिया और कहा कि राहुल गांधी आतंकवादियों के साथ खड़े हैं. पकड़े गये तो माफी मांग ली.
कुछ महीने पहले नाविका कुमार ने राहुल गांधी को ऑन-एयर गाली बक दी थी, फिर मांफी मांग ली. ये दोनों माफियां अपवाद हैं. बाकी मीडिया राहुल गांधी के खिलाफ वॉट्सएप फॉरवर्ड तक छाप कर उन्हें बदनाम करने की कोशिश करता रहा है.
कल जब दिल्ली में राहुल के खिलाफ झूठी खबरें फैलाने का अभियान चल रहा था, तब वे केरल में जनसंपर्क कर रहे थे. इस दौरान सड़क हादसे का शिकार हुए एक व्यक्ति को उन्होंने अपने काफिले की एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया. यह भाजपा और कांग्रेस का फर्क है कि भाजपा सत्ता में होकर उन्हें बदनाम करने का अभियान चला रही है और वे इसकी चिंता किए बिना अपना काम कर रहे हैं.
पिछले आठ साल से गोदी मीडिया और आईटी सेल की भारी भरकम फौज यही करने में लगी है. अरबों रुपये इस देश की जनता की भलाई के लिए नहीं, राहुल गांधी को बदनाम करने के लिए खर्च हो रहे हैं. जानकार लोग बताते हैं कि बदले की भावना और परसंताप से ग्रस्त मोदी सरकार राहुल गांधी को बदनाम करने के लिए अरबों-खरबों रुपये खर्च करती है. बड़े बड़े पत्रकारों को बटोरकर बना आईटी सेल मुफ्त में नहीं चलता, महीने का करोड़ों का बजट है.
भाजपा ऐसा क्यों कर रही है ? क्योंकि वह सच की ताकत से डरती है क्योंकि वह राहुल गांधी की मकबूलियत से डरती है, क्योंकि वह मजबूत विपक्ष और लोकतंत्र से डरती है. भाजपा, कांग्रेस की जनहितकारी नीतियों का मुकाबला नहीं कर सकती, वह डूबती अर्थव्यवस्था नहीं बचा सकती, वह रोजगार नहीं दे सकती, वह महंगाई नहीं रोक सकती, वह किसानों, जवानों और गरीबों का भला नहीं कर सकती. इसलिए वह कांग्रेस नेताओं को बदनाम करती है. आप सोचिएगा कि भाजपा की इस घटिया राजनीति से किसका फायदा है ?
सबसे पहले तो इन जहरीली डिबेट पर लगाम लगाइए. न ऐसी घटिया डिबेट आयोजित करवाते न्यूज़ चैनल, न यह सब हुआ होता, जिसके जो मन में आता है यहां बक कर चला जाता हैं. और एंकर ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे वे स्वयं सत्ताधारी दल के प्रवक्ता हो. हमने सैकड़ों बार देखा है कि एंकर अपनी आवाज तेज रखने के लिए विपक्षी दल के प्रवक्ता का माइक म्यूट कर देते हैं, क्या उस बहस में नुपुर शर्मा का माइक म्यूट नहीं किया जा सकता था ?
किया जा सकता था ! बिल्कुल किया जा सकता था लेकिन नही किया गया इसलिए नहीं किया गया क्योंकि उस वक्त हर चैनल पर ऐसी बहस आयोजित ही इसलिए की जा रही थी कि नफरत फैलाई जा सके, ध्रुवीकरण किया जा सके, और नुपुर शर्मा के इस बयान से न्यूज़ चैनल अपने उद्देश्य में कामयाब रहे.
कल मिलोर्ड ने नुपुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यूज चैनलों में होने वाले बहस पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा, ‘दिल्ली पुलिस ने क्या किया ? हमें मुंह खोलने पर मजबूर मत कीजिए. टीवी डिबेट किस बारे में थी ? इससे केवल एक एजेंडा सेट किया जा रहा था. उन्होंने ऐसा मुद्दा क्यों चुना, जिस पर अदालत में केस चल रहा है.’
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ‘नुपुर शर्मा के लिए रेड कारपेट बिछाया जा रहा है.’ लेकिन असली रेड कार्पेट तो नाविका कुमार के लिए बिछाया गया था. क्या उन्हे सिर्फ इसलिए छोड़ दिया गया क्योंकि वे प्रधानमन्त्री मोदी का इंटरव्यू ले चुकी है ? उनके पीएम से घनिष्ठ संबंध है ? आप बताइए कि कोर्ट ने नाविका कुमार को क्यों छोड़ दिया ?
दो साल पहले सुदर्शन न्यूज चैनल ने एक बहस आयोजित की थी, जिसमें यूपीएससी में मुस्लिमों के घुसपैठ पर चर्चा की जानी थी. सुप्रीम कोर्ट में इस कार्यक्रम के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि ‘कुछ मीडिया ग्रुप के प्रोग्राम में आयोजित होने वाली डिबेट चिंता का विषय है. इन डिबेट में हर तरह की ऐसी बातें होती है जो मानहानि वाले हैं.’
जस्टिस के. ए. जोसेफ ने इस दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रोग्राम को देखिये कैसा उन्माद पैदा करने वाली बात कही जा रही है कि एक समुदाय विशेष के लोग सिविल सर्विसेज में प्रवेश कर रहे हैं. प्रोग्राम में कहा जा रहा है कि एक समुदाय विशेष के लोग घुसपैठ कर रहे हैं और ये बयान उकसाने वाला है. जस्टिस जोसेफ ने टिप्प्णी की थी कि जिस तरह से न्यूज चैनल में डिबेट हो रहा है डिबेट में एंकर के रोल को देखने की जरूरत है.
एक अन्य मामले में उच्चतम न्यायालय ने अमीश देवगन के खिलाफ दर्ज एफआईआर के मामले में और स्पष्ट किया था कि किसी डिबेट शो में एंकर समान सह-प्रतिभागी के तौर पर चल रही बहस में भाग लेगा और ऐन्गिल्ड बहस कराएगा तो उसके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई हो सकेगी. ऐसा एंकर संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में बच नहीं सकेगा.
जब सुप्रीम कोर्ट ऐसे निर्णय दे चुका है तो आज इस मामले में नाविका कुमार की भूमिका को क्यों नज़र अंदाज किया जा रहा है ? देश के माहौल में जहर घोलने का काम तो ये न्यूज़ चैनल्स और ऐसी डिबेट के एंकर कर रहे हैं ये बात क्यों भूल रहे हैं ?
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