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गोहरी हत्याकांड की उच्चस्तरीय जांच हो – पीयूसीएल

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गोहरी हत्याकांड की उच्चस्तरीय जांच हो - पीयूसीएल

इलाहाबाद जिले के फाफामऊ क्षेत्र के गोहरी गांव में पति-पत्नी और दो बच्चों समेत पूरे परिवार की बर्बर तरीके से की गई हत्या के संबंध में पीयूसीएल (इलाहाबाद इकाई) की सचिव मनीष सिन्हा द्वारा जारी जांच रिपोर्ट –

25 नवंबर को अख़बारों के माध्यम से यह सूचना मिली कि इलाहाबाद के फाफामऊ क्षेत्र के गोहरी गांव में एक दलित परिवार के चार सदस्यों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी गयी और उसी परिवार के 17 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ हत्या से पहले बलात्कार की बात भी आशंका भी जताई गई थी. हत्या का कारण पुलिस ने व्यक्तिगत रंजिश बताया, जबकि मृतक परिवार के घर वालों का आरोप था कि यह हत्या गांव के सवर्ण (ठाकुर) परिवार द्वारा जातीय दबंगई में की गई है.

उत्तर प्रदेश का यह क्षेत्र पहले भी जातीय उत्पीड़न की घटनाओं के लिए समाचार में आता रहा है. विभिन्न राजनीतिक दल भी घटना स्थल पर अगले दिन से ही पहुंचने लगे थे और उनका आरोप था कि यह सरासर जातीय उत्पीड़न की घटना है. अतः इस मामले की जांच के लिए पीपुल्स यूनियन फ़ॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की इलाहाबाद इकाई द्वारा गठित टीम ने 27 नवंबर, 2021 को गोहरी गांव का दौरा किया.

टीम में पीयूसीएल के सदस्य आनंद मालवीय, गायत्री गांगुली, सोनी आज़ाद, अंकेश मद्धेशिया और पीयूसीएल के इलाहाबाद जिला सचिव मनीष सिन्हा शामिल थे. ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमैंस एसोसिएशन (AIDWA) की स्वाति गांगुली और किरण गुप्ता भी जांच टीम के साथ थी. पीयूसीएल की टीम जब घटनास्थल पर पहुंची तो बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष वहाँ मौजूद थे. जांच टीम ने मृतक परिवार के मुखिया फूलचंद के चारों भाइयों व परिवार की महिला सदस्यों से मुलाकात की, और उनके बयान लिए.

घटना की पृष्ठभूमि

प्रयागराज जिले के सोरांव थाने के अंतर्गत आनेवाले गोहरी गांव की आबादी करीब 16 हजार है. इस गांव में दलितों के अलावा मुख्यतौर पर पटेल, ठाकुर, कुम्हार, भुजवा, मौर्य जाति के लोग रहते हैं, जिसमें पासी जाति के मात्र दो परिवार हैं. एक परिवार के मृतक फूलचंद व उनके अन्य चार भाई दीपचंद, लालचन्द, भारत और किशनचंद हैं, जिनका दो जगह घर है. एक घर सड़क के दायीं तरफ कुछ अंदर है जहां लालचन्द, भारत और किशनचन्द का परिवार रहता है. सबसे बड़े भाई दीपचंद अपने ससुराल में रहते हैं.

फूलचंद का दूसरा घर सड़क के बाईं तरफ है, जो कि ग्राम समाज से पट्टे में कोटे पर कोई 12-13 साल पहले मिली है. यहां फूलचंद अपने पत्नी व दो बच्चों के साथ रहते थे. फूलचंद का बेटा पैर, जुबान और कान से विकलांग था. फूलचंद के घर के बाईं तरफ खेत है और दायीं तरफ किसी और की एक टूटी- फूटी दीवाल है. पीछे की तरफ ईंटभट्टा तथा आगे की तरफ मुख्य सड़क है. दोनों घर के बीच की दूरी लगभग 150 से 200 सौ मीटर है.

घटना और घटनास्थल का विवरण

25 नवंबर, 2021 की सुबह गांव के ही संदीप कुमार उधर से गुजरे. फूलचंद के घर का दरवाजा खुला देखकर झोपड़ी के अंदर झांके तो कोई नहीं था. तब उन्होंने पड़ोस में रहने वाले फूलचंद के भाई किशनचंद को सूचना दी, जो सीमा सुरक्षा बल में तैनात हैं. वह इन दिनों छुट्टी पर घर आए हैं. जब किशनचंद आकर घर के अंदर जाकर देखा तो उनके भाई फूलचंद (50), भाभी मीनू (45) खून से पड़े थे. थोड़ी दूर पर भतीजा शिव (10) और अंदर के कमरे में भतीजी सपना (17) खून से लथपथ मृत अवस्था में पड़े थे.

