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मुग़लों से लोहा ले रहे प्रवक्ताओं को बीजेपी ने अरबों के दबाव में हटाया ?

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मुग़लों से लोहा ले रहे प्रवक्ताओं को बीजेपी ने अरबों के दबाव में हटाया ?
मुग़लों से लोहा ले रहे प्रवक्ताओं को बीजेपी ने अरबों के दबाव में हटाया ?

पैगंबर मोहम्मद साहब पर विवादित बयान देने के कारण भाजपा ने प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पार्टी से 6 साल के लिए निलंबित कर दिया है. इसके साथ ही नुपुर शर्मा के बयान पर विवादित ट्वीट करने के कारण दिल्ली भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता नवीन जिंदल पर भी कार्रवाई करते हुए जिंदल को भी पार्टी से बाहर कर दिया गया है. वहीं, कतर की फॉरेन मिनिस्ट्री ने भारतीय राजदूत डॉक्टर दीपक मित्तल को तलब कर लिया और उन्हें इसमें भाजपा प्रवक्ता द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी पर विरोध जताते हुए ऑफिशियल नोट सौंप दिया.

इससे घबराई भाजपा ने आनन-फानन में अपने दोनों प्रवक्ताओं को पार्टी से निकाल बाहर किया, वहीं कतर में मौजूद भारतीय दूतावास को एक बयान जारी कर कहना पड़ा कि ‘जिन ट्वीट्स के बारे में बात की जा रही है, वो भारत सरकार के विचार नहीं हैं. भारत सरकार सभी धर्मो का सम्मान करती है. जिन लोगों ने आपत्तिजनक बयान जारी किए हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है.’ वहीं, एक ख़बर के अनुसार कतर ने अभी हमारे उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को दिया जाने वाला रात्रि भोज रद्द कर दिया है.

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140 करोड़ का प्रतिनिधित्व करने वाली भाजपा के कारण भारत दुनिया भर में बदनाम हो गया है और उससे भी शर्मनाक है कि विदेश में होती बदनामी के कारण उसे अपने नफरती समर्थकों को निकाल बाहर करना पड़ रहा है. हलांकि यह निकाल बाहर करने की प्रक्रिया कितना वास्तविक और कितना दिखावा है, यह तो हम सभी जानते हैं लेकिन इसने भारत के छबि पर जो बट्टा लगाया है, वह शायद ही भाजपा धो सके. बहरहाल, रविश कुमार ने तंज कसते हुए भाजपा को जो आईना दिखाया है, वह शायद मलहम का काम कर सके. रविश कुमार लिखते हैं.

मुग़लों से लोहा ले रहे प्रवक्ताओं को बीजेपी ने अरबों के दबाव में हटाया ? क्या अरब देशों और उनके शेखों के दबाव में बीजेपी ने अपने दो प्रवक्ता निकाले हैं ? बीजेपी ने उस वक्त कार्रवाई क्यों नहीं की, जिस वक्त विवाद सामने आया था ? ज़ाहिर है अरब देशों के दबाव में एक राष्ट्रवादी पार्टी को अपना प्रवक्ता हटाना पड़ा, यह कई तरह से शर्मनाक है.

अरब देशों में बीजेपी के प्रवक्ताओं के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान चलने लगा. भारत के बारे में अच्छी बातें नहीं कही जा रही थी. बीजेपी के पास अपनी आईटी सेना है, पार्टी जवाबी अभियान चला सकती थी. अरबी सोशल मीडिया को जवाब दे सकती थी. सोशल मीडिया पर बीजेपी के समर्थक राज करते हैं. वे अरब देशों की ईंट से ईंट बजा देते लेकिन उल्टी बीजेपी ने अपने प्रवक्ता हटा लिए.

