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आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के शोषण और लूट के लिए कुख्यात IGIMS

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आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के शोषण और लूट के लिए कुख्यात IGIMS

आउटसोर्सिंग उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें एक कंपनी अपने किसी आंतरिक कार्य के लिए दूसरी कंपनी के साथ समझौता करके उससे वह काम करवाती है या एक कंपनी दूसरी कंपनी के साथ टेप कर उसे कुछ टास्क देती है और उन्हें पूरा करवाती है, इसे आउटसोर्सिंग कहते हैं. आउटसोर्सिंग व्यापार करने की एक नई परिकल्पना है. लेकिन आज आउटसोर्सिंग व्यवस्था कर्मचारियों के शोषण का सबसे खतरनाक तरीका बनकर उभरा है.

आउटसोर्सिंग के तहत कार्यरत कर्मचारियों की हालत बंधुआ मजदूर की उस पुरातन कहानी से भी बदतर बन गई है, जिस पर प्रेमचंद ने पन्नों रंग डाले थे. कम वेतन ज्यादा काम आज आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की किस्मत बन चुकी है, जहां बेहद ही कम वेतन पर अधिक समय तक कार्य करने के लिए न केवल मजबूर किया जाता है बल्कि बात-बात पर ‘नौकरी’ से निकाल देने की धमकी भी दी जाती है. कार्यस्थान पर जरा से बिलंब से पहुंचने का मतलब है उस दिन की सैलरी कट, यानी काम करने के बावजूद अनुपस्थित घोषित करना.

बात करते हैं बिहार की राजधानी पटना स्थित आईजीआईएमएस में विभिन्न विभागों और पदों पर कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की हालत के बारे में तो उनकी स्थिति भयावह है. हालत इतनी बदतर है कि जिन कर्मचारियों को 38 हजार का वेतन मिलना सुनिश्चित किया गया है, उनको मात्र 13,500 रूपया दिया जाता है. चतुर्थवर्गीय कमचारियों को मात्र साढ़े आठ हजार रूपया दिया जाता है.

यहां हम पटना के ही एम्स में कार्यरत आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के वेतन का एक लिस्ट दे रहे हैं. जब हम इस लिस्ट को देखते हैं और उसकी तुलना समान पद पर कार्यरत आईजीआईएमएस के आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के वेतन से तुलना करते हैं तो यह देखकर आंखें फटी की फटी रह जाती है कि कितने कम वेतन पर काम कराया जाता है. दूसरे शब्दों में आईजीआईएमएस के आऊटसोर्सिंग कर्मचारी बंधुआ गुलाम से भी बदतर हालत में काम कर रहे हैं.

इसको लेकर आईजीआईएमएस के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने अनेकों दफा वरिश्ठ अधिकारियों से मिलकर अपनी पीड़ा को.रखा लेकिन किसी भी अधिकारियों ने इस पर कान देने के बजाय नौकरी से ही निकाल देने की धमकी देकर इन्हें चुप करा दिया गया है. वहीं आईजीआईएमएस के एक अधिकारी ने तो यहां तक कह दिया कि ‘देखों, मेरी पत्नी को कैंसर की बीमारी है, उसके इलाज में लाखों रूपये खर्च होते हैं. और भी दसियों खर्च होते हैं, वह सब कहां से आयेगा. ऊपर तक भी देना होता है. इसलिए दिमाग मत लगाओ. काम करना है करो, नहीं तो दफा हो जाओ. सैकडों लाईन में लगा है काम करने के लिए.’

पटना एम्स में आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को दी जाने वाली वेतन

  1. Assistant Administrative Officer – 30,000
  2. Asst. Store Officer – 39,000
  3. Asst. Security Officer – 38,000
  4. Audiometry Technician – 38,000
  5. Bio-Medical Engineer 30,000
  6. Cashier – 23,000
  7. Dark Room Assistant – 23,000
  8. Data Entry Operator Gr. A – 23,000
  9. Dental Technician – 38,000
  10. Dietician – 39,000
  11. Derations Hall Attendants – 19,000
  12. Driver (Ordinary Grade) – 19,000
  13. Electro Cardigraph technician – 38,000
  14. H A Gr III – 18,000
  15. J. E. Mechanical – 38,000
  16. J. E. (Electrical) – 38,000
  17. JMRO – 24,000
  18. Junior Account Officer (Accountant) – 38,000
  19. Junior Warden – 19,000
  20. Lab Attendant Gr. II – 19,000
  21. Lab Technician – 38,000
  22. Librarian Gr. II – 38,000
  23. Library Attendant Gr. II – 19,500
  24. Lower Division Clerk – 19,000
  25. Medical Officer (Homeopathy) – 55,000
  26. Medical Social Service Officer Gr. II – 39,000
  27. MRT – 24,000
  28. MSW – 39,000
  29. Multi Rehabilitation Worker (Physiotherapist) – 38,000
  30. Nursing Officer Gr. ll – 39,000
  31. Office Assistant – 38,000
  32. Optometrist – 38,000
  33. OT Assistant (Technical Assistant/Technician Lower Grade OT) – 24,000
  34. Personal Assistants (S) – 38,000
  35. Private Secretary – 38,000
  36. Programmer (Data Processing Assistant) – 39,000
  37. Radiographic Technician Gr. I – 38,000
  38. Refractionist – 38,000
  39. Senior Analyst (System Analyst) – 60,000
  40. Social Worker – 24,000
  41. Store Attendant Gr. II – 18,000
  42. Store Keeper – 38,000
  43. Store Keeper Cum Clerk – 19,000
  44. Technical Assistant – 38,000
  45. Technical Assistant/Lower Grade Lab – 24,000
  46. Technical Officer (Opthal) Refractionist) – 38,000
  47. Upper Division Clerk – 23,000
  48. Upper Division Clerk – 23,000
  49. Warden – 38,000

Source : RTI & Other Documents

जानकार बताते हैं कि आईजीआईएमएस में कार्यरत आउटसोर्सिंग के तहत हजारों कर्मचारियों को एम्स द्वारा निर्धारित तय वेतन से मात्र 40 प्रतिशत तक ही भुगतान किया जाता है, बांकी की राशि अधिकारियों से लेकर विधायक, मंत्री से लेकर अन्य जगहों पर बंटवारा किया जाता है. यही कारण है कि कोई भी आउटसोर्सिंग के कर्मचारियों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देता है.

