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हिन्दुत्ववादी पितृसत्तात्मक व्यवस्था में ‘सरयू में सम्भोग’ पर बबाल क्यों ?

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हिन्दुत्ववादी पितृसत्तात्मक व्यवस्था में 'सरयू में सम्भोग' पर बबाल क्यों ?
पितृसत्तात्मक व्यवस्था में ‘सरयू में सम्भोग’ पर बबाल क्यों ?

सरयू नदी में गंदगी फेंके, नाले फेंके जा सकते हैं. अशुद्ध मंत्र पढ़ सकते हैं. नहाते हुए शरीर की गंदगी, मैल आदि त्याग सकते हैं, पर सरयू में प्यार नहीं कर सकते. चुम्बन नहीं ले सकते. सरयू चुम्बन के लिए नहीं, शरीर के मैल साफ करने के लिए है. यह है नव्य हिन्दू !

– जगदीश्वर चतुर्वेदी

अयोध्या नगरी में प्रेम प्रतिबंधित है, लेकिन बलात्कार नहीं. ताजा मामला अयोध्या होकर बहती सरयू में स्नान करते, प्रेम करते नव-दम्पति के पिटाई की विडियो जिस तरह वायरल की जा रही है, वह कुछ ऐसी ही तस्वीर बयां करती है.

वायरल वीडियो में ही पत्नी के किस करने वाले पति के पास राम की पैड़ी में नहा रहे युवकों का एक दल आता है और उन पर अश्लीलता का आरोप लगाकर पति की पिटाई शुरू कर देता है. पहले तो पत्नी, अपने पति को बचाने की कोशिश करती है लेकिन युवकों की बढ़ती भीड़ देख वह डर जाती है, इसका वीडियो भी वायरल हुआ है. वीडियो गत 15 जून का बताया गया है. दंपति के नाम पते की शिनाख्त नहीं हो सकी है.

वीडियो में दर्शाया गया है कि दंपति पैड़ी में स्नान कर रहे थे, इसी बीच उनकी निकटता को लेकर वहां उपस्थित युवकों ने पहले उनका वीडियो बनाया और बाद में युवक को पैड़ी के अंदर ही पीटना आरंभ कर दिया. एक के बाद एक युवक पिटाई शुरू करते हैं और चंद सेकंड में ही यह सिलसिला सामूहिक पिटाई में बदल जाता है. पीटते-पीटते युवक को पैड़ी से बाहर लेकर चले गए.

अयोध्या में बलात्कार

अब आते हैं बलात्कार की घटना पर. इसी रामनगरी अयोध्या में 16 मार्च की रात 7 साल की मासूम बच्ची के साथ दरिंदगी की गई है, जिसमें इस मासूम के साथ दरिंदगी और हैवानियत की हदें पार हुई थी. इस मामले का एक वीडियो सोशल मीडिया में तेजी के साथ वायरल हुआ, जिसमें पीड़ित बच्ची एक नहीं तीन लोगों के घटना में शामिल होने की बात कहती नजर आ रही है. साथ ही मासूम ने कहा कि दरिंदगी करते वक्त आरोपियों ने उससे कहा था कि ‘तुम मरोगी, तभी हम जिंदा रहेंगे.’

बच्ची ने उक्त वीडियो में तीन आरोपियों की बात कही है, जबकि पुलिस ने कहा कि घटना में मात्र एक व्यक्ति शामिल था जिसे हिरासत में ले लिया गया है और उसे जेल भेजा जा चुका है. पीड़िता की मां से पूछा गया तो उन्होंने स्वीकारा कि हमारी बेटी का वीडियो है और इस घटना में शामिल दो अन्य लोगों को भी गिरफ्तार करना चाहिए. उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए. पुलिस की कार्यशैली पर वीडियो वायरल होने के बाद सवाल उठने चालू हो गए हैं. घटना में शामिल दो अन्य लोगों को पुलिस पर बचाने का आरोप घटना वाले दिन से ही लग रहा है. यानी, अयोध्या में आप बलात्कार कर सकते हैं प्रेम नहीं.

