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नरेन्द्र मोदी के किसी भी फैसले पर सवाल उठाना वैचारिक आतंकवाद है ?

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नरेन्द्र मोदी के किसी भी फैसले पर सवाल उठाना वैचारिक आतंकवाद है ?

हिमांशु कुमार, सामाजिक कार्यकर्त्ताहिमांशु कुमार, गांधीवादी चिंतक

बाबा रामदेव ने टीवी चैनल पर इंटरव्यू में वैचारिक आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल किया. आज हम इस अवधारणा पर विचार करेंगे. क्या विचार भी आतंकवादी हो सकता है ? किस तरह के विचारों को वैचारिक आतंकवाद कहा जा रहा है ? संक्षेप में कहें तो नरेन्द्र मोदी के किसी भी फैसले पर सवाल उठाना वैचारिक आतंकवाद माना जा रहा है.

आज मजदूरों की पूरी मजदूरी या आठ घंटे से ज्यादा काम लेने की बात करना भी वामपंथी आतंकवाद माना जाता है. आदिवासियों की जमीनों को छीन कर बड़े पूंजीपतियों को देने के लिए आदिवासियों की हत्याएं, उन्हें फर्जी मामलों में जेल में डालने, आदिवासी महिलाओं से सुरक्षा बलों द्वारा बलात्कार का विरोध करना भी वैचारिक आतंकवाद माना जाता है.

आदिवासियों के मानवाधिकारों की चिंता करने वालों को अर्बन नक्सली कह कर जेलों में डाला जा रहा है. कई सामाजिक कार्यकर्ता जेलों में डाल दिए गये हैं तथा वे कई सालों से जेल में हैं. इसके अलावा दलितों द्वारा अपने साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ बोलना भी वैचारिक आतंकवाद माना जाता है.

भीमा कोरेगांव में दलितों की रैली से डर कर भाजपा सरकार ने अनेकों सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाला हुआ है. छात्रों की सस्ती शिक्षा की मांग करने को भी वैचारिक आतंकवाद माना जाता है. साम्प्रदायिकता का विरोध करना, अल्पसंख्यकों के लिए भी सामान हैसियत की बात कहना, संविधान की बात मानने की मांग करना, मानवाधिकारों के संरक्षण की मांग करना भी वैचारिक आतंकवाद कहलाता है.

सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग, मानवाधिकार आयोग, संसद, पुलिस की पक्षपात कार्यवाहियों पर सवाल उठाना भी वैचारिक आतंकवाद कहलाता है.
वर्तमान सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना करना, सरकार की विफलता का विश्लेषण करना, सरकार द्वारा रोजगार को तबाह करने, अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देने नोटबंदी की आलोचना करना भी वैचारिक आतंकवाद माना जाता है.

जस्टिस लोया की हत्या, गुजरात के बाबु बजरंगी और माया कोडनानी जैसे हत्यारों को जेल से बाहर करने पर सवाल उठाना भी वैचारिक आतंकवाद माना जाता है. मोदी, अमित शाह, भाजपा, राष्ट्रीय स्वयम सेवक संघ और बजरंग दल की आलोचना वैचारिक आतंकवाद माना जाता है.

इसके अलावा मुसलमानों को गलियां बकना, साम्प्रदायिकता का जहर फैलाना, आरक्षण और बाबा साहब के खिलाफ गन्दी गंदी गालियां पोस्ट करना तथा बुद्धिजीवियों, प्रगतिशील विचारकों, कवियों, लेखकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, सस्ती शिक्षा की मांग करने वालों धर्म निरपेक्षता की बात करने वालों को टुकड़े टुकड़े गैंग कहना, उन्हें विदेशी एजेंट गद्दार, मुल्लों की औलाद कहना देशभक्ति मानी जाती है.

यूपी में दलितों की हालत सबसे खराब है. महिलाओं के साथ बलात्कार में यूपी सबसे आगे है और अपराधियों को बचाने के मामले में भाजपा ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. महिलाओं पर अत्याचार के मामले में यूपी सबसे आगे है
लेकिन यह जनाब गाली केरल को दे रहे हैं. केरल से ही वीडियो आया है देख लीजिए इन्हें औरतों की ऐसी आजादी से नफरत है.

सब जानते हैं कि यूपी के मुख्यमंत्री पहले पूर्णकालिक गुंडे थे. इनके खिलाफ 28 आपराधिक मुकदमे थे, जिसे उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद खुद ही खत्म करे. पूरे समय कोर्ट की फटकार खाने के बाद भी बेशर्मी के साथ विरोधियों को परेशान करना, लोकतांत्रिक आंदोलन करने वालों के घरों पर बुलडोजर चलाना, जेलों में डालना जैसे गैरकानूनी गुंडागर्दी के काम करते रहे.

इस माहौल को बदलने की कोशिश में लगे रहना ही इस वक्त का सबसे ज़रूरी काम है. यूपी के मुख्यमंत्री ने यूपी के लोगों को अपनी पार्टी की सरकार बनाने की अपील करते हुए कहा कि ‘हमें वोट दो नहीं तो दूसरी पार्टी की सरकार बनी तो वह यूपी को केरल बंगाल या कश्मीर बना देंगे.’

इनकी पार्टी के गुंडों द्वारा यूपी में विपक्षी प्रत्याशी महिलाओं के कपड़े तक सरेआम उतार लिए गए. शिक्षा, स्वास्थ्य में यह देश में सबसे बुरी हालत में हैं.
कश्मीर, केरल और बंगाल इनसे हर मामले में बेहतर है.

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