17 वर्षीय लड़की सपना का शरीर नग्न अवस्था में पड़ा था, वहीं उसकी मां मीनू के भी कपड़े अस्त-व्यस्त स्थिति में थे, जिससे उनके बलात्कार होने का भी अनुमान लगाया गया. सपना जिस रस्सी की चारपाई पर थी, उसके नीचे जमीन पर खून गिरा था जो कि सूख चुका था. उसके हाथ और पैर पर रस्सी से बांधे जाने के निशान थे. उसके स्तन काट दिए गए थे. 10 वर्षीय शिव का लिंग भी काटा डाला गया था.

घटनास्थल की आंखो देखी

  1. जांच टीम जब घटना स्थल पर पहुंची तो मौके पर मिट्टी की दीवाल के सहारे बांस और पॉलीथिन का झोपडीनुमा घर था. यह घर मृतक फूलचंद के परिवार का है.
  2. अंदर घुसने पर खून से लथपथ चारपाई मिली जिसके नीचे खून के धब्बे बहुत दूर तक फैले हुए थे.
  3. दो अन्य जगह खून के धब्बे मौजूद मिले जिसके पास खून से सनी साड़ी और कुछ कपड़े भी थे.
  4. घर के अंदर सारा सामान अस्त-व्यस्त पड़ा था. आचार की थाली बिखरी मिली.
  5. अंदर की तरफ जाने पर कुछ खाली जगह पर सब्जियां बोई गयी थी.
  6. उन सब्जियों के पौधों के पास में तीन किट सर्जिकल ग्लब्स (कम से कम छह जोड़ा), किट में पाइप, एक किनारे पड़ी पुरानी रस्सियां और नए बिखरे हुए मास्क दिखाई दिए.
  7. घर के पीछे का हिस्सा जिससे एक ईंटभट्टा लगा हुआ है, उधर की तरफ से दीवाल पर से कूदने के निशान थे.
  8. घर की स्थिति देख कर लग रहा था कि लालचंद की आर्थिक हालात अच्छे नहीं थे, घर में केवल एक सिलाई मशीन और दो स्टील के कंटेनर के अलावा सभी चीजें रोजमर्रा के उपयोग वाली सामान्य वस्तुएं थी.

फूलचंद के परिवार का गांव के ठाकुर परिवार से पुराना विवाद और पुलिस का रुख
मृतक फूलचंद के भाई लालचंद से यह जानकारी मिली कि 2 सितंबर, 2019 को कान्हा ठाकुर का जानवर फूलचंद व उनके भाईयों के सयुंक्त खेत में घुस आया था और काफी फसल नुकसान किया था. इससे पहले भी ठाकुर लोग खेत को बार-बार अपने जानवरों से चरा दिया करते थे, जिसकी शिकायत फूलचन्द की मां ने कान्हा ठाकुर के घर जाकर की.

जब इस शिकायत की जानकारी कान्हा ठाकुर को हुई तो प्रतिक्रियास्वरूप कान्हा ठाकुर ने 5 सितंबर, 2019 की रात 8:30 बजे के लगभग अपने साथियों के साथ लाठी, डंडे लेकर फूलचंद के भाईयों के घर पर आ धमका और मार-पीट शुरू कर दिया, जिसमें फूलचंद के तीसरे नंबर के भाई लालचन्द का सर भी फट गया था. मारपीट व जातिसूचक गाली-गलौच करते हुए कान्हा ठाकुर और उनके साथ के लोग लगातार यह धमकी दे रहे थे कि ‘तुम पासियों की हिम्मत कैसे हुई शिकायत करने की. अगर तुमलोग दुबारा कुछ बोले तो तुम्हारे पूरे घर को तबाह कर देंगे.’

उसी रात फूलचंद व उनके भाईयों ने घटना की सूचना अपने थाने पर दी लेकिन कोई कार्यवाई नहीं की गई, जिससे शह पाकर फिर अगले दिन जान से मारने की नियत से कान्हा ठाकुर कई दबंगों के साथ आया. घर के लोग किसी तरह अपनी जान बचा पाये. दुबारा फिर सूचना थाने को दी गयी तब जाकर FIR लिखा गया. SC-ST एक्ट के तहत मुकदमा दायर करने के बावजूद किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई.

FIR की चार्जशीट भी सही समय पर कोर्ट में दाखिल नहीं करने व केस में हीलाहवाली करने का नतीजा ये रहा कि कान्हा ठाकुर व उसके परिवार की बहू बबली सिंह आये दिन फूलचंद के परिवार को धमकियां देते रहते थे. फूलचंद के परिवार की महिलाओं से पूछने पर पता चला कि कान्हा ठाकुर के परिवार की बहू बबली सिंह ने घर के दरवाजे पर आकर धमकी दी थी कि ‘भले हमारा जमीन बिक जाए लेकिन तुम लोगो के परिवार को तबाह करके ही रहेंगे.’

यह भी बताया गया कि बबली सिंह के घर पर हेड कॉन्स्टेबल सुशील कुमार सिंह व सुरेंद्र सिंह तथा अन्य पुलिस वालों का आना जाना था व शराब तथा मांस-मछली की पार्टी चलती रहती थी. हेड कॉन्स्टेबल सुशील सिंह बबली सिंह के रिश्तेदार (समधी) भी हैं. किशनचंद की पत्नी पूजा का कहना है कि पुलिस अधिकारी सुशील कुमार सिंह, सुरेन्द्र सिंह तथा SO रामकेवल पटेल आये दिन समझौता करने के लिए दबाव बनाते रहते थे.