इससे उन समर्थकों और मूर्खों का मनोबल टूट सकता है, जो इन दिनों मुग़लों का बदला लेने में लगाए गए थे. इन दिनों वीरता सप्ताह चल रहा है. इसी सप्ताह में पृथ्वीराज फ़िल्म रिलीज़ हुई है. पृथ्वीराज फ़िल्म देखकर बीजेपी के नेता वर्जिश करने में लगे थे. जब एक फ़िल्म से मुग़लों का बदला लिया जा सकता है तो सोशल मीडिया से बीजेपी ने अरबों को जवाब क्यों नहीं दिया ? क्या अरब शेख़ तय करेंगे कि बीजेपी का प्रवक्ता कौन होगा ? फिर बीजेपी और समर्थक मुग़लों का बदला कैसे लेंगे ?

मज़ाक़ से इतर एक सवाल और है. क्या धंधे के दबाव के आगे कथित धर्म युद्ध से बीजेपी और गोदी मीडिया ने पांव खींच लिए ? ऐसी ख़बरें हैं कि अरब देशों के सोशल मीडिया पर भारतीय उत्पादों के बहिष्कार की अपील की जा रही थी. क्या इसके लिए अरब देशों में धंधा कर रहे भारतीय उद्योग जगत ने मोदी सरकार और बीजेपी पर दबाव डाला ? यह तो और भी बुरी बात है. यूरोप को नेहरू के बयान से जवाब देने वाले विदेश मंत्री जयशंकर क्या हैं ? क्या संडे को छुट्टी पर हैं ?

आठ साल से गोदी मीडिया पर एक धर्म के खिलाफ नफ़रत फैलाई जा रही है. हर डिबेट में बीजेपी के प्रवक्ता होते हैं और नफरती बयान देते हैं. सुप्रीम कोर्ट तक ने नाराज़गी ज़ाहिर की है. बीजेपी ने सबका बचाव किया. कोई कार्रवाई तक नहीं की. कोर्ट का आदेश न होता तो हरिद्वार धर्मसंसद के मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी.

बीजेपी को कई मौक़े मिले कि इन बहसों से दूर रहें लेकिन उसके प्रवक्ता से लेकर मंत्री तक कभी इशारे में तो कभी सीधे-सीधे एक धर्म के खिलाफ बयान देते रहे. लेकिन अरब देशों के सोशल मीडिया पर दो घंटे अभियान क्या चला, उसके दबाव में बीजेपी पीछे हट गई. शायद पहली बार बीजेपी ने दो-दो प्रवक्ताओं को हटाया है और पार्टी से निकालना पड़ा है.

सिम्पल बात है, जिस तरह से इस वक्त में अंग्रेजों से बदला नहीं लिया जा सकता, उसी तरह से इस वक्त में मुग़लों से बदला नहीं लिया जा सकता क्योंकि दोनों के सुल्तान, गवर्नर और सेना अब नहीं है. वो अतीत का हिस्सा हैं. उनके वक्त में जिन्हें लड़ना था, उन्होंने क़ुर्बानी दी है.

दबाव में प्रवक्ताओं को हटा कर बीजेपी ने एक और बड़ी गलती की है. सही फ़ैसला वो होता जब दोनों प्रवक्ताओं को तभी का तभी निकाल दिया जाता. सही काम तब बड़ा होता है जब आप ख़ुद करें या किसी को बताने पर समय से करें. बाहरी देशों के दबाव में आंतरिक फ़ैसले नहीं लिए जाते. बीजेपी के प्रवक्ताओं ने भारत का नाम ख़राब किया तो बीजेपी ने मान कर समर्थकों का काम ख़राब कर दिया.

वहीं, कृष्ण कांत अपने सोशल मीडिया पेज पर लिखते हैं कि क्या नफरत के खिलाफ गोलबंदी से मोदी जी घबरा गये ? भाजपा ने नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल को पार्टी से निलंबित कर दिया है. इन दोनों ने पैगम्बर मोहम्मद साहेब का अपमान करने वाले बयान दिए थे. इनके बयानों का खंडन भी जारी कराया गया है.

