कोई आश्चर्य नहीं जब भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह जो एक मंत्री बनने के पहले मुम्बई पुलिस के कमिश्नर भी रहे चुके थे, जब संवाददाताओं के बीच कहते हैं कि ‘‘जब से इंसान आया है, तब से वह मानव रूप में ही है, यानी इंसान मानव के रूप में ही इस धरती पर आया है. हमारे पूर्वजों ने कभी किसी बंदर को इंसान बनने का उल्लेख नहीं किया है. इंसानों के विकास सम्बन्धी चाल्र्स डार्विन का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत है. स्कूल और काॅलेज के पाठ्यक्रम में इसे बदलने की जरूरत है.’’ दरअसल भारतीय जनता पार्टी हमारे समाज विकास का वह सर्वाधिक पिछड़ा, प्रतिक्रियावादी और सड़ांध विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करता है जिसका मूल उद्देश्य ही मानव द्वारा मानव के खून पीने की शोषण की महिमागान करने वाली व्यवस्था को करना है. यूं तो सोवियत संघ और चीनी समाजवादी गणराज्य की पूंजीवादी व्यवस्था में पतित हो जाने के साथ ही शोषणमुक्त समाज बनाने की प्रक्रिया थम गई है, परन्तु दुनिया में कहीं भी शोषणकारी असभ्य समाज का इस तरह गुणगान सत्ताधारी ताकत नहीं कर रही है, जिस प्रकार भाजपा कर रही है.
यह अनायास नहीं है कि भाजपा की ओर से डार्विन सिद्धांत पर हमले किये गये हो. भाजपा समाज के विकासक्रम में हासिल उस सभी प्रक्रियाओं पर हमले कर रही है, जो समाज ने लम्बे संघर्ष के बाद अर्जित किया है. परन्तु समाज के प्रतिरोध का स्तर भी उसी हिसाब से बढ़ता जा रहा है, जिस स्तर से भाजपा अपने प्रतिक्रियावादी सड़ांध विचाराधाराओं को समाज पर थोपनी की कोशश कर रही है. इसी प्रतिरोध का नतीजा है राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय मंचों पर मोदी की लड़खड़ाती जुबान. दावोस में मंच से भाषण दे रहे प्रधानमंत्री जब घोषणा करते हैं कि उन्हें भारत की छह सौ लोगों ने वोट दिया है, तब यह उनके हताश को ही बयान करता है. जबकि कर्नाटक में कहा कि राज्य के 7 लाख गांवों में बिजली नहीं है, जबकि कर्नाटक में कुल 29 हजार के करीब ही गांव है और पूरे देश में कुल गांवों की संख्या 7 लाख भी नहीं है. इतिहास के प्रस्तुत तथ्यों को छेड़छाड़ कर देश के सामने गलत तथ्य प्रस्तुत करने के साथ-साथ देश की बहुसंख्यक आबादी पर अपने हमले भी तेज कर दिये हैं.
केन्द्र की भाजपा नीत मोदी सरकार देश के नागरिकों के सामान्य मूलभूत नागरिक सुविधाओं से भी महरूम रख रही है, तो वहीं उसे अगली लोकसभा चुनाव का भी दंश सता रहा है. अगली लोकसभा चुनावों में उसे आम नागरिकों के सामने रखने के लिए कोई ऐसे तथ्य नहीं हैं जिसे वह भुना सके, ऐसे में उसके सामने अनर्गल प्रलाप और झूठे तिलिस्म ही बचता है. इसके अलावे वह एक और काम कर रहे हैं वह यह कि जो लोग उनके इस अनर्गल प्रलाप और झूठे तिलिस्मों पर यकीन नहीं करते और सवाल खड़े करते हैं, उसे देशद्रोही का जाना-माना तगमा पहना रहे हैं, ताकि लोग डर जाये और उसके झूठों के खिलाफ मूंह न खोल सके. यही कारण है कि अब वह देश के सामने अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं, ताकि देश इसी में उलझा रहे और वह अगली लोकसभा की वैतरणी पार कर सके.