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25 दिसम्बर : सलीब पर रोशन सत्य

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25 दिसम्बर : सलीब पर रोशन सत्य

kanak tiwariकनक तिवारी, वरिष्ठ अधिवक्ता, उच्च न्यायालय, छत्तीसगढ़

सच को लेकर पूरी दूनिया में कालजयी लेखन किया गया है. वह दुर्लभ और संचित करने के लायक है. ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया. सुकरात को जहर का प्याला पीना पड़ा. हरिश्चंद्र का पूरा जीवन सच का मुहावरा बनने में बीत गया. मोरध्वज को अपना बेटा आरी से चीरना पड़ा. युधिष्ठिर के पांव का अंगूठा सच को झिलमिलाने के कारण गल गया. इतिहास इस तरह की दुर्घटनाओं से पटा पड़ा है. गांधी की आत्मकथा का नाम ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग‘ है. सलीब पर टंगे ईसा ने सत्य के संबंध में दुर्लभ कथन किया.

संसार में कोई नहीं हुआ जो सच की प्रतिष्ठा के लिए सलीब पर सूर्य की तरह चमकता हुआ भी तिलतिल मरा. उनका जन्मदिन इसीलिए बड़ा दिन कहलाता है. सत्यपु़त्र यीशु ने इतिहास गढ़ा लेकिन उनके अनुयायी दुनिया में गोरे देशों के मार्फत हुकूमत कर रहे हैं. उनका जन्मदिन नशे में उन्मत्त होकर धींगामस्ती करने का हो रहा है. यह यीशु की आत्मा का सम्मान नहीं है.

बैतलहम, येरुशलम बल्कि पूरा फिलस्तीन का इलाका खूंरेजी का शिकार है. ईसा और यहोवा और पैगम्बर में लगातार शीतयुद्ध है. रोमन कैथोलिक, एगनाॅस्टिक्स, प्रोटेस्टेन्टस और प्रेसबिटेरियन जैसे कई खेमों में बंटे ईसा के अनुयायियों के हाथ धरती में बड़े कत्लेआम से रंगे हुए हैं. मुख में ईसा है और बगल में आतंकवाद. अमेरिका अपने विरोधियों को बाइबिल की भाषा में दंड देने का दम्भ पालता है. ईसा हैं कि लाचार हैं, निरुत्तर हैं.

सच के लिए ईसा शूली पर चढ़े. सत्य आज भी सरेआम जिबह हो रहा है. ईराक में घातक परमाणु हथियार नहीं निकले, फिर भी हजारों कमजोर, निर्दोष ईराकियों को मारा गया. ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में घुसकर मारा गया. अफगानिस्तान को रेगिस्तान में तब्दील किया जा रहा है. निकारागुआ में अनावश्यक कत्लेआम हुआ. वियतनाम ने क्या गुनाह किया था ? थाईलैंड में अमरीकी सैनिकों ने पीढ़ियों के चरित्र का बलात्कार कर उसे बरबाद किया. ईसा के कथित अनुयायी जहरीली दवाइयां, ड्रग्स और हथियार बेचे पड़े हैं. वे दूरदर्शन में अधनंगी औरतों तक के बचे खुचे कपड़े उतारे पड़े हैं. समूचे संसार के बेहतर बुद्धि के इन्सान उनके बन्धक बने हुए हैं.

भारत में भी आदिवासियों और दलितों का गरीबी और अशिक्षा के कारण धर्मपरिवर्तन किया जा रहा है. फादर स्टेन्स की हत्या हो गई. ईसाई ननों का बलात्कार किया गया. यीशु के अनुयायियों के निजी कानूनों में बेहद संकीर्ण हैं. उन्हें उदार बनाने के लिए कोई समर्थक पहल नहीं करता. देश में ईसाई शैक्षणिक संस्थाएं और अस्पताल नहीं होते, तो गरीबों की हालत खस्ता भी हो जाती. भारत ने इसीलिए मदर टेरेसा को भारत रत्न के सम्मान से नवाजा. वह एनी बेसेन्ट, श्री मा और भगिनी निवेदिता में हिन्दू देवियों-सी प्रतिष्ठा खोजता है.

दुनिया का भविष्य ईसा मसीह के विक्रम कन्धों पर है लेकिन अमेरिका और यूरोप बैताल बने बैठे हैं. वैश्वीकरण की आड़ में ईसा के आदर्शों का खात्मा हो रहा है. वे चर्च का इस्तेमाल ईसाविरोधी ईसाइयों की दादागिरी के साथ कर रहे हैं. अमेरिका महंगे बम फोड़ने के साथ-साथ मुफ्त बाइबिल भी बेरहम शैली में बांटता है. पूरे संसार से कहता है कि या तो वह उसका दोस्त बने, अन्यथा दुश्मन. वह लोकतंत्र में विश्वास नहीं करता फिर भी ईसा का अनुयायी होने का दावा करता है. लोक जीवन में सच का खात्मा हो रहा है.

लोकप्रशासन और न्याय तक में सच के खिलाफ झूठ का हस्तक्षेप किस कदर बढ़ रहा है. न्यायाधीशों के खिलाफ सच सार्वजनिक तौर पर कह दिया जाए तो अदालत की अवमानना के लिए सजा मिल सकती है. सत्य को न्याय के मन्दिर में भी रक्षक हथियार नहीं माना जाता, उसे जिबह किया जा रहा है. दंडविधान और सभी कानूनों में तथ्य को सच के बदले तरजीह दी जा रही है. सच की कोई जाति नहीं होती. तथ्य की हो सकती है. सत्यवाचक को सजा हो सकती है. सच का हलफ उठाकर मंत्री, नौकरशाह, न्यायाधीश घूस खाये जा रहे हैं.

सच बेचारा रिक्शेवाले के पसीने, विधवा के आंसुओं और सैनिकों के खून में छिपा बैठा है. वह बियाफ्रा, चेचन्या, सोमालिया जैसे देशों के निवासियों की हड्डियों में इस कदर घुस गया है कि उन्हें तोड़े बिना बाहर नहीं निकलना चाहता. वह यीशुपुत्र होने का दावा करने वाले साम्राज्यवादी मुल्कों से मुकाबला करने से घबराता है. सच की सफेद कबीरी चादर ईसा के जिस्म से लिपटी याद आती है. उस पर कोई दाग या धब्बा होने का सवाल ही नहीं था. अपने जन्मदिन पर रात को केक खाते, बपतिस्मा कराते और इस दुनिया से क्षमाशील मुद्रा में उठ जाते ईसा की दुनिया की हालत उसके बेटों ने कैसी कर रखी है ! सच के लिए बड़ा दिन भी कितना छोटा रह गया है, यीशु. क्या सत्य शोधकों का अपना कोई कुनबा नहीं हो सकता जिसमें जाति, धर्म, क्षेत्र और देश वगैरह की सीमाएं टूट जाएं ?

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ROHIT SHARMA

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