होश में आये तो जाना
कि हम होश में नहीं हैं
हमें संखिया की बुरी लत है
होश में होते तो
तुम्हें न एफ-16 ख़रीदना होता
न हमें मिराज की जरुरत पड़ती
हम होश में होते तो
तुम एफ-16
और हम मिराज
उन्हें बेच रहे होते
जो आज हमें बेच रहे हैं
मगर अफसोस
जितने संखिया के नशे में तुम हो
उससे कम नशे में हम नहीं हैं
संखिया की बुरी लत न होती
तो आज हम एक ताकत होते
न तुम्हें उससे भीख मांगनी पड़ती
न हमें नतमस्तक
नाक रगड़ना पड़ता
नशा में कितना नुक़सान है
हम से बेहतर कौन जानेगा
लेकिन, न तुम समझोगे
न किसी तरह हम समझेंगे
क्योंकि
हम नशे में हैं
- राम प्रसाद यादव
विशाखपट्टणम
[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]