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यूक्रेन के हारे राष्ट्रपति अमेरिकी टट्टू वोलोदिमीर जेलेंस्की की रुस से ‘अपील’

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यूक्रेन के हारे राष्ट्रपति अमेरिकी टट्टू वोलोदिमीर जेलेंस्की की रुस से 'अपील'
यूक्रेन के हारे राष्ट्रपति अमेरिकी टट्टू वोलोदिमीर जेलेंस्की की रुस से ‘अपील’

यूक्रेन के राष्ट्रपति ने एक विडियो के माध्यम से रूस के लोगों से युद्ध रोकने और अमन कायम करने की एक अपील की है. उनकी इस अपील का असर हुआ या नहीं, लेकिन रुस की ओर से युद्धविराम का ऐलान हो गया. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की बोले – ‘दुनिया के सबसे ताकतवर देश दूर से देख रहे हैं और हम अपनी रक्षा के लिए लड़ रहे हैं.’

दरअसल यूक्रेन अमेरिकी साम्राज्यवाद के हाथों खेल रहा है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की अमेरिकी टट्टू हैं. वे रुस को सचमुच अमेरिकी साम्राज्यवाद के निशाने पर रखना चाहते हैं. रुसी जनता से उनकी यह अपील बनावटी है जो रुस के खिलाफ अमेरिकी हित में है. इस वीडियो में उन्होंने रूस के लोगों से क्या कहा, सुनते हैं –

राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की रुस के नागरिकों से अपील :

आज मैंने रूस के राष्ट्रपति को फोन मिलाया. नतीजा, खामोशी. वैसे खामोशी तो दोनबास में होनी चाहिए थी इसलिए आज मैं रूस के सभी नागरिकों के लिए यह अपील लेकर आया हूं. एक राष्ट्रपति के रूप में नहीं बल्कि मैं यह अपील रूस के लोगों से यूक्रेन के नागरिक होने के नाते कर रहा हूं.

हमारी आपके देश के साथ 200 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. इसके चारों ओर आपके देश की सेना है. करीब 2 लाख जवान और हजारों मिलिट्री यूनिटें. आपके राष्ट्राध्यक्ष ने हमारी तरफ यह सेना भेजी है. एक अन्य देश के अंदर. उनका यह कदम समूचे यूरोपीय महाद्वीप में एक भयंकर युद्ध के शुरू होने का कारण बन सकता है.

पूरी दुनिया यह बात कर रही है कि किसी दिन, जाने क्या हो जाए. किसी लम्हा कोई कारण सामने आ सकता है. कोई उकसावा, कोई चिंगारी. एक चिंगारी भड़क जाए तो वह सब कुछ जला सकती है. आपको बताया गया है कि इस मशाल से यूक्रेन के लोगों को आजादी मिलेगी, लेकिन यूक्रेन के लोग तो पहले से ही आजाद हैं. इन लोगों को अपना अतीत याद है और वे अपना भविष्य गढ़ रहे हैं. वे भविष्य बना रहे हैं ना कि उसे तबाह कर रहे हैं, जबकि आपको रोज टीवी पर यह बताया जा रहा है कि इसे तबाह किया जा रहा है.

यूक्रेन की जो खबरें आपको दिखाई जा रही हैं और यूक्रेन का जो सच है, वो दोनों बिल्कुल अलग-अलग देश की तरह हैं. इन दोनों में सबसे बड़ा फर्क तो यही है कि हमारा यूक्रेन वास्तविक है. आपको बताया जा रहा है कि हम नाजी हैं लेकिन वह देश जिसने नाजीवाद को खत्म करने के लिए 80 लाख लोगों की शहादत दी हो, वो नाजीवादी कैसे हो सकता है ? मैं कैसे नाजी हो सकता हूं ? आखिर मेरे ग्रैंडफादर ने सोवियत संघ की फौज में रहकर नाजियों से लोहा लिया था और कर्नल बनने के बाद एक आजाद यूक्रेन में उनका निधन हुआ.

आपको बताया जाता है कि हमें रूस की संस्कृति से नफरत है, लेकिन एक संस्कृति से कैसे नफरत की जा सकती है ? एक क्यों किसी भी संस्कृति से कैसे नफरत की जा सकती है ? पड़ोसी तो एक दूसरे को हमेशा सांस्कृतिक रूप से समृद्ध करते हैं. इसके बावजूद वे एक देश नहीं बन जाते, ना ही वे लोगों को ‘हम’ और ‘वे’ में बांटते हैं. हम आपसे अलग हैं, लेकिन यह हमारे बीच दुश्मनी का कारण नहीं होना चाहिए. हम अपना इतिहास गढ़ना चाहते हैं, शांति के साथ, संयम के साथ और सच्चाई के साथ.

