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अंबानी का मानहानि : चोर की दाढ़ी में तिनका

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गांव में एक कहावत है, चोर बोले जोर से. अनिल अंबानी जब अपने पापों (राफेल घोटाले) को छुपाने के लिए आप के सांसद संजय सिंह पर 5 हजार करोड़ रूपये के मानहानी का मुकदमा दायर करने की धमकी देते हैं, तो गांव की यह कहावत बिल्कुल सच लगने लगती है. पहले तो वे राफेल जैसे घोटालों को अंजाम देते हैं, और जब लोग सवाल उठाते हैं तो उनका मूंह बन्द करने के लिए बिल्कुल दबंगई भरे अंदाज में 5 हजार करोड़ रूपये के मानहानि के मुकदमे का धमकी देते हैं. कहना न होगा अभी ज्यादा दिन बीते भी नहीं हैं जब इसी अंबानी का दामाद देश के दूसरे सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक पंजाब नेशनल बैंक को 11,300 करोड़ रूपये (हलांकि एक सूत्र के अनुसार यह राशि 14.5 हजार करोड़ तक है), का घोटाला कर देश छोड़कर भाग खड़े हुए हैं.

भारतीय राजनीति में मोदी सरकार के दौर में पहली बार देखा जा रहा है जब मानहानि का मुकदमा आये दिन हर किसी पर लगाये जा रहे हैं, मानो घोटालेबाजों ने मिलकर देश के हर उन लोगों का मूंह बंद करने के लिए इस कानून का बेजा इस्तेमाल करने के लिए कसम खा रखी हो लिया. हर ऐरे-गैरे ठग अपनी गबन को छिपाने के लिए इस कानून का सहारा लेने लगा है.

जेटली, अमित शाह आदि ने देश के तमाम भ्रष्टों को अपने बचाव के लिए मानहानि के मुकदमे को अपना हथियार बनाकर अपने हजारों-करोड़ों के घोटाले के खिलाफ लोगों का मूंह बंद करने का मानो एक अभियान-सा चला दिया हो. ऐसा लगता है कि देश के तमाम ठगों, घोटालेबाजों, हत्यारों का मान-सम्मान है जो मानहानि मुकदमे पर एकाधिकार जमाने की कोशिश कर रहे हैं. सांसद संजय सिंह पर अंबानी जैसे ठग और लुटेरे द्वारा 5 हजार करोड़ रुपए के मानहानि मुकदमे करने की धमकी को इसी अंदाज में देखने की जरुरत है, जिसका कोई सामाजिक और नैतिक मूल्य नहीं है.

अंबानी देश के सबसे बड़े काॅरपोरेशन को खड़ा यों ही नहीं कर लिये हैं. इसके लिए इन्होंने बजाप्ता लाखों करोड़ रूपये बैंकों से उधार लिये, जिसे देश की सर्वाधिक भ्रष्ट कांग्रेस और मोदी सरकार ने बार-बार माफ किया है, और फिर नयेे कर्ज भी दे दिये हैं. इसी देश में महज 90 हजार रूपये के बकाये वाले किसान ज्ञानचंद की बैंकों द्वारा उनकी जान ले ली जाती है, मामूली कर्जों की वापसी के लिए बैंक और सरकार किसानों को इतना परेशान करती है कि वह आत्महत्या कर लेना ज्यादा मुफीद समझता है. इस तरह करीब लाखों किसान अबतक देशभर में आत्महत्या कर कर चुके हैं, परन्तु लाखों करोड़ रूपये डकारने वाले सर्वाधिक ‘‘मान-सम्मान वाले’’ अंबानी-अदानी जैसे कर्जखोर लुटेरे घरानों की सेवा में यही बैंकें और सरकार बिछ जाती है. उसके कर्जों को पलक झपकते माफ कर उन्हें विदेश में सुरक्षित आश्रय प्रदान करने का काम करती है. यह बात देश की जनता से अब छिपी हुई नहीं रह गई है. यह अनायास नहीं है कि जो जितना ज्यादा आम जनता की संपदा को चुराने का काम करते हैं, वे उतती ही ज्यादा जोर से चिग्घाड़ते हैं.

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के द्वारा उठाये गये सवालों से अगर अंबानियों की इतनी ही मानहानि होती है तो देश के जनता की गाढ़ी कमाई को लूटकर मालामाल बने तकरीबन 1.5 लाख करोड़ रूपये की विशाल धनराशि को जिसे भ्रष्ट भारत सरकार ने माफ कर दिया है, बैंकों को वापस कर देना चाहिए. देश की जनता से ली गई पाई-पाई की राशि का हिसाब दे देना चाहिए. अगर इन सवालों से कन्नी काट कर देश की जनता को मानहानी जैसी फर्जी मुकदमों से डराने की कोशिश करेंगे तो यह ‘उल्टे चोर कोतवाल को डांटें’ वाली कहावत हीं होगी, जिसका एक अर्थ यह भी निकलता है कि वह गोपनीयता और मुकदमों की आड़ में अपने घोटालों को छिपा रही है, जिससे उनकी छवि दागदार तो बनेगा ही वहीं देश की जनता इसका जबाव अपने तरीके से देने में पीछे नहीं रहेगी, जिसकी पूरी जबावदारी भी इन्हीं पर होगी.

अगर काॅरपोरेट सेक्टर और जनता की संपदा ठगने वाले इसी तरह अपने पापों और घोटालों को छिपाने के लिए मानहानी जैसे कानूनों का बेजा इस्तेमाल करने से बाज नहीं आते हैं, तो वह दिन दूर नहीं जब देश की जनता अपने हाथों में लाठी उठाकर इन लूटेरों को खदेरना शुरू कर देगी. इन लुटेरों को यह समझ लेना चाहिए कि मान और सम्मान देश के जनता की होती है, लुटेरों की नहीं.  यही कारण है कि विश्व भर में राजाओं के सर कटने और देश की अगाध सम्पदा को लूट कर अमीर बनने वाले लूटेरे पूंजीपतियों के खिलाफ आम जनता का आक्रोश कोई अप्रत्याशित घटना नहीं है.

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