हिमांशु कुमार
मोदी सरकार जो अग्निवीर नाम से नई योजना लाई है, लंबे समय में उसके घातक परिणाम होंगे. इस योजना में सेना में 4 साल के लिए युवाओं को भर्ती किया जाएगा. 18 साल के युवा को भर्ती किया जाएगा और 22 साल में उसे रिटायर कर दिया जाएगा. आप पहले सोचिए कि हमें इतने सारे सिपाहियों की जरूरत किसलिए है ?अंतरराष्ट्रीयता के युग में क्या आपको अपने पड़ोसी देशों से युद्ध करने हैं ? क्या आप की आर्थिक हैसियत युद्ध करने की है ? क्या आप की आर्थिक हैसियत नये सिपाहियों को रोज सैलरी देने की है ?
ऐसे लोग जो ना उद्योग में काम करेंगे, ना खेती में काम करेंगे, ना व्यापार में काम करेंगे यानी कोई उत्पादक काम इस देश के लिए नहीं करेंगे सिर्फ बंदूकधारी मजदूर बनेंगे. मोदी सरकार का असली मकसद यह है कि इन सिपाहियों को अपनी जनता के खिलाफ इस्तेमाल करेंगे. सरकार बड़े पूंजीपतियों के लिए इस दौरान आदिवासी इलाकों में जमीनों पर खदानों पर कब्जा करेंगे, समुद्र तटों पर कब्जा करेंगे, उसके बाद यह किसानों की जमीनों पर पूंजीपतियों का कब्जा करवाएंगे.
जाहिर है जनता इस सब का विरोध करेगी. जनता के विरोध को दबाने के लिए सरकार को बंदूकधारी मजदूर सिपाहियों की जरूरत पड़ेगी. मोदी सरकार इस देश के नौजवान को इस देश की जनता के खिलाफ लड़ाने का प्लान बना रही है. इन सिपाहियों को इस देश के मुसलमानों, दलितों, मजदूरों के खिलाफ भी इस्तेमाल किया जाएगा. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तानाशाही, क्रूरता और बर्बरता को सरकारी सपोर्ट देने के लिए यह सेना तैयार की जा रही है. वरना अंतरराष्ट्रीय स्थिति तो ऐसी नहीं है कि आपको पाकिस्तान, बांग्लादेश, बर्मा, भूटान, नेपाल या श्रीलंका से कोई इतना बड़ा खतरा है कि आप की वर्तमान सेना उससे निबटने में कम पड़ रही है इसलिए आपको नए सिपाही चाहिए.
नौजवानों को हथियारबंद बनाना, उन्हें राष्ट्रवाद के नाम पर कट्टर बनाना, हिंसक बनाना और अपनी जनता के खिलाफ इस्तेमाल करना, यह फासीवादियों का एक तरीका होता है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रायोजित यह सरकार उसी योजना पर काम कर रही है. इसमें पैसा जनता का लगेगा और जनता की जायज मांगों को दबाने के लिए हथियारबंद सिपाही जनता के ही खिलाफ खड़े किए जाएंगे. संविधान को रौंदा जाएगा, लोकतंत्र को कुचला जाएगा, मानव अधिकारों का हनन होगा.
विकास के नाम पर जो पूंजीवाद और कारपोरेटीकरण का दौर नई आर्थिक नीतियां लागू होने के बाद शुरू हुआ है, यह उसका रास्ता आसान करने की ही चाल है. सारी दुनिया में हथियार कम होने चाहिए, सिपाही कम होने चाहिए, सेनायें छोटी होनी चाहिए, युद्ध बंद होने चाहिए. बच्चों की बड़े पैमाने पर मौत हो रही है. देश के बच्चे भूखे हैं, कुपोषित हैं. माताएं बच्चा पैदा करने में मर जा रही हैं. देश के दलित, आदिवासी कुपोषित हैं, भूखे हैं, बीमार हैं. देश का पैसा उनकी हालत सुधारने में खर्च होना चाहिए. स्कूल, अस्पताल पर पैसा खर्च होना चाहिए. उसकी बजाय आप नये सिपाही, फिर उनके लिए बंदूक, फिर गोलियां इस पर पैसा खर्च करेंगे ?
हमें ऐसा समाज नहीं बनाना जिसमें लाखों लोग हथियारबंद हो और बाकी के लोग उन से डरने वाली जनता. हम संविधान के पहले पन्ने पर वर्णित भारत के लोग हैं. हम भारत को ऐसे हिंसक देश बनते हुए चुपचाप कैसे देख सकते हैं ?
