दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क अब माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर के नए मालिक बन गए हैं. मस्क और ट्विटर कंपनी के बीच मालिकाना हक को लेकर यह सौदा तकरीबन करीब 44 बिलियन डॉलर में किया गया है. भारतीय रुपयों में यह राशि करीब 3 अरब 36 करोड़ 84 लाख 11 हजार 200 रुपए जितनी होगी. इस डील के बाद 16 साल पुरानी सोशल मीडिया कंपनी एक प्राइवेट कंपनी में बदल जाएगी.
एलन के पास जाते ही ट्विटर में कई तरह के बदलावों की सम्भावना है. अभी तक ट्विटर पब्लिक कंपनी है जिसके कई स्टेक होल्डर्स हैं. 9.2 प्रतिशत हिस्सेदारी में ट्विटर खरीदने के एलन मस्क के प्रस्ताव का माइक्रो ब्लॉगिंग साइट के कई शेयरधारकों ने विरोध किया था. बाद में मस्क ने खरीदारी की राशि को बढ़ाकर 46.5 अरब डॉलर कर दिया था. ट्विटर में विरोध बढ़ने के बाद मस्क ने कहा था कि वे यदि यह सौदा नहीं होता है तो वे खुले बाजार से शेयर खरीदकर अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएंगे.
मस्क ने ट्विटर को 54.20 डॉलर प्रति शेयर की दर से खरीदा है. इस कीमत पर भी यह मस्क के लिए फायदे का सौदा रहा है. ट्विटर के शेयर का 52 सप्ताह का उच्च स्तर 73.34 डॉलर प्रति यूनिट रहा है. इस हिसाब से मस्क की यह खरीदारी 19.14 डॉलर प्रति शेयर सस्ती रही है. मस्क को रोकने के लिए ट्विटर ने शेयरहोल्डर राइट्स प्लान को मंजूरी भी दे दी थी. मस्क के प्रस्ताव को लेकर शेयरधारकों में संशय बना हुआ था.
मस्क के प्रस्ताव को ट्विटर के प्रमुख निवेशक सऊदी के प्रिंस अल वालेद बिन तलाल अल सउद ने ठुकरा दिया था. उन्होंने कहा था, मुझे नहीं लगता कि प्रस्ताव इसके असली मूल्य के आसपास है. एलन मस्क ने डील की घोषणा करते हुए एक बयान में कहा, ‘बोलने की आजादी एक कामकाजी लोकतंत्र का आधार है और ट्विटर डिजिटल टाउन स्क्वायर है जहां मानवता के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण मामलों पर बहस होती है. मैं नई सुविधाओं के साथ उत्पाद को बढ़ाकर, विश्वास बढ़ाने के लिए एल्गोरिदम को खुला स्रोत बनाकर, स्पैम बॉट्स को हराकर और सभी मनुष्यों को प्रमाणित करके ट्विटर को पहले से बेहतर बनाना चाहता हूं.’
उन्होंने कहा, ‘ट्विटर में जबरदस्त क्षमता है. मैं कंपनी और उपयोगकर्ताओं के समुदाय के साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं.’ एलन मास्क ने ट्विटर के ख़रीदने के पीछे की वजह फ़्री स्पीच को बताया है. दरअसल एलन मास्क ने कहा था कि ट्विटर में काफी पोटेंशियल है, लेकिन इसके लिए कंपनी को प्राइवेट बनाना होगा. अब चूँकि मस्क कंपनी खरीद ली है तो अब जो भी उन्होंने वादे किए हैं वो जल्द ही दिखने शुरू हो सकते हैं.
कैसे हुई ट्विटर की शुरुआत ?
क्या आपको पता है कि ट्विटर का सफर एक पॉडकास्टिंग प्लेटफॉर्म से शुरू हुआ. आइए जानते हैं कि एक पॉडकास्टिंग प्लेटफॉर्म से ट्विटर बनने का सफर आखिरकार कंपनी ने कैसे तय किया है ? आखिर कैसे Odeo से Twttr और फिर Twitter तक का सफर अपने मुकाम तक पहुचा है. गूगल के पूर्व कर्मचारी इवान विलियम्स और बिज़ स्टोन ने एक स्टार्टअप शुरू किया था, जो कि एक पॉडकास्टिंग प्लेटफॉर्म था. इस पॉडकास्टिंग प्लेटफॉर्म का नाम Odeo था जिसमें जैक डोर्सी और नोआन ग्लास भी साथ में काम करते थे.
