भाजपा के एजेंट दिल्ली सरकार में मुख्य सचिव के पद पर विराजमान अंशु प्रकाश का आम आदमी पार्टी के खिलाफ लगाये गये झूठे आरोपों का अनुमान देश व दिल्ली की जनता पहले ही लगा चुकी थी. बस सवाल यह था कि इस बार भाजपा अपने एजेंटों के माध्यम से कौन-सा आरोप आम आदमी पार्टी सरकार के ऊपर लगाने वाली है. दो दिन पहले किया गया उपरोक्त ट्वीट देश के आम नागरिक को डराने के लिए काफी है. कहना न होगा आम आदमी पार्टी के गठन के साथ ही भाजपा अरविन्द केजरीवाल और उसके सरकार के साथ जिस तरीके से सार्वजनिक और छिपे तौर पर बदनाम करने, जलील करने, खरीदने, डराने, धमकाने और खुद में मिला लेने को जिस प्रकार बेकरार है, उसकी बानगी इस ट्वीट में आम आदमी का झलकता डर दिखता है, साथ ही आम आदमी पार्टी के प्रति अगाध प्रेम और अपनत्व भी.
जिस प्रकार भारतीय जनता पार्टी देश भर में घोटाले-महाघोटाले को अंजाम देने में लगी हुई है, तमाम घोटालेबाजों को सही-सलामत देश से बाहर निकालकर विदेश में हजारों करोड़ रूपयों के साथ विदा कर रहे हैं. इस कारण देश भर में जिस प्रकार कोहराम मच गया है, ऐसे में आम आदमी पार्टी की उपलब्धि पर भाजपा का गश खाना लाजिमी है.
इसी कड़ी में दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार को बदनाम करने के लिए भाजपा ने उच्चस्थ अधिकारी दिल्ली सरकार के तहत काम कर रहे मुख्य सचिव को अपना हथियार बनाया. भाजपा के एजेंट बनें दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश जिस प्रकार बाहर मीडिया में जाकर दिल्ली सरकार पर अनाप-शनाप आरोप लगा रहे हैं, वे निश्चित रूप से देश में दिल्ली के आम नागरिकों के हक-अधिकार का हनन करने का नया साजिश है.
दरअसल मुख्य सचिव अंशु प्रकाश भाजपा और केन्द्र सरकार के प्रति अपनी स्वामीभक्त दिखाने के लिए जिस प्रकार आम आदमी पार्टी के ऊपर आरोप लगा रही है, वह भाजपा की काम न करने और घोटाले करने की संस्कृति का ही एक हिस्सा है. चूंकि आम आदमी पार्टी के शासनकाल में दिल्ली में कार्यरत् भ्रष्ट अधिकारियों को घोटाले करने का अवसर केन्द्र सरकार की खुली छूट के बावजूद काफी कम है, इस कारण इन भ्रष्ट अधिकारियों में आम आदमी पार्टी की सरकार के प्रति नफरत का पैदा होना लाजिमी है. जिस कारण आम जनता के टैक्स के पैसे पर पल रहे ये पिस्सु आम आदमी पार्टी के खिलाफ गोलबंद होने की काशिश कर रहे हैं. इनका एसोसिएशन भी इन्हीं पिस्सुओं का संगठन है, जिसका औचित्य केवल भ्रष्टाचारियों को बचाने और भ्रष्टाचार करने में निहित है.
लगभग 2.5 लाख लोगों को पिछले महीने भर से राशन नहीं मिल सका था. इसका कारण था आधार कार्ड का गलत तरीके से लागू होना. जिसकी वजह से दिल्ली सरकार के विधायकों पर जनता का भारी दवाब था. इसी मामले में विधायकों की एक मीटिंग मुख्यमंत्री आवास पर बुलाई गई. इसी मीटिंग में मुख्य सचिव ने सभी सीमाएं तोड़े हुए किसी भी विधायक और मुख्यमंत्री के सवालों का जवाब देने से साफ मना कर दिया. बकौल मुख्य सचिव, ‘‘वह सिर्फ उपराज्यपाल के प्रति जवाबदेह है.’’ चुनी हुई सरकार के मुख्यमंत्री या विधायकों को जनहित के प्रश्नों पर कोई जवाब न देना यह मुख्य सचिव के कौन से अधिकार क्षेत्र में आता है ? इतना ही नहीं मुख्य सचिव ने कई विधायकों के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का भी इस्तेमाल किया और बिना किसी सवाल का जवाब दिए वहां से निकल लिए. मुख्य सचिव का यह कदम न केवल बेहद अलोकतांत्रिक ही है वरन् गैर-संवैधानिक भी.
