विश्व गुरु बनने की सनक ने भारत को दुनिया की निगाह में न केवल हास्यास्पद ही बना दिया है बल्कि आये दिन तमाम पड़ोसी देशों के साथ भी संबंध खराब होते जा रहे हैं. मालूम हो कि मोदी सरकार अमेरिकी साम्राज्यवाद का पुछल्ला बनने के लिए अपने तमाम पड़ोसी देशों के साथ संबंध खराब कर रहा है. पाकिस्तान के साथ तो पहले से ही संबंध खराब है और अमेरिकी साम्राज्यवाद के उकसावे पर चीन के साथ भी संबंध खराब कर लिया है, जिसके कारण गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की लाशें बिछ गई. और अब नेपाल के साथ सदियों पुरानी मैत्री पर भी जंग लग चुकी है.
बहुत दिन नहीं बीतें हैं जब मोदी शासनकाल में इतिहास में पहली बार नेपाली सशस्त्र बल ने भारतीय नागरिकों पर गोलियां बरसाई और मार डाला. नेपाल, जिसके साथ हमारा न केवल सांस्कृतिक एकता की पुख्ता बुनियाद मौजूद रहा है बल्कि बेटी-रोटी का भी रिश्ता रहा है, के साथ मोदी सरकार ने अमेरिकी साम्राज्यवाद के इशारे पर संबंध को दुश्मनागत बना दिया, जिसका परिणाम हमें आगे और भी विभत्स देखने होंगे.
‘हिन्दुस्तान’ अखबार की खबर के अनुसार भारत और नेपाल के बीच दशकों पुराने रोटी-बेटी के रिश्ते में नए-नए नियमों की दीवार खड़ी हो रही है. पड़ोसी देश नेपाल से रिश्तों के कायदे बदलने का असर दोनों के मध्य होने वाले कारोबार पर भी पड़ा है, खासकर पिछले तीन वर्षों में काफी बदलाव आया है. तल्खी का ही असर है कि नेपाल सरकार ने पोरस बॉर्डर की खुली सीमा को आर्म्ड पुलिस फोर्स के हवाले कर दिया.
सीमा पर बसे भारतीय क्षेत्र नवाबगंज के पूर्व मुखिया अरविंद यादव बताते हैं, पहले बड़े पैमाने पर सीमा के उस पार भी खेतीबाड़ी के लिए लोग आते-जाते थे. नेपाल में कई लोगों ने जमीन खरीद रखी है. जैसे-जैसे नेपाल में कानून सख्त होते चले गए, खेतीबाड़ी का सिलसिला थमता चला गया. पिछले दो-तीन सालों में यह परिस्थिति तेजी से बदली. खासकरहा निवासी मदन ठाकुर का कहना है कि तीन साल पहले तक बेटी-रोटी के रिश्ते में काफी प्रगाढ़ता थी. नागरिकता कानून में बदलाव के चलते अब नेपाल के बजाय भारतीय क्षेत्र में ही अपनी बेटियों की शादी करना चाहते हैं.
महज 2020 और 2021 में शादी विवाह में 90 फीसदी तक की गिरावट आयी. जोगबनी बॉर्डर स्थित कस्टम अधिकारी एवं इमीग्रेशन चेक पोस्ट के अधिकारी बताते हैं फरवरी से जून तक चार से पांच सौ की संख्या में दूल्हा-दुल्हन का प्रवेश होता था. अब वैसा नजारा बिल्कुल नहीं देखने को मिलता है. 40-50 शादियां बमुश्किल इस साल हुई.
दो-तीन साल पहले दोनों देशों की सीमा से सटे बड़े बाजारों में प्रतिदिन करोड़ों का कारोबार होता था, जो अब लाखों में सिमट गया है. जोगबनी (भारत) और विराटनगर (नेपाल) जैसे बाजार एक-दूसरे के लोगों से पटा रहता था. नेपाल के लोग भारत से चावल, खाद, दूध आदि ले जाते थे तो भारतीय श्रृंगार की सामग्री, कपड़े और चाइनीज सामान लाकर अपनी रोजी-रोटी चलाते थे. जोगबनी के कपड़ा व्यवसायी किशन अग्रवाल बताते हैं कई व्यवसायी यहां से पलायन कर गये. कई ने रोजगार बदल लिये. परिणास्वरूप दोनों तरफ के बाजारों की रौनक में कमी आयी है.
आयात शुल्क और नागरिकता कानून
करीब दो साल पहले नेपाल में नया कानून बना. नेपाल में शादी होने के बाद महिला के साथ-साथ उनकी होने वाली संतान पर भी नेपाली नागरिकता पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी गयी है. इस वजह से दोनों देशों के बीच होने वाले रिश्तों में लगातार गिरावट आ रही है. अररिया जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष उद्योगपति मूलचंद गोलछा ने बताया कि नेपाल की टैक्सेशन नीति से भारतीयों का कारोबार प्रभावित हुआ है.
नेपाल ने पिछले साल आयात शुल्क थोप दिया है. धान एवं गेहूं पर आयात शुल्क 3 प्रतिशत कर दिया हैं, वहीं चावल, आटा आदि पर 8 प्रतिशत. नेपाल तीन प्रतिशत आयात शुल्क पर धान और गेहूं की खरीदारी कर खुद आटा चावल का उत्पादन कर अपने देश में आपूर्ति कर रहा है.
केन्द्र की मोदी सरकार के विदेश नीति की यह विफलता ही है कि भारत के साथ सदियों से बेटी-रोटी का रिश्ता निभ रहे नेपाल के साथ अब दुश्मनागत संबंध विकसित हो गये हैं. अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब भारत से नेपाल जाने के लिए भी वीजा-पासपोर्ट की जरूरत पड़ने लगे.
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