हेमन्त कुमार झा
क्रिकेट की बाइबिल कही जाने वाली ‘विजडन’ ने उन्हें सदी के 5 महानतम क्रिकेटरों की सूची में डॉन ब्रैडमैन, जैक हॉब्स, गैरी सोबर्स और विवियन रिचर्ड्स के साथ शामिल किया था. बावजूद इसके कि टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट लेने का उनका रिकार्ड एक और महान स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने तोड़ दिया था. लेकिन विशेषज्ञों के बीच इस में कभी दो राय नहीं रही कि शेन वार्न क्रिकेट इतिहास के महानतम स्पिनर थे.
ओल्ड ट्रैफर्ड में 4 जून, 1993 को एशेज सीरीज में माइक गैटिंग को फेंकी उनकी गेंद ‘बॉल ऑफ द सेंचुरी’ करार दी गई थी. यूट्यूब पर इस वीडियो को इतनी बार देखा गया कि तमाम रिकार्ड टूट गए. कहा जाता था कि उनमें ऐसा हुनर है कि वे बर्फ की पिच पर भी गेंद को टर्न करा लेंगे. शताब्दी की गेंद जो उन्होंने फेंकी वह अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय टर्न लेती हुई गैटिंग के स्टम्प्स को ले उड़ी थी.
बीबीसी ने एक बार उन पर एक रिपोर्ट प्रसारित करते हुए कहा था कि एकदिवसीय क्रिकेट में स्पिनरों को सम्मान दिलाने वालों में शेन वार्न अग्रणी हैं और इस मायने में उन्होंने वन डे क्रिकेट को बदल दिया. इमरान खान के बाद वे दूसरे ऐसे क्रिकेटर रहे जो मैदान में अपने प्रदर्शनों और मैदान के बाहर अपनी प्ले बॉय इमेज को लेकर हमेशा चर्चाओं में रहे. ऐसे ही किसी विवाद ने ऑस्ट्रेलिया की टेस्ट टीम की उनकी उपकप्तानी छीन ली और कप्तान बनने का उनका ख्वाब भी अधूरा रह गया.
हालांकि, आईपीएल में उन्होंने राजस्थान रॉयल्स की शानदार कप्तानी की और अपनी टीम को पहला आईपीएल चैंपियन बनाया. स्वयं में लीजेंड रहते हुए वे दूसरों के कौशल की भी जम कर तारीफ करते थे. ब्रायन लारा और सचिन तेंदुलकर उनके दौर के टॉप बैट्समैन थे और मैदान पर उनके कठिनतम प्रतिद्वंद्वी भी. वार्न दोनों की न सिर्फ बेहद इज़्ज़त करते थे बल्कि एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि ‘सपनों में सचिन आते हैं…’. वहीं, लारा के सम्मान में उन्होंने कहा था कि ‘उनकी पिटाई से उन्हें बुरा नहीं लगता क्योंकि वे महान हैं.’
अपने महान समकालीनों के प्रति सदाशयता दर्शाने वाले वार्न आम ज़िन्दगी में कभी उतने विनम्र नहीं माने गए. अक्सर विवादों में आने का यह भी एक कारण था. ऑस्ट्रेलिया ही नहीं, क्रिकेट खेलने वाले तमाम देशों के क्रिकेट प्रेमी वार्न को प्यार करते थे. उनकी प्यारी-सी मुस्कान में उनकी जिंदादिली झलकती थी. यह जिंदादिली अक्सर उनके बयानों में भी झलकती थी.
अपनी किताब ‘नो स्पिन’ में भी उन्होंने खुल कर अपनी बातें रखीं और कई विवादों को जन्म दिया. अपनी किताब के पहले ही पन्ने पर उन्होंने अपने कप्तान रहे और ऑस्ट्रेलिया के सफलतम कप्तानों में शामिल स्टीव वॉ की खुल कर आलोचना की. वे अपने विचारों को खुल कर व्यक्त करने के हिमायती रहे और ऐसा करते भी रहे.
दो विवाहों और कहे-अनकहे कई प्रेम संबंधों के बावजूद बाद के दिनों में वार्न के जीवन में एक तरह की रिक्तता सी आ गई थी. अव्यवस्थित जीवन और नशे की बढ़ती लत ने उनके स्वास्थ्य को निस्संदेह प्रभावित किया होगा.
महज़ 52 की उम्र में हर्ट अटैक से अचानक से उनकी मौत ने पूरी क्रिकेट दुनिया को हतप्रभ कर दिया है. क्रिकेट का एक इतिहास पुरूष अपने साथ गौरवशाली इतिहास को समेटे आज अचानक से चला गया. क्रिकेट प्रेमियों और उनके प्रशंसकों के लिये यह जैसे कोई स्तब्ध कर देने वाली सूचना है.
जिन्होंने भी शेन वार्न को मैदान में या टीवी पर लाइव खेलते देखा है, वे अपने नाती-पोतों की पीढ़ी को फख्र के साथ बताएंगे कि उन्होंने वार्न को देखा है. वे भारतीय क्रिकेट से जुड़ने की हसरत रखते थे. अगर वे रहते, जो कि अभी उन्हें रहना ही चाहिये था, तो संभव था कि उनके अद्भुत, अविश्वसनीय कौशल का लाभ नवोदित भारतीय स्पिनरों को मिलता.
लेकिन, वार्न हमें जीवन की आकस्मिकता और क्षण भंगुरता का उदाहरण दे कर खामोशी के साथ चले गए…अकस्मात. यह कैसा संयोग है कि आज ही उन्होंने ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट के महान विकेट कीपरों में शुमार रॉड मार्श की मौत पर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी. अभी खबरों में देखा, यही उनका अंतिम ट्वीट भी था.
शेन वार्न के जाने के साथ ही उनसे जुड़े तमाम प्रिय-अप्रिय विवादों का भी अंत हो गया और रह गईं बतौर क्रिकेटर उनकी महानता की कहानियां, जो जब तक क्रिकेट खेली जाती रहेगी, दुहराई जाती रहेंगी.
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