सरयू में प्रेम पर दरिंदगी के पीछे की कहानी

खबर के अनुसार सरयू नदी में प्रेम पर बौखलाई भीड़ के पीछे की जो तस्वीर निकलकर सामने आई है उसके अनुसार शिवम गुप्ता और सौम्या गुप्ता नामक नव दम्पति जो दोनों ही रामभक्त थे, को एक ब्राह्मण पुजारी ने बताया अगर सरयू नदी में जाकर सम्भोग करोगे तो तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी. इस पोंगा ब्राह्मण पुजारी गुप्ता जी पहुंच गए सरयू नदी में और अपनी पत्नी के साथ पब्लिक के सामने ही शुरू हो गए, जिसके बाद की कहानी तो सभी जानते ही हैं.

हिन्दुत्ववादी पितृसत्तात्मक व्यवस्था में बलात्कार कर सकते हैं प्रेम नहीं

पितृसत्तात्मक समाज में जिस तरह पुत्र को वरीयता प्रदान की जाती है, यह उसी का असर है कि हर दम्पति पुत्र प्राप्ति के लिए बाबाओं के शरण में जाते हैं. बाबाओं का दुकान भी इसी के कारण गुलजार रहता है और जरुरतमंद दम्पति पुत्र प्राप्ति के लिए इन ढ़ोंगी बाबाओं के अनापशनाप मांगों को अपनी जान पर खेलकर पूरा करते हैं. कुछ हत्या करते हैं तो कुछ अन्य बताये रास्ते पर चलते हैं. मौजूदा खबर में ‘सरयू में सम्भोग’ का रास्ता अपनाये और सारी दुनिया के सामने रामभक्तों ने अपनी इज्जत उछाली.

यह ब्राह्मणवादियों ने जिस मनुस्मृति आधारित पितृसत्तात्मक व्यवस्था को जबरन समाज पर थोपा है, तबसे यह समाज मूढ़ता और क्रूरता के नये नये मापदंड बना रहा है. इस पोंगापंथी समाज की क्रूरता में अंग्रेजों के आने के बाद कमी आई थी, लेकिन अंग्रेजों के जाने के महज 70 साल बाद आरएसएस के मुखौटा संगठन भाजपा के सत्ता में आने के बाद जिस तेजी से प्रगति हुई है, महिलाओं पर हमलों में जिस प्रकार तेजी आई है, उसमें इस तरह की घटना अपवाद नहीं बनेगी. जहां प्रेम की बेदी का सीधा संबंध मौत और अपमान है तो वहीं बलात्कारी ईश्वर की तरह पूजने योग्य. यह कैसा समाज हम बना रहे हैं, यह तो अब आंखों के सामने परिलक्षित है ही.

वाल्मीकी रामायण क्या कहता है ?

बहरहाल, हिन्दू धर्म शास्त्र इस पूरी घटनाक्रम पर क्या विचार करता है, वह ध्यान देने योग्य है. वाल्मीकीय रामायण के बालकांड के दूसरे सर्ग में ब्रह्मा का वाल्मीकि को रामायण लिखने के आदेश का प्रसंग आता है, जो उस सर्ग का 15वां पद है –

निषाद! तुझे नित्य-निरन्तर-कभी भी शान्ति न मिले; क्योंकि तूने इस क्रौञ्च के जोड़े में से एक की, जो काम से मोहित हो रहा था, बिना किसी अपराध के ही हत्या कर डाली ॥ 15 ॥

क्रौंच पक्षियों का एक मिथुन विचर रहा था, ऋषि वाल्मीकि उन्हें देख रहे थे. एक बहेलिये ने उस पर तीर चलाया और नर क्रौंच को मार डाला. तब अनायास ही ये छंद वाला श्लोक वाल्मिकि के मुंह से निकल पड़ा. ब्रह्मा ने बाद में उन्हें कहा कि मेरी प्रेरणा से ही तुम्हारे मुंह से छंद निकला है, और तुम रामायण लिखो. अयोध्या में मियां-बीवी को पीटने वाले लोगों को संस्कृत की रामायण का ये प्रसंग जरूर पढ़ना चाहिए. (सुमित कुमार ओम कटारिया के एक टिप्पणी के आधार पर)

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