आईजीआईएमएस के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के साथ शोषण का इससे भी विभत्स रूप यह है कि इन आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को कभी भी वेतन समय पर नहीं दिया जाता है. आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को दिया जाने वाला वेतन कभी एक महीने की देरी से तो कभी कभी तो दो से तीन महीने की देरी से दिया जाता है, जिस कारण किराये पर मकान लेकर रह रहे कर्मचारियों को उनके मकान मालिक द्वारा घर खाली कराने तक की धमकी दी जाती है.

इतना ही नहीं, दो से तीन महीने की देरी से मिलने वाला वेतन भी कभी पूरा नहीं मिलता. कभी कंपनी द्वारा एक दो महीने का समूचा वेतन ही साफ कर दिया जाता है. विरोध करने पर सीधे नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है. बेरोजगारी से बदहाल मजबूर ये कर्मचारी विरोध भी नहीं कर पाते. फिर भी विरोध का स्वर तो उठता ही है.

प्रतिरोध का उठता स्वर

आऊटसोर्सिंग कर्मचारी लगातार अपने सवाल उठाते आ रहे हैं, जिस आवेदन का एक प्रति हमारे पास भी आया है, जिसे आईजीआईएमएस में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने आईजीआईएमएस के अधिकारियों को एक आवेदन सौंपा है, जिसके अनुसार उनकी मांगों पर सुनवाई न होने की स्थिति में अनिश्चित कालीन धरना पर जाने की चेतावनी दी गई है. उनकी मांगें इस तरह है –

  1. हम सभी आउटसोर्स से कार्यरतकर्मियों का वेतन पिछले पांच साल से एक समान ही है परन्तु महंगाई का स्तर दिन प्रतिदिन प्रत्येक वर्ष बहुत तेजी से बढ़ा है. हम सबों का आपसे आग्रह है कि हमारी मानदेय/वेतनमान में भी बढ़ोतरी की जाए जिस आधार पर देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों को वेतनमान देय है.
  2. यह कि हमलोगों को नियमित कर्मचारियों के भांति आकस्मिक/उपार्जित अवकाश देने का प्रावधान भी सुनिश्चत किया जाय.
  3. संस्थान में आउटसोर्स पर कार्य कर रहे कर्मचारियों एवं उनके आश्रितों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा संस्थान द्वारा प्रदत
    किया जाए.
  4. हम सब आउटसोर्स कर्मचारियों का वेतन भी एक निश्चित तारीख को प्रत्येक माह नियमित रूप से भुगतान करवाना
    सुनिश्चित करें.
  5. हम सभी आउटसोर्स कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट (अनुबंध) कोई कॉन्ट्रैक्टर (ठेकेदार) कंपनी/संस्था को न देकर खुद संस्थान ही इसे अपने तरफ से कर्मचारियों का अनुबंध/स्थायी सेवा पर बहाल करने का प्रावधान करें.
  6. बिहार सरकार के प्रावधान के अनुसार 60 वर्ष की आयु तक करना सुनिश्चित करें.
  7. संस्थान में पूर्व से कार्यरतकर्मियों यथा कार्यालय सहायक, कार्यालय सेवक एवं सफाईकर्मियों को नियमित सेवा में लिया जाए.
  8. कोरोना (कोविड-19) प्रोत्साहन भत्ता राशि का भुगतान हम सभी को अभी तक नहीं दिया गया है, जिसे अगले वेतन के साथ दिया जाना सुनिश्चित करें.

आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की यह सभी मांगें बिल्कुल ही वास्तविक मांगें हैं. जिसको यथाशीघ्र आईजीआईएमएस प्रशासन को मान लेनी चाहिए.

रास्ता क्या है ?

आईजीआईएमएस में कार्यरत आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को आईजीआईएमएस प्रशासन की ओर से अविलंब राहत देना चाहिए ताकि वे सम्मानजनक जीवन यापन कर सके. इसके लिए प्रशासन को उनकी मांगों को स्वीकृति प्रदान करने के अतिरिक्त निम्न कदम अवश्य उठाना चाहिए –

  • पिछले पांच वर्षों से इन आऊटसोर्सिंग कर्मियों के वेतन पर डाका मारने वाले संबंधित तत्वों पर जांच कमीशन बहाल कर उसको दंडित किया जाना चाहिए.
  • आईजीआईएमएस के तमाम आऊटसोर्सिंग कर्मियों को लुटेरी कम्पनियों के चंगुल से मुक्त करा कर अपने मातहत किया जाना चाहिए.
  • आईजीआईएमएस के आऊटसोर्सिंग कर्मियों को एम्स पटना के आऊटसोर्सिंग कर्मियों के समान वेतन दिया जाना चाहिए साथ ही उनका स्थाईकरण करने की प्रक्रिया को तेज किया जाना चाहिए.
  • आईजीआईएमएस में लूट और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को इस संस्थान से बाहर निकाला जाये ताकि इसकी प्रतिष्ठा बढ़ सके.

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