यह बार-बार प्रचारित किया जाता है कि मुसलमान चार शादी करते हैं, जबकि यह संभव नहीं है. ऐसा करने के लिए पुरुष के मुकाबले स्त्रियों का चार गुना होना जरूरी है जबकि मुसलमानों में स्त्रियां 1000 पुरुष के मुकाबले 951 है. (यह अनुपात हिंदुओं के मुकाबले मुस्लिमों में बेहतर है, जबकि हिंदू स्त्रियों को देवी मान कर पूजा की बात करता है.)
अब मान लो कि किसी व्यक्ति की 4 या 4 से ज्यादा पत्नियां है. उस व्यक्ति के एक बेटे को देखकर कुछ पत्नियां कामासक्त हो गई तो कसूर किसका होगा ? पत्नियों का, बेटे का या पत्नियों के पति का ? मेरे अनुसार तो कसूर बेटे का तो बिल्कुल नहीं है और पत्नियों का भी नहीं है बेशक वह कामासक्त हुई.
परशुराम की माता रेणुका एक राजा को रानियों के साथ नदी में नहाते और क्रीड़ा करते देख कर काम भावना पैदा हुई तो परशुराम का पिता जमदग्नि क्रोधित हो कर अपने बेटे परशुराम को रेणुका का वध करने का आदेश देता है और परशुराम वध कर भी देता है. गौतम की पत्नी अहिल्या ने भी यह जानते हुए भी कि आगुंतक उसके पति के वेश में उसका पति नही बल्कि इंदर है, उसके साथ संभोग किया.
खुद ब्रह्मा और कृष्ण का भी स्त्रियों को देख कर वीर्य गिरता रहता था. ऋषियों का भी यही हाल था, तब ऋषियों के पत्नियों का क्या दोष ? यह तो सामान्य बात है. अगर स्त्रियों दोषी हैं तो ऋषियों को और भगवानों को दोष क्यों नहीं ?
आज की कहानी भविष्य महापुराण जो ‘हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग’ ने प्रकाशित की है, पर आधारित है. प्रकाशक के अनुसार इस पुराण की पांडुलिपि गोरखपुर यूनिवर्सिटी के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर रामजी तिवारी ने उपलब्ध करवाई है.
कृष्ण की एक पटरानी जम्बवंती का बेटा साम्ब को देख कर सभी 16000 पत्नियां कामासक्त हो गई तो कृष्ण ने सभी पत्नियों और साम्ब को श्राप दे दिया. कहानी तो यही है लेकिन कहानी की शब्दावली पढ़ कर मजा आयेगा, इसलिए जरूर पढ़ें.
कहानी है भविष्य महापुराण के ब्राह्म पर्व के सप्तमी कल्प के साम्बकृत सूर्यार्धन वर्णन नामक 72/73 वे अध्याय में. शाम्ब या साम्ब नारद मुनि का अपमान करता रहा, जिससे चिढ़कर नारद ने जानबूझ कर कृष्ण को यूं कहा –
‘आपकी यह 16000 स्त्रियां साम्ब को प्रेम करती हैं, क्योंकि चराचर लोक में उसके समान कोई सुंदर नहीं है. ये स्त्रियां सदैव उसको देखने के लिए ललायित रहती हैं.’ कृष्ण ने मन में सोचा कि नारद की बात असत्य नहीं हो सकती. लोक में सुना भी जाता है स्त्रियां चपल होती है.
स्त्रियों के मन को समझने वाले ब्राह्मण लोगों का कहना है कि संभवत: व्यभिचारणी, चपल और स्नेहहीन स्त्रियां पुरुषों द्वारा रक्षित होने के बावजूद पति से असंतुष्ट हो जाती हैं. इस भांति रूप परीक्षा, अवस्था और सुरूप, कुरूप की और इनका कोई ध्यान नहीं रहता, क्योंकि ये केवल पुरुष के आकार मात्र को चाहती हैं.
(स्त्रियों को केवल पुरुष ही चाहिए इसके लिए यह पुरुष की उमर और सुंदरता भी नही देखती. ऐसा ही तुलसीदास ने अपनी रामचरितमानस में स्त्रियों के बारे में लिखा है. भ्राता पिता पुत्र उरगारी । पुरुष मनोहर निरखत नारी।। होइ बिकल मन सकइ न रोकी। जिमि रवि मनि द्रव रविहिं विलोकी।। अरण्यकाण्ड.16.3 अर्थात स्त्री भाई, पिता और पुत्र भी नहीं देखती, बस पुरुष आकार देख कर ही विकल हो जाती हैं.) (1 और 2)
कृष्ण ने नारद से कहा कि मुझे विश्वास नहीं हो रहा तो नारद ने कहा कि वह ऐसा कुछ करेंगे जिस से विश्वास हो जाएं, ऐसा कह कर चले गए. फिर किसी दिन आए तो कृष्ण अपनी 16000 पत्नियों के साथ जलक्रीड़ा करके बाग में मस्ती कर रहे थे. जब स्त्रियां मद्यपान से प्रबुद्ध हो गई (शराब के नशे में डूब गई) तब नारद ने साम्ब के पास जा कर कहा कि आप को महाराज ( कृष्ण ) ने बुलाया है जल्दी चलिए. साम्ब बिना सोचे विचारे नारद के कहने पर एकदम वहां पहुंच गया जहां कृष्ण अपनी रानियों के साथ था. रानियों ने साम्ब को देखा और मन में विकार आ गया. (3)
मद्यपान के कारण स्मृति नष्ट हो जाने से तथा अल्प सत्व के कारण सम्भावत: उनकी जांघें गीली हो गई. पुराणों में भी यह बात प्रसिद्ध है कि ब्रह्मचारिणी होते हुए भी सती स्त्रियों की योनि अत्यंत मनोहर पुरुष को देखकर मैथुन के लिय तर यानी रसर्पूण हो जाती है. लोक में देखा भी जाता है कि मद्यपान के कारण लज्जाशील स्त्रियां भी लज्जा छोड़कर निर्भय हो जाती है क्योंकि मास का भोजन, उत्तम आसव का सेवन और सुगंध पूर्ण उत्तम वस्त्रों का धारण करना स्त्रियों के लिए काम उत्पादक बताएं गए हैं.
नारद भी साथ ही वहां आ गए जिसे देख कर सभी स्त्रियां सम्मान देने के लिय खड़ी हो गई लेकिन यह क्या सभी स्त्रियों के योनि का पानी कपड़ों से निकल कर पत्तों पर गिरा, जिसे देख कर कृष्ण को क्रोध आया और श्राप देने के लिये बोला कि तुम मुझे छोड़ कर किसी और के लिये तुम्हारा मन आसक्त हो रहा है इसलिए तुम्हें पतिलोक और स्वर्गमार्ग की प्राप्ति अंत में होगी.
पतिलोक और स्वर्ग से भ्रष्ट के कारण उस समय अनाथ होने के कारण तुम्हे चोरों के अधीन रहना पड़ेगा. कृष्ण ने फिर अपने पुत्र साम्ब को भी श्राप दिया कि तुम्हारे इस रूप के कारण इन स्त्रियों के मन में कामवासना उत्पन्न हुई इसलिए तुम्हें कोढ़ हो जायेगा. (4 और 5)
- अशोक तर्कशील
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