आपको बताया गया है कि मैं दोनबास पर हमले का आदेश दे रहा हूं. गोली चलाने का फरमान जारी कर रहा हूं और बिना कुछ सोचे बम गिराने को कह रहा हूं. हालांकि, यहां ये सवाल है कि गोली किसे मारी जाए, बम किस पर गिराया जाए ? दोनेत्सक पर, जहां मैं दर्जनों बार जा चुका हूं ? मैंने वहां के लोगों के चेहरों और उनकी आंखों में झांका है. आर्तेमा पर ? जहां की सड़कों पर मैं पहले दोस्तों के साथ घूमा हूं ? दोनबास एरीना पर ? जहां के लोगों के साथ मिलकर मैं यूरो कप में अपनी टीम के जीतने की दुआ कर रहा था ? शेचेरबाकोवा पार्क, जहां टीम की हार के गम को भुलाने के लिए हमने साथ मिलकर शराब पी थी ? लुहांस्क ? जहां मेरे सबसे अजीज दोस्त की मां रहती हैं ? जहां की मिट्टी में उसके पिता दफ्न हैं ?

ध्यान दीजिए, मैं अब आपसे रूसी भाषा में बात कर रहा हूं, फिर भी आपके यहां कोई भी इन नामों और हमारे यहां की गलियों को नहीं जानता. ना ही रूस में किसी को इन घटनाओं का मतलब पता है. आपके लिए यह सब किसी और दुनिया की बातें होंगी. अनजानी, लेकिन ये हमारी मिट्टी की बातें हैं. यह हमारा इतिहास है.

मैं पूछना चाहता हूं कि आप किस चीज के लिए लड़ने जा रहे हैं और किसके खिलाफ ? आपमें से कई पहले यूक्रेन आए होंगे. आपमें से कइयों के रिश्तेदार भी यहां होंगे. आपमें से कुछ ने हमारी यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई की होगी. यूक्रेन के लोगों को दोस्त बनाया होगा. आपको हमारे बारे में पता है. आप हमारे लोगों को जानते हैं. आपको हमारे सिद्धांत पता हैं. आप जानते हैं, हमें कौन सी चीज सबसे अजीज है. आप अपने अंदर झांकिए. अपनी अंतरआत्मा की आवाज सुनिए. कॉमन सेंस का इस्तेमाल करिए. अपने दिल की सुनिए.

यूक्रेन के लोग अमन चाहते हैं. यूक्रेन सरकार अमन चाहती है. हम यही चाहते हैं और इसे लेकर रहेंगे. इसके लिए हमसे जो भी बन पड़ेगा, करेंगे. हम अकेले नहीं हैं. यह सच है कि यूक्रेन के साथ कई देश हैं. आप जानते हैं क्यों ? क्योंकि ‘हम किसी भी कीमत पर शांति’ की बात नहीं कर रहे. हम अमन की बात कर रहे हैं और सिद्धांत, इंसाफ की बात कर रहे हैं. हर किसी को अपना भविष्य संवारने, सुरक्षा और बिना डर के जीने का अधिकार है.

ये बातें हमारे लिए अर्थपूर्ण हैं. अमन के लिए ये सारी चीजें जरूरी हैं. मुझे पता है, आपके लिए भी ये बातें अहम हैं. हम पक्के तौर पर कह सकते हैं कि हम युद्ध नहीं चाहते. ना कोल्ड वॉर, ना हॉट वॉर और ना ही हाइब्रिड वॉर लेकिन अगर हमें धमकी दी गई, अगर कोई हमसे हमारा देश छीनने, हमारी आजादी छीनने और हमारी जिंदगियां छीनने की कोशिश करता है, हमारे बच्चों की जिंदगी छीनने की कोशिश करता है तो हम अपनी रक्षा करेंगे.

लेकिन हम हमला नहीं, बचाव करेंगे. आप हमला करेंगे तो हम आपके सामने होंगे, पीठ नहीं दिखाएंगे, आपको हमारा चेहरा दिखेगा. युद्ध बेचैनी लाता है. इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है, और यह बात मैं यूं ही नहीं कर रहा।श. लोग अपनी संपत्ति गंवा देते हैं. मान-सम्मान छिन जाता है. जिंदगी बदतर हो जाती है, और सबसे बड़ी बात कि आप अपने अजीजों को खो देते हैं. खुद को गंवा बैठते हैं.

युद्ध में कई चीजों की कमी हो जाती है, लेकिन दुःख, धूल, खून और मौतें, इनकी कभी कमी नहीं होती. हजारों, लाखों की जान चली जाती है. आपसे कहा गया है कि यूक्रेन, रूस के लिए खतरा है। यह बात पहले भी गलत थी, अब भी गलत है और भविष्य में भी गलत ही साबित होगी. आप नाटो से अपनी सुरक्षा की गारंटी चाहते हैं तो हम भी अपनी सुरक्षा की गारंटी चाहते हैं. हम आपसे यूक्रेन की सुरक्षा चाहते हैं. रूस से और बुडापेस्ट मेमोरैंडम के दूसरे गारंटरों से.