खबर है कि इस टिप्पणी के बाद अरब देशों में भाजपा प्रवक्ता के बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया हुई. भारतीय कंपनियों का बहिष्कार शुरू हो गया. वहां काम कर रहे भारतीयों पर नौकरी छोड़ने का दबाव बनाया जाने लगा था. सऊदी अरब, पाकिस्तान समेत कई देशों के लोगों ने विश्वव्यापी ट्विटर ट्रेंड चलाया. खाड़ी देशों में कूड़ाघरों पर मोदीजी के पोस्टर लगा कर उन पर जूते छापे गए.

इसके बाद बीजेपी ने अपने दो प्रवक्ताओं की टिप्पणी का खंडन किया और कहा कि वह सभी धर्मों आदर करती है और किसी भी धार्मिक महापुरुष के किसी अपमान का पुरजोर निंदा करती है.

जैसे भारत से बाहर हमेशा गांधी और नेहरू लाज बचाते हैं, वैसे ही अब लोकतंत्र और सेकुलरिजम लाज बचाएगा. भारत जिन आधुनिकतम मूल्यों की बुनियाद पर खड़ा हुआ है, वह बुनियाद गांधी, नेहरू और अंबेडकर जैसे विश्वपुरुषों ने रखी थी. आखिरकार साम्प्रदायिकता का चोला उतार कर सेक्युलरिज़म के पर्दे के पीछे दुबकना पड़ेगा.

सौमित्र राय लिखते हैं – अरब देशों के दबाव में बीजेपी की तरफ़ से अपने दो प्रवक्ताओं पर हुई कार्रवाई से 2 सवाल उठते हैं :

  1. यह उस भारत सरकार का सरेंडर है, जो सभी देशों को अंदरूनी मामला बताकर टरका देती थी. आज ऐसा क्यों नहीं हुआ ?
  2. बीजेपी ने आज आधिकारिक रूप से मान लिया कि उसकी ही पार्टी के लोग साम्प्रदायिक सद्भाव पर घासलेट छिड़क रहे हैं. राहुल गांधी ने कैम्ब्रिज में ठीक यही कहा था.

हालांकि इससे दो बातें और जुड़ी हैं –

  1. भारत के गोदी मीडिया एंकर शाम को बीजेपी IT सेल से गलबहियां करते हैं. डिबेट की भड़काऊ स्क्रिप्ट तैयार करते हैं. उन्हीं के इशारे पर पैनलिस्ट तैयार होते हैं. घासलेट वहां भी बीजेपी IT सेल ही डालती है. माचिस तो नूपुर शर्मा जैसे प्रवक्ता जलाते हैं.
  2. बीजेपी नूपुर शर्मा और नरसिंहानंद जैसे लोगों को घासलेट डालने देती है. उसे ऐसे ही भड़काऊ लोग चाहिए, जो आप जैसे विद्वानों के पिछवाड़े पर माचिस लगा जाएं.

बात यहीं खत्म नहीं होती. हिन्दू समाज अपने पड़ोसी गैर हिन्दू को गाली देता है. उसकी भावनाओ को आहत करता है यह सोचकर कि ये हमारा मुल्क है, तुम क्या कर लोगे ? हम अपनी जाति, मज़हब को सर्वोपरि मानते हैं, इंसानियत को नहीं. हम चाहते हैं कि अपने धर्म, जाति का दबदबा हो. यही धार्मिक दक्षिणपंथ है- जिसे कट्टरवाद कहें.

आज कुवैत ने फ़िल्म सम्राट पृथ्वीराज चौहान को बैन कर दिया. अरब मुल्कों के हाथ तेल है, पैसा है, यह पैसा हमारे देश को भी चलाता है. आज जो कुछ हुआ, उसके बाद भारत की बीजेपी सरकार को संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष, समाजवाद जैसे शब्दों को हटाने की बात भूल जानी चाहिए.

याद रखें- आपकी सरपंची भारत तक है. यहां आप पृथ्वीराज चौहान भी हो सकते हैं और औरंगज़ेब भी. कुएं का मेंढक जब बाहर झांकता है तो ही उसे अपनी औकात का पता चलता है. विदेश नीति यहीं से शुरू होती है.

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