दुनिया के कई देशों में बड़ी-बड़ी कंपनियों की अपनी सेनाएं हैं
अमेरिका की ब्लैक वाटर नाम की सिक्योरिटी कंपनी दुनियाभर के पूंजीपतियों को रिटायर्ड फौजी सिक्योरिटी गार्ड्स प्रदान करती है. बड़ी-बड़ी कंपनियों के इन सिपाहियों की संख्या हजारों में होती है और यह कई बार तो सरकारी ताकत से भी ज्यादा बड़ी ताकत वाली सेनाएं हो जाती है. कई अफ्रीकी देशों में पूंजीपतियों की इन प्राइवेट सेनाओं द्वारा बड़े-बड़े जनसंहार किए गए हैं. अपना विरोध करने वाले पर्यावरण कार्यकर्ता, सामाजिक नेता, आदिवासी नेताओं की हत्या करना, उन्हें इलाका छोड़ने पर मजबूर करना, उन्हें डराना धमकाना यह प्राइवेट सैनिक खूब करते हैं.
भारत में जहां-जहां जिंदल अदानी अंबानी की फैक्ट्रियां हैं, वहां यह काम भारत में भी देखा जा सकता है. उड़ीसा में तो जिंदल ने अपना विरोध करने वाले ग्रामीणों को सिर फाड़ दिए थे, हाथ पैर तोड़ दिए थे, लहुलुहान कर दिया था. मैंने उस वक्त नवीन जिंदल को एक खुला पत्र भी लिखा था, जो मेरी फेसबुक वॉल पर अभी भी है. आने वाला वक्त पूंजीपतियों के राज का होगा. पूंजीपति जिसे चाहेंगे मरवा देंगे, गायब करवा देंगे, अपरण करवा देंगे, विरोधियों का खात्मा करवा देंगे. कोर्ट इनकी गुलाम होगी, सरकार इनकी गुलाम होगी, पुलिस इनकी चाकर होगी. आज भी पुलिस का दम नहीं है जो इन उद्योगपतियों के गैर कानूनी कामों के खिलाफ नजर उठा कर भी देख सके.
भारत में पूंजीपतियों की प्राईवेट आर्मी – अग्निवीर
भाजपा जो योजना लाई है, उस योजना में जवानी में ही रिटायर कर दिए गए ट्रेंड सैनिक पूंजीपतियों की प्राइवेट आर्मी बनेंगे. पूंजीपतियों द्वारा भारत के जंगलों पर ही नहीं, भारत के खेतों पर भी कब्जा किया जाएगा. आप लिखकर रख लीजिए हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश सब जगह वैसा ही कब्जा होगा, जैसा आदिवासी इलाकों में हो रहा है.
छत्तीसगढ़ के सलवा जुडूम जैसा ही पूंजीपतियों की यह प्राइवेट आर्मी और सरकारी सुरक्षा बल मिलकर किसानों की जमीनों पर पूंजीपतियों का कब्जा करवाएंगे. सलवा जुडूम और पूंजीपतियों के जुल्मों के खिलाफ आवाज उठाने वाले 15 से ज्यादा बुद्धिजीवी मोदी द्वारा जेल में डाल दिए गए हैं. भारत का बौद्धिक नेतृत्व जेल में है. भ्रष्ट पूंजीपति और उनके नौकर गुंडे सत्ता पर बैठे हैं. भारत का आने वाला समय बहुत भयानक होगा लेकिन यह निश्चित है कि जनता सब कुछ चुपचाप सहन नहीं करेगी. शहरी मीडिल क्लास भले ही डर कर चुप रहेगा लेकिन आदिवासी, मजदूर और किसान जोरदार संघर्ष करेगा.
इसमें खून खराबा होने का अंदेशा भी है. भारत का नौजवान अपनी ही जनता के खिलाफ लड़ेगा. आने वाला समय बहुत उथल पुथल भरा होगा. सेना में नौकरी के अवसर छीनने का प्लान है. पहले ग्रामीण इलाकों में नौजवानों को आस रहती थी कि हम सेना में जाएंगे, शादी ब्याह होगा, मकान बनाएंगे, जिंदगी चलेगी. अब 4 साल की नौकरी मिलेगी सेना में. उसमें ना मकान बनेगा, ना घर चलेगा, ना जिंदगी चलेगी.
करोड़ों परिवार बसने से पहले ही उजाड़ दिए जाने की योजना है जुमलेबाज की. पेंशन का पैसा भी बचा लिया जाएगा. सारा सरकारी पैसा सब्सिडी के रूप में अदानी को दिया जाएगा. बैंकों का पैसा भी अडानी को दे दो. जमीनें, खदानें, समुद्र के तट भी अडानी को दे दो. जनता का टैक्स का पैसा भी अडानी को दे दो. जब एक आदिवासी ने देखा कि सब कुछ अडाणी को दे ही दिया गया है तो उसने अपने लूंगी उतारी और हवा में उछाल दी और बोला ले मोदी इसे भी अडानी को दे दे !
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