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क्या आप जोम्बी बन चुके हैं ?

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क्या आप जोम्बी बन चुके हैं ?

girish malviyaगिरीश मालवीय

पीट-पीट कर मार डालने के लिए सिर्फ मुसलमान होना काफी है. जूलियस सीजर के हत्यारों में से एक का नाम सिन्ना था. भीड़ जब सीजर के हत्यारों को तलाश रही थी तो उसे सिन्ना नाम का एक व्यक्ति मिला जो ‘हत्यारा सिन्ना’ नहीं बल्कि दूसरा व्यक्ति ‘कवि सिन्ना’ था. भीड़ जब उसे मारने लगी तो उसने कहा कि मैं तो वो नहीं हूं जिसे आप ढूंढ़ रहे हैं. भीड़ ने कहा कि उससे मतलब नहीं, सिर्फ नाम ही काफी है. भारत में अब किसी को पीटने के लिए उसका मुसलमान होना ही काफी है. यह न्यू इंडिया है.

आज सुबह की खबर है कि नीमच में एक बुजुर्ग की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई. भंवर लाल जैन नाम के यह बुजुर्ग मानसिक रूप से कमजोर थे. उन्हें न सिर्फ बुरी तरह से मारा गया बल्कि अपनी बहादुरी सनातन समाज के सामने साबित करने के लिए पिटाई का वीडियो भी बनाया गया. यही वीडियो अब वायरल हो गया है. इसमें नीमच का एक बीजेपी नेता 65 साल के बुजुर्ग को विशेष समुदाय का समझ कर पीट रहा है. वह बार-बार उसका नाम मोहम्मद बुला रहा है और आधार कार्ड मांग रहा है. इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पीटने वाले आरोपी उससे पूछ रहे हैं कि ‘क्या तुम मुसलमान हो ?’

बुजर्ग के परिजनों ने बताया कि वे उनके साथ धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने चित्तौड़गढ़ गए थे, लेकिन रात को अचानक लापता हो गए. मनासा में उनका शव गुरुवार शाम मिला. इस मामले में पहले से ही मृतक के परिजन हत्या की आशंका जता रहे थे और अब यह वीडियो भी सामने आ गया है.

इसमें दिलचस्प वाकया यह है कि नीमच में बुजुर्ग को मुसलमान होने की शंका में पीटने वाला मनासा से बीजेपी की पूर्व पार्षद का पति दिनेश कुशवाहा है. नीमच में पिटने वाले मृतक बुजुर्गवार जैन साब थे वे भी जावरा के भाजपा से पूर्व पार्षद अजीत चत्तर के बड़े भाई थे और जिस ग्रुप में मारपीट का वीडियो स्वयं दिनेश कुशवाह ने वायरल किया उस ग्रुप का नाम ‘ स्वच्छ भारत ग्रुप’ है

देश के प्रमुख विपक्षी नेता राहुल गांधी लंदन के कैंब्रिज में बोल रहे हैं कि बीजेपी देश में केरोसिन छिड़कने का काम कर रही है और आग मात्र एक चिंगारी से भड़क सकती है. गलत नहीं बोल रहे हैं, दिख भी रहा है.

फर्जी एनकाउंटर में लोगों की हत्या

हैदराबाद में फर्जी एनकाउंटर में हुई चार लोगों की हत्या की जितनी दोषी पुलिस है, उतना ही दोष समाज का है और उतना ही दोष मीडिया का है. तीन साल पहले हैदराबाद में वेटनरी डॉक्टर से गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई. इस संबंध में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया और एक हफ़्ते के अंदर सीन रिक्रिएट करने के बहाने तड़के 4 बजे आरोपियों को घटनास्थल पर ले जाया गया और उन्हें गोली मार दी गई.

हैदारबाद में हुई इस कथित मुठभेड़ की जांच के लिए इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस सिरपुरकर की अगुआई में इस पैनल का गठन किया था, जिसने एक सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी थी. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दिशा रेप केस में कथित चारों आरोपियों का फेक एनकाउंटर किया गया था.

कमेटी ने सिफारिश की है कि रेप और मर्डर के चार आरोपियों की हत्या के लिए 10 पुलिस अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलाया जाए. आयोग ने पुलिस की उस दलील पर भरोसा नहीं किया जिसमें ये कहा गया था कि आरोपी ने पिस्तौल छीन ली और फरार होने की कोशिश की. 2019 में हुई इस घटना के वक्त हैदराबाद के कमिश्नर थे वीसी सज्जनार. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह उनका पहला फेक एनकाउंटर नहीं था.

भाई साहब इससे पहले भी 2008 में ऐसा कर चुके है. ये घटना वारंगल जिले की थी जहां वीसी सज्जनार पुलिस अधीक्षक के पद पर थे. वारंगल में दो इंजीनियरिंग की छात्राओं पर एसिड फेंका गया था. 13 दिसंबर 2008 की रात इस मामले को तीन दोषियों को गिरफ्तार किया गया. महज 48 घंटों के अंदर ही गिरफ्तारी कर ली गई थी और महज चंद घंटों बाद ही उनका एनकाउंटर हो गया.

साफ़ है कि पुलिस को कोर्ट के जरिए अपराध साबित करने के बजाए त्वरित न्याय देना उचित लगा लेकिन ध्यान दीजिए कि हर वो व्यक्ति जिसे किसी अपराध के संबंध में पुलिस गिरफ्तार करती है, वो दोषी नहीं हो जाता जब तक उसे अदालत मुजरिम न ठहरा दे.

लेकिन भारत में न्याय अब अदालत नहीं करती, भीड़ तंत्र करता है. भीड़ इकट्ठा हो जाती है. मोमबत्तियां जलाकर कैंडल मार्च निकालती है. सदन में जनता के प्रतिनिधि सांसद अभियुक्तों के लिए लिंचिंग की मांग करते है. सोशल मीडिया में आरोपियों के खिलाफ़ ‘मार दो मार दो’ के नारे लगाए जाते हैं, जिसका बड़े-बड़े सेलेब्रिटी सपोर्ट करते हैं. एनकाउंटर करने वालो पुलिस वालों को गुलदस्ते भेंट किए जाते हैं. कंधों पर उठाकर घुमाया जाता है.

मीडिया भी इस अन्याय में पूर्णाहुति देता है, जो हमें बताता है कि हैदराबाद गैंगरेप के आरोपियों को जेल में मटन करी खिलाई जा रही है. हैदराबाद के आरोपियों का ट्रायल आप फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में भी चलाया जा सकता था. महीने भर में भी फैसले आए हैं लेकिन नहीं ! सीधे एनकाउंटर कर दिया गया. यदि आपको भी ऐसे एनकाउंटर भी सही लगते हैं जबकि आप जानते हैं कि यह रूल ऑफ लॉ का उल्लंघन करता है तो आप भी जोम्बी बन चुके हैं.

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