सौमित्र राय
इस हफ़्ते तेल की क़ीमत 185 डॉलर प्रति बैरल पहुंच सकती है. भारत में पेट्रोल 200 के पार जा सकता है. बैंक ऑफ अमेरिका के विश्लेषकों का कहना है कि रूस के तेल का ज़्यादातर निर्यात थम गया है और इसमें हर दिन 50 लाख बैरल की गिरावट आ सकती है. इसका मतलब है कि कच्चे तेल की क़ीमत 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है.
दुनिया को इस झमेले से एक अकेला ईरान ही बचा सकता है और अमेरिका उसके साथ 2015 के परमाणु समझौते को बहाल करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन रूस ने शर्त रखी है कि यूक्रेन पर हमले को लेकर लगाई गई पाबंदी के कारण ईरान के साथ उसके कारोबार प्रभावित नहीं होने चाहिए. यानी मामला अमेरिकी पाले में फंस गया है. इजराइली पीएम नताली बेनेट रूस इसीलिए भागे थे, ताकि मामला और उलझाया जा सके.
इजरायल ईरान से खौफ़ खाता है. रूस भी सीरिया के विद्रोहियों को मदद करता है और अब तो 300 डॉलर की सैलरी पर यूक्रेन में लड़ाकों की भर्ती भी कर रहा है. हालांकि, पुतिन ने बेनेट से कहा है कि वे पहले अपने दोस्त बाइडेन को समझाएं. जो भी हों, इस साल के आखिर तक तेल के दाम 200 डॉलर से कम नहीं होने वाले. यानी भारत का दिवालिया होना तय है.
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सूत्र बता रहे हैं कि जीएसटी काउंसिल सबसे निचली कर दर को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 8 प्रतिशत करने पर विचार कर सकती है. अभी जीएसटी में टैक्स की दर 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी है. इसके अलावा राजस्व बढ़ाने और क्षतिपूर्ति के लिए केंद्र पर राज्यों की निर्भरता खत्म करने के लिए जीएसटी प्रणाली में छूट वाले उत्पादों की सूची में भी काट-छांट की जा सकती है.
निचले स्लैब में एक फीसदी की वृद्धि करने पर सालाना 50,000 करोड़ रुपये का राजस्व लाभ होगा. यानी 5-8% कर सरकार हर महीने 1.5 लाख करोड़ जुटाना चाहती है. इस स्लैब में पैकेटबंद खाद्य पदार्थ आते हैं. टैक्स प्रणाली को तर्कसंगत बनाने के लिए मंत्री समूह इसका ढांचा तीन स्तरीय करने पर भी विचार कर रहा है, जिसमें कर की दर 8 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी रखी जा सकती है.
अगर ऐसा हुआ तो पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी से पिसती जनता की कमर जीएसटी के कारण बढ़ी कीमतों के चलते पूरी तरह से टूट जाएगी. धर्म की अफीम चाटने की आदत डालिये, पेट में रोटी का जुगाड़ भले हो न हो.
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