दिल्ली समेत देश का हर नागरिक अब यह अच्छी तरह समझ चुका है कि भाजपा का नेतृत्व और केन्द्र की भाजपा सरकार हद दर्जे की नीचता के साथ जनविरोधी है. वह केवल घोटाला करने और घोटालों में अपना हिस्सा पाने भर की सरकार रह गई है. उसका मुख्य काम ही यही रह गया है कि देश भर में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना और भ्रष्टाचारियों का हिफाजत करना मात्र है. ऐसे में आम आदमी पार्टी के खिलाफ भाजपा की हर हरकत को देश की जनता अच्छी तरह समझ रही है, जिसका माकूल जवाब देश की जनता दे भी रही है और आगे भी भलीभांति देगी. दिल्ली की जनता भी दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश की दलाली और भ्रष्ट कार्यशैली से इत्तेफाक नहीं रखती है. दिल्ली ही नहीं वरन् देश की आम जनता, आम आदमी पार्टी की हिफाजत हर प्रकार से करेंगी. एक भ्रष्ट उच्चस्थ अधिकारी के ये तथाकथित आरोप तिनके की तरह हल्के है, जिसे समझने में आम आदमी को पल भर भी नहीं लगेगा.
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S. Chatterjee
February 20, 2018 at 11:34 am
अगले चुनाव में बची हुई तीन सीटें भी जाएगी
Uday
February 20, 2018 at 2:22 pm
अडंगेबाजी की तो हद हो रही है..
Ramesh Pujari
February 20, 2018 at 5:08 pm
मुख्य सचिव के आरोपों के पीछे की सच्चाई क्या है???
लगभग ढाई लाख लोगों को पिछले महीने भर राशन नहीं मिल सका, कारण था आधार कार्ड का गलत तरीके से लागू होना। जिसकी वजह से दिल्ली सरकार के विधायकों पर जनता का भारी दवाब था। इसी मामले में विधायकों की एक मीटिंग मुख्यमंत्री के घर पर बुलाई गई। इसी मीटिंग में मुख्य सचिव ने सभी सीमाएं तोड़ते हुए किसी भी विधायक और मुख्यमंत्री के सवालों का जवाब देने से मना कर दिया। मुख्य सचिव ने कहा कि वह सिर्फ उपराज्यपाल के प्रति जवाबदेह है। चुनी हुई सरकार के मुख्यमंत्री या विधायकों को जनहित के प्रश्नों पर कोई जवाब ना देना कौन भला अधिकारी करता है? इतना ही नहीं, मुख्य सचिव ने कई विधायकों के खिलाफ़ आपत्तिजनक शब्दों का भी इस्तेमाल किया और बिना किसी सवाल का जवाब दिए वहां से निकल गए। ये तो बेहद अलोकतांत्रिक और गैरसंवैधानिक है।
अब इस घटना के बाद मुख्य सचिव बेसिरपैर के आरोप लगा रहे हैं। फटाफट भाजपा के सभी कतारबद्ध होकर मुख्य सचिव महोदय का बचाव कर रहें हैं, एक ही सुर में। तो इससे एक बात तो साफ़ है कि वे सबकुछ भाजपा के इशारे पर कर रहे हैं। भाजपा अब इतनी नीचे गिर गई है कि दिल्ली सरकार के कामकाज रोकने के लिए LG और अधिकारियों का इस्तेमाल कर रही है। भाई, अगर राशन ठीक से मिलने लगेंगे तो किसका भला होगा? दिल्ली की जनता का। लेकिन भाजपाइयों जनता की भलाई से सरोकार नहीं, बस उन्हें अपनी गंदी राजनिति की दुकान चलाने से मतलब है। सोचिये ज़रा, अगर मुख्य सचिव इस तरह के ऊटपटांग आरोप लगा सकते हैं, तो बहुत मुश्किल नहीं है ये समझना कि दिल्ली सरकार भाजपा की रुकावटों के बावजूद किस तरह से काम कर रही है।
यहाँ इस बात पर भी ध्यान देना ज़रूरी है कि ये पूरी मीटिंग जनता को मिलने वाले राशन के संदर्भ में थी न कि विज्ञापनों के लिए, जैसा कि मीडिया में दिखाया जा रहा है। यानी पूरा मामला दिखाता है कि किस तरह भाजपा, दिल्ली सरकार के खिलाफ षड्यंत्र करने में लगी है।
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