इस Odeo पॉडकास्टिंग प्लेटफॉर्म की शुरुआत 2005 की गयी थी. ये पॉडकास्टिंग प्लेटफॉर्म किसी भी मैसेज को एमपी3 में बदलकर मोबाइल नंबर के जरिए प्रसारित करता था. Odeo को टक्कर देने के लिए एप्पल ने अपना पॉडकास्टिंग प्लेटफॉर्म iTunes साल 2005 में ही लॉन्च कर दिया. इसी समय नोआन ग्लास और इवान विलियम्स को महसूस हुआ कि उनका Odeo पॉडकास्ट उतना नहीं सुना जा रहा, जितना की उन्होंने सोचा था. आईट्यून्स इस मामले में उनके आगे निकल रहा है.
इवान विलियम्स का समझ में आ गया था कि Odeo का भविष्य पॉडकास्टिंग में नहीं है. उन्होंने अपने साथी कर्मचारियों से नए सजेशन की डिमांड की. उस दौरान नोआन ग्लास ने कंपनी के सबसे बेहतरीन कर्मचारी और को-फाउंडर जैक डोर्सी से बातचीत की तो उन्होंने Twttr के बारे में बताया जो कि कुछ आकर्षक था. फरवरी 2006 में नोआन ग्लास, जैक डोर्सी और एक जर्मन डेवलपर फ्लोरियन वेबर ने कंपनी के सभी सदस्यों के सामने Twttr का प्लान पेश किया.
इस प्लान में इवान विलियम्स को संदेह था लेकिन उन्होंने नोआन ग्लास को इस परियोजना का प्रभारी बना दिया. ट्विटर का आइडिया फाउंडर टीम को Flickr शब्द सुनकर आया, जिसके बाद उन्होंने इस नीली चिड़िया वाली ड्रीम कंपनी को twttr कह कर पुकारा. जैक डोर्सी ने 21 मार्च 2006 को पहला ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा- ‘just set up my twttr.’ जुलाई 2006 में इसे लॉन्च किया गया.
15 जुलाई, 2006 तक ट्विटर की माइक्रोब्लॉगिंग सेवा आधिकारिक रूप से आम जनता के लिए शुरू की गयी. आगे चलकर अक्टूबर 2006 में विलियम्स, स्टोन और डोर्सी ने ओडियो के निवेशकों और शेयरधारकों से इसकी अधिकांश संपत्ति का अधिग्रहण कर लिया. अब ये कंपनी twttr से Twitter बन गयी थी. वर्तमान में भारतवंशी पराग अग्रवार ट्विटर के सीईओ हैं. मस्क के साथ कंपनी का डील फाइनल होने पर उनकी ओर से जो प्रतिक्रिया दी गयी है, इसमें उन्होंने कहा है कि ‘कंपनी का भविष्य अंधेरे में है.’
जनवादी ताकतों के खिलाफ राजकीय दमन का हथियार बनेगा ट्विटर
दक्षिणपंथी एलन मस्क के हाथों की मिल्कियत बनी टि्वटर, अब अपने नये मालिक के हाथों की कठपुतली बनकर दुनियाभर के दक्षिणपंथियों के ऐजेंडा पर काम करेगी और तमाम जनवादी ताकतों पर राजकीय दमन को प्रोत्साहित करेगी. इस बात की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि रुस के द्वारा यूक्रेन में चलाये जा रहे स्पेशल ऑपरेशन में एलन मस्त ने जिस तरह बढ़चढ़कर कर हिस्सेदारी ली और यूक्रेन के फासीवादी जेलेंस्की के समर्थन में अपने सेटेलाइट इंटरनेट का खुलकर इस्तेमाल किया, एलन मस्क टि्वटर का भी इस्तेमाल हथियार की तरह नहीं करेगा, इसकी संभावना बेहद कम है.
टि्वटर के रुप में एलन मस्त के हाथों में एक भयानक हथियार मिल गया है, जिसका इस्तेमाल वह जनवादी ताकतों के दमन में करेगा. जिस तरह गूगल मैप की सैटेलाइट तकनीक का इस्तेमाल कर रुस के मास्कोवा युद्धपोत को डुबोने में प्रयोग किया गया, जल्दी ही एलन मस्क की ट्विटर भी अमेरिकी साम्राज्यवादी के साथ मिलकर युद्ध में भूमिका निभायेगा. जनवादी ताकतों को अब ट्विटर की बदलती भूमिका के प्रति सतर्क हो जाना चाहिए.
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