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छलपूर्ण चुनाव : फासीवाद का चौदहवां लक्षण

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’14. छलपूर्ण चुनाव : फासीवादी राष्ट्रों में कई बार चुनाव पूर्णतः ढकोसला होते हैं. बाकी समय पर चुनावों का मैनिपुलेशन प्रतिपक्षी सदस्यों के चरित्र हनन, या यहां तक कि हत्या करा मतदान संख्या को या चुनाव क्षेत्र परिसीमन से और मीडिया के मैनिपुलेशन, कानून के सहारे नियंत्रित कर किया जाता है. फासीवादी राष्ट्र चुनावों को तोड़ने-मरोड़ने या नियंत्रित करने के लिए खास तौर पर न्यायपालिका का इस्तेमाल किया जाता है.’

राजनीति विज्ञानी डॉ लारेंस ब्रिट ने कुछ वर्ष पहले फासिज़्म के बारे में एक लेख लिखा था ‘Fascism Anyone ?,’ Free Inquiry, Spring 2003, page 20). हिटलर (जर्मनी) , मुसोलिनी (इटली), फ्रैंको (स्पेन) , सुहार्तो (इंडोनेशिया) , और पिनोशे (चिली) के फासिस्ट सरकारों का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए उसने पाया कि इन सभी राज्य व्यवस्थाओं में चौदह समान लक्षण थे. वह इन्हें फासिज़्म की पहचान के बुनियादी लक्षण कहते हैं, यहां हम फासीवाद के चौदहवें लक्षण पर बात करेंगे.

दुनिया के विकास के स्तर पर फासीवाद को साम्राज्यवाद का सड़ांध कहा गया है, बजबजाता हुआ कीड़ा. परन्तु भारत में फासीवाद का भी सबसे सड़ांध स्वरूप में आरएसएस की कोख से पैदा हुआ है भाजपा जैसा गलीज कीड़ा, जिसका नेतृत्व अपराधियों का सरगना नरेन्द्र मोदी और अमित शाह द्वारा किया जा रहा है. इसमें मजे कि बात यह है कि खुद नरेन्द्र मोदी ही भाजपा की तारीफ करते हुए कहता है – ‘भाजपा सरकार होने का मतलब है दंगाराज, माफिया राज, गुंडाराज.’ दरअसल यह एक ऐसी सच्चाई है, जो इस पाखण्डी के मूंह से निकल गया. और यही भारत में फासीवाद का असली स्वरूप है.

 

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