गिरीश मालवीय
एक वक्त हुआ करता था जब यूरोप के किसी देश का प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति भारत आता था तो सबसे पहले दिल्ली आता था और उसकी पहली भेंट प्रधानमंत्री या विदेशमंत्री से रखी जाती थी. पॉलिसी मैटर और दोनों देशों के बीच रिश्तों के संदर्भ दोनों मिलकर एक साझा बयान देते थे लेकिन अब जमाना कितना बदल गया है, नीचे खुद देख लीजिए.
आखिर ऐसी कौन सी डील हो रही थी कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को स्वयं अहमदाबाद से कुछ किलोमीटर दूर जाकर अदानी समूह के मुख्यालय में जाकर गौतम अडानी से मिलना पड़ा ? वैसे यह सवाल भारत के प्रमुख अखबारों को उठाना चाहिए था लेकिन उन्हें बुलडोजर से फुर्सत ही नहीं मिल रही है कल.
इस मुलाकात के संदर्भ में अडानी समूह ने एक बयान जारी कर बताया कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री और समूह के अध्यक्ष गौतम के बीच की बैठक के एजेंडे में रक्षा क्षेत्र में सहयोग का मुद्दा सबसे ऊपर था. अडानी ग्रुप ब्रिटिश कंपनियों के साथ डिफेंस और एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी सेक्टर में काम करेगा. अडानी ने भारत में तीन सौ से अधिक विभिन्न श्रेणियों के रक्षा उपकरणों को लेकर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की मंशा जाहिर की है.
अडानी ग्रुप ने कहा कि भारत 2030 तक भारतीय सशस्त्र बलों को अपग्रेड करने के लिए निर्धारित तीन सौ बिलियन के निवेश के साथ, अडानी ग्रुप रडार, जासूसी, मानव रहित और रोटरी प्लेटफॉर्म के साथ हाइपरसोनिक इंजन सहित कई क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
दरअसल अडानी की नजर भारत के रक्षा सौदों पर जमी हैं. वह अच्छी तरह से जानता है कि अगले कुछ सालों में मोदी सरकार बड़े पैमाने पर हथियारो और सुरक्षा से जुड़े सौदे करने वाली है. यहां उसका मुकाबला टाटा ग्रुप, महिंद्रा, रिलायंस डिफेंस और L&T जैसी बड़ी कंपनियों से है क्योंकि मोदी सरकार ने डिफेन्स डील में मेक इन इण्डिया नीति, 2016 में लागू कर दी थी. ये कंपनियां भी बड़े मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट्स हासिल करने की कोशिश कर रही हैं.
आप कहेंगे कि इसमें क्या गलत है ? दरअसल अडानी ग्रुप ने डिफेन्स के डील के लिए जिस कम्पनी का टेक ओवर किया उसका इतिहास बेहद विवादित रहा है और उस कम्पनी के पुराने मालिक का ब्रिटेन से सीधा संबंध है. आदानी ने 2017 में ब्रिटेन की एक कम्पनी अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड में 400 करोड़ रुपये में एक बड़ी हिस्सेदारी खरीद ली थी. दरअसल अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज के पास भारत में रक्षा उपकरण बनाने का औद्योगिक लाइसेंस था.
अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज भारत के सबसे बड़े हथियार डीलर सुधीर चौधरी की अग्रणी कंपनी हुआ करती थी. चौधरी एक ब्रिटिश नागरिक हैं. उन्हें ब्रिटेन में लिबरल डेमोक्रेट्स के एक दीर्घकालिक समर्थक के रूप में जाना जाता है और उन्होंने 2004 से पार्टी को आर्थिक रूप से समर्थन दिया है.
हथियारों के सौदागरों की स्याह दुनिया में सुधीर चौधरी को बन्नी के नाम से बुलाया जाता है. हथियार से जुड़ी लॉबिंग की दुनिया में सुधीर चौधरी बहुत बड़ा और बहुत बदनाम नाम हैं. सुधीर चौधरी का नाम कुख्यात पनामा पेपर्स में सबसे बड़े खाताधारकों में आया था. भारत में रक्षा में ऑफसेट कार्यक्रम के लाभार्थियों में से सुधीर चौधरी एक रहे हैं.
भारत मे एक सीबीआई जांच मे पता चला कि 2008 में 1125 करोड़ रुपये के बराक मिसाइल सौदे में हथियार दलाल एस एम नंदा और सुधीर चौधरी ने लाखों डॉलर कमाए थे
सुधीर चौधरी और उनके पुत्र दोनों को 2014 में लंदन में एक एसएफओ जांच के हिस्से के रूप में गिरफ्तार किया गया था, उन पर कथित तौर पर चीन और इंडोनेशिया में डील कराने के लिए रोल्स रॉयस को रिश्वत देने में मदद करने का आरोप था. भारत में भी रोल्स रॉयस सौदे की तरफ उंगली उठी रक्षा मंत्रालय ने रोल्स-रॉयस से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा एयरो इंजन की खरीद की सीबीआई जांच का भी आदेश दिया.
ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन’ और बीबीसी ने खुलासा किया है कि ब्रिटिश रक्षा कंपनी रॉल्स रॉयस ने भारत में हॉक एयरक्राफ्ट के इंजन का सौदा पाने के लिए एक बिचौलिये सुधीर चौधरी को पैसे दिए गए.
साफ़ था कि 2014 तक सुधीर चौधरी डिफेन्स डील के क्षेत्र पर्याप्त रूप से बदनाम हो चुके थे लेकिन भारत में उनकी कम्पनी के पास भारत में रक्षा उपकरण बनाने का औद्योगिक लाइसेंस था. अब यहां गौतम अडानी आगे आते हैं और अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज का सबसे बडा हिस्सा खरीद लेते हैं. इस प्रकार अदानी डिफेंस सिस्टम्स द्वारा अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज का अधिग्रहण कर लिया जाता हैं.
लेकिन टेक्नोलॉजी तो मूल रूप से यूके के पास है. सुधीर चौधरी तो सिर्फ उनके लिए लॉबिंग कर दलाली वसूल रहे थे इसलिए अब सीधे यूके के प्रधानमन्त्री को गौतम अडानी से मिलना पड़ रहा है.
आर.पी. विशाल इस मिलन पर लिखते हैं – आज दो देशों के असली राष्ट्राध्यक्ष मिले. अंग्रेजों की अपनी मशीन (JCB) Joseph Cyril Bamford पर चढ़कर अंग्रेज प्रधानमंत्री ने संदेश दिया कि अंग्रेजों की चीजें ‘फूट डालो, राज करो’ की नीति आज भी भारत में सटीक कार्य कर रही है. इस तरह ईस्ट इंडिया कम्पनी से लेकर मेक इन इंडिया तक की तस्वीर, स्वतः बनती गयी.
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