मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि मैंने अंधेरों को उजाला नहीं
अंधेरा कहा,
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि मैं एक आतंकवादी को भगवान नहीं,
आतंकवादी कहा,
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि मैंने एक दंगाई को शांतिदूत नहीं,
दंगाई कहा,
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि मौत के सौदागरों को देवता नहीं,
जालिम कहा,
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि मैं पूंजीवाद को समाजवाद नहीं बल्कि
पूंजीवाद कहा,
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि मैं साम्प्रदायवाद को राष्ट्रवाद नहीं बल्कि
साम्प्रदायवाद कहा,
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि मैं दुर्व्यवस्था को व्यवस्था नहीं बल्कि
दुर्व्यवस्था कहा,
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि मैं बन्दूक की नोक पर कैद लोकतंत्र को
धोखा कहा,
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि विकास के नाम पर अंधाधुँध हथियारों की खरीद को
मानव विरोधी कहा,
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि सत्ता की झूठी चाटुकारिता की जगह
रोटी, शिक्षा और स्वास्थ्य की मांग किया,
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि कर्ज में डूबते अन्नदाता के आत्महत्याओं पर
शोक व्यक्त किया,
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि मजदूरों के पसीने की
एक-एक बूँद की कीमत की मांग किया,
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि सत्ता के अभेद्य सुरक्षा के विरुद्ध
निहत्थे अडिगता के साथ खड़ा रहा,
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि इतिहास के पन्नों में
दलितों, शोषितों, वंचितों, पीड़ितों के दर्द,
आह और प्रतिकार को जोड़ने का कोशिश किया.
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि अतीत में स्त्रियों की बर्बरतापूर्वक हत्या को
सतीत्व व जौहर मानने से इंकार किया,
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि जन्म, लिंग, जाति, मूल और
धर्म के विभेद को मिटाने की कोशिश किया,
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि राजतंत्र के सारे प्रतीकों को
अपना आदर्श मानने से इंकार किया,
मैं देशद्रोही हूं
क्योंकि सत्ता के फासीवादी रवैये का
साहस के साथ विरोध किया,
मैं देशद्रोही हूं
मुझे जीने का कोई हक नहीं,
जितनी जल्दी हो सके मुझे
फांसी पर लटका दो.
- मनीष सिंह
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