Home गेस्ट ब्लॉग अधिकतर इस्लामिक देशों में अल्पसंख्यकों की ये दुर्दशा क्यों है ?

अधिकतर इस्लामिक देशों में अल्पसंख्यकों की ये दुर्दशा क्यों है ?

4 second read
0
0
415

1970 के आसपास अफगानिस्तान में लगभग 100000 (एक लाख) से अधिक सिख और 280000 (दो लाख अस्सी हज़ार) हिन्दू रहते थे, आज 2022 में वहां सिर्फ़ 159 सिख और हिन्दू बचे हैं. जिनमें से एक 140 सिख हैं और बाक़ी 19 हिन्दू. बौद्ध अब वहां हैं ही नहीं, लगभग 4 करोड़ की कुल अफ़गानिस्तानी आबादी में ये है अल्पसंख्यकों की आबादी – कुल 156. ये आबादी कैसे ख़त्म हो गयी, इस पर कोई बात नहीं करता है. खासकर मुसलमान भाई तो बिलकुल भी नहीं.

कारगिल जैसे सुदूर और बीहड़ इलाक़ों में हमेशा सीधे-साधे बौद्ध धर्म को मानने वाले रहते आये हैं, मगर धीरे-धीरे सरहद पार से आये इस्लामिक धर्म प्रवर्तकों ने आज वहां की 77% आबादी मुस्लिम बना दी है, जिनमें 65% शिया मुसलमान हैं बाक़ी सब सुन्नी. बौद्ध 14% बचे हैं और हिन्दू 8%. अब समस्या ये है कि कारगिल में एक गोम्पा (बौद्ध मंदिर) है जो बहुत ही पुराना है. अब हालात ये हो गए हैं वहां कि बौद्ध अपने उस पुराने मठ में पूजा अर्चना नहीं कर सकते हैं.

बौद्ध समुदाय उस गोम्पा का पुनर्निर्माण और मरम्मत करना चाहते थे जिसकी इजाज़त वहां का मुस्लिम बाहुल्य समुदाय नहीं दे रहा है. आजकल वहां इस बात को लेकर बहुत तनाव का माहौल है. ये सब ऐसे ही धीरे-धीरे होता है और ऐसा होता है कि न तो दुनिया जान पाती है, और न ही वो इसके बारे में बात करती है. पचास सालों में तीन लाख से घटकर कोई आबादी सिर्फ़ 19 हो जाती है मगर इतनी बड़ी समस्या पर न कोई कुवैत बोलता है और न ही कोई अन्य देश. हां क़तर नुपुर शर्मा को फांसी पर लटकाने के लिए बावला हुआ जा रहा है.

और आगे का हाल ये है कि अब चार करोड़ अफ़गानी मुसलामानों के बीच सिर्फ़ 140 सिख अफ़गानिस्तान में नहीं रह सकते हैं. क़ाबुल में सिखों के गुरुद्वारे पर तीन दिन पहले हमला हुआ और भारत सरकार ने आनान-फ़ानन में सभी सिखों और हिन्दुओं को वीज़ा दिया है ताकि उन सबको भारत में सुरक्षित रखा जा सके. एक भी सिख को पाकिस्तान नहीं बुलाता है, एक भी हिन्दू को वो नहीं बुलाएगा. एक भी सिख को क़तर नहीं बुलाएगा.

अब जो बचे हुवे 19 हिंदू और 140 सिख हैं, वो भी अफगानिस्तान में नहीं रहेंगे. अब वहां 100% मोमिन रहेंगे. वो क्यों रहेंगे वहां अकेले, बाक़ी धर्म के लोग क्यों नहीं रह सकते ? किस तरह की तकलीफ़ दे रहे थे ये 159 लोग 4 करोड़ मोमिनों को ? इस पर कोई भी सवाल नहीं पूछेगा और न ही जिन भाईयों से हमें ये सवाल पूछना है वो इसका कोई जवाब देने में कोई रुचि रखते हैं क्योंकि उनके हिसाब से इस दुनिया की असल समस्या ये है कि नुपुर शर्मा अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं की गई ?

  • सिद्धार्थ ताबिश

Read Also –

मुसलमान एक धार्मिक समूह है जबकि हिन्दू एक राजनैतिक शब्द
सिवाय “हरामखोरी” के मुसलमानों ने पिछले एक हज़ार साल में कुछ नहीं किया
दुनिया में मुसलमानों के पतन के कारण
सेकुलर ‘गिरोह’ की हार और मुसलमानों की कट्टरता
हर जिंदादिल इंसान को मजहब नहीं, सच के साथ खड़े हो जाना चाहिए

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

Donate on
Donate on
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

निर्माणाधीन पुल से गिरी कार मामले में अपनी नाकामी का ठीकरा सरकार ने फोड़ा गूगल मैप्स पर

बदायूं में एक दर्दनाक हादसा हुआ है, जहां एक कार निर्माणाधीन पुल से रामगंगा नदी में गिर गई,…