आज हम किसी सुरक्षा संगठन का हिस्सा नहीं हैं. यूक्रेन की सुरक्षा हमारे पड़ोसियों की सुरक्षा से जुड़ी हुई है इसीलिए हम समूचे यूरोप की सुरक्षा की बात कर रहे हैं. लेकिन हमारा असल मकसद यूक्रेन में अमन और हमारे लोगों की सुरक्षा है. यूक्रेन के सभी लोगों की सुरक्षा.

हम यह बात आपके साथ हर किसी तक पहुंचाएंगे. युद्ध सबसे हर तरह की गारंटी छीन लेगा. किसी के पास सुरक्षा की गारंटी नहीं होगी. इससे सबसे ज्यादा तकलीफ किसे होगी ? लोगों को, जो युद्ध नहीं चाहते. यह सब होने से कौन रोक सकता है ? लोग रोक सकते हैं. अगर ऐसे लोग आपके बीच हों. मुझे यकीन है कि ऐसे लोग हैं. जाने-माने लोग, जर्नलिस्ट, म्यूजिशियंस, अभिनेता, एथलीट, साइंटिस्ट, डॉक्टर, ब्लॉगर्स, स्टैंड-अप्स, टिकटॉकर्स और दूसरे लोग. आम लोग. साधारण लोग. मर्द, औरतें, बुजुर्ग, जवान, पिता और सबसे महत्वपूर्ण माएं.

मुझे पता है कि मेरी यह स्पीच रूस के टीवी चैनलों पर नहीं दिखाई जाएगी, लेकिन रूस के लोगों को इसे देखना चाहिए. उन्हें सचाई पता होनी चाहिए. सच यही है कि युद्ध को रोकना होगा, इससे पहले की बहुत देर हो जाए. अगर रूस सरकार हमसे बात नहीं करना चाहती तो अमन के लिए, शायद वह आपसे बात करे.

क्या रूस के लोग युद्ध चाहते हैं ? मैं इस सवाल का जवाब देना चाहता हूं, लेकिन सच कहूं तो जवाब सिर्फ आप पर निर्भर करता है, रूस के लोगों पर. शुक्रिया.

अपील का निहितार्थ

यूक्रेन के हारे राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की रुस के नागरिकों से अपील ऐसे वक्त में की गई है जब रुस के यूक्रेन के साथ सारी बातचीत व कूटनीतिक प्रयास ठुकरा चुका था. 2014 में अमेरिकी साम्राज्यवाद की मदद से की गई रुसी समर्थक राष्ट्रपति का तख्तापलट कर उन्हें रुस भागने पर मजबूर कर दिया, तब आज शांति के पैरोकार बना यह अमेरिकी टट्टू जेलेंस्की ने युक्रेन में जमकर हिंसा किया था. हजारों लोगों की हत्याएं किया था और लाखों लोगों को तबाह कर दिया था. लेकिन तब भी रुसी राष्ट्रपति पुतिन ने कुछ भी नहीं कहा था.

रुस के इस धैर्यशीलता को यह अमेरिकी टट्टू कमजोरी समझ बैठा और धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए अब वह नाटो के गुंडों को रुसी सीमा पर तैनात करवाने का दुश्चक्र रचा. जैसे दुनिया के तमाम देशों की तरह यूक्रेन की रक्षा के लिए यह बड़बोला राष्ट्रपति दावा कर रहा है, उसी तरह रुस को भी नहीं अपनी रक्षा करने का अधिकार है. रुस केवल उससे इतना ही चाहता है कि वह अमेरिकी गुंडों (नाटो) का सदस्य बनकर यूक्रेन से सटी रुसी सीमाओं पर नाटो के गुंडों की तैनाती न करें. परन्तु, यूक्रेन का यह अमेरिकी टट्टू इसके लिए भी तैयार नहीं है.

ऐसी हालत में रुस के नागरिकों को पूरा अधिकार है कि वह अमरीकी साम्राज्यवाद और उसके गुंडों (नाटो) से अपनी रक्षा के लिए किसी भी सीमा तक जाये, चाहे वह परमाणु युद्ध का ही विकल्प क्यों न हो. आखिर अपने अस्तित्व की कीमत पर शांति और अमन केवल आत्मघात है और कुछ नहीं, ठीक वैसे ही जैसे शांति और अमन के नाम पर इराक, अफगानिस्तान जैसे दर्जनों देशों को अमेरिका ने खण्डहर बना दिया है और अमेरिकी साम्राज्यवाद इस यूक्रेनी टट्टू के माध्यम से रुस के भी साथ केवल यही चाहता है.

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