2020 में होली के करीब विवेचना करने के बहाने कुछ पुलिस अधिकारी उनके घर पर आये और घर की सभी औरतों का नाम लिख कर ले गए. उसके कुछ दिनों बाद सभी औरतों को बिना कुछ बताये जबरन थाने ले जाकर बन्द कर दिए और बोले कि तुम लोगों पर त्यौहार के समय में शांतिभंग करने का आरोप है. अब तुम लोगों को जमानत लेकर ही बाहर जाना होगा. सभी महिलाएं जमानत पर बाहर आईं. उसके बाद भी धमकियां मिलती रही, जिसकी सूचना थाने पर दिया जाता था लेकिन कोई कार्यवाई नहीं होती थी.

सितम्बर 2021 को एक बार फिर मृतक की जेठानी व बेटी सपना अपने घर के आगे द्वार पर बैठी थी, तब तक कान्हा ठाकुर के घर के लोग वहां आये और उनके साथ छेड़खानी किये. घर में दरवाजा तोड़ कर घुस गए और काफी मार-पीट किये, जिसकी सूचना थाने पर दी गयी तो पुलिस अधिकारियों द्वारा घटना की जानकारी की बात स्वीकार कर ली गयी लेकिन FIR नहीं लिखा गया.

बार- बार कहने पर 7 दिन बाद FIR तो लिख ली गयी लेकिन ठाकुर परिवार द्वारा क्रॉस FIR भी लिखावाया गया, जिसमे फूलचंद के भाईयों द्वारा बबली सिंह के साथ छेड़खानी की रिपोर्ट लिखवाई गई. पुलिस द्वारा उचित रूप से कानूनी कार्यवाई न करने का नतीजा यह रहा कि कान्हा ठाकुर और उसके परिवार की बबली सिंह तथा अन्य सदस्यों का साहस बढ़ती ही गई.

इन घटनाओं के कारण से घर के लोगों का पक्का शक कान्हा ठाकुर के परिवार पर ही है कि उन्होंने हम पर और गांव में दबंगई स्थापित करने के लिए इस घटना को अंजाम दिया है. घर के लोगों का कहना है कि –

  1. हमारे साथ जाति के आधार पर उत्पीड़न किया गया है. यदि हम पासी जाति से नहीं होते तो ऐसा नहीं होता.
  2. हम लोग हत्या की शंका जताते हुए थाने पर बार-बार सूचना देते रहे कि हमारे साथ कोई अनहोनी हो सकती है लेकिन निम्न जाति का होने की वजह से हमारी आवाज़ को अनसुना किया गया.
  3. गांव के अधिकांश लोग कान्हा ठाकुर के खेत में किसी न किसी रूप में बेगार करते हैं लेकिन हम लोग नहीं करते हैं इसलिये वे हम लोगों से ज्यादा चिढ़े रहते थे.
  4. बबली सिंह के यहाँ पुलिस के लोगों का आना-जाना, उठना-बैठना, खाना-पीना चलता रहता था. पुलिस पूरी तरह उनके साथ है.
  5. फूलचंद का घर मुख्य सड़क पर है, जिसे पुलिस का शह पाकर कान्हा ठाकुर और उसके परिवार के हड़पने की कोशिश की जा रही.

पुलिस की कहानी

इस मामले में पुलिस घर वाले लोगों द्वारा लिखाई गई FIR जांच को आगे बढ़ाने की बजाय अपने अलग ट्रैक पर जांच कर रही है. जब यह मामला पूरे देश की मीडिया में आ गया तब पुलिस ने ईंट भट्टा से एक युवक पवन कुमार सरोज को गिरफ्तार किया है. जिस दिन पुलिस की टीम जांच के लिए गई थी, उसी रोज गांव में आईजी को दौरा होने की तैयारी जोर शोर से चल रही थी. उस दौरे के बाद से ही अखबारों में हत्याकांड की कहानी प्रेम प्रसंग में बदल गई.

पुलिस ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह बताया कि ईंट भट्टे पर काम करने वाले एक युवक के साथ लड़की का फोन चैट पाया गया है, जिसमे लड़की ने प्रेम से इंकार किया था और इसके आधार पर लड़के को ही हत्या का दोषी में लिया गया है. प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि लड़के के घर से खून से सनी टी-शर्ट भी बरामद की गई है. अखबारों में यह लिखा जाने लगा कि हत्यारा उसी की जाति का था. इसके पहले पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में मारी गई दोनों औरतों मां बेटी के साथ बलात्कार की पुष्टि हो चुकी है.

निष्कर्ष

इस जांच से यह पता चलता है कि मारा गया दलित परिवार का गांव के दबंग ठाकुर परिवार ‘कान्हा ठाकुर’ के जातीय उत्पीड़न का शिकार था. अतीत में कई बार उन्होंने फूलचंद के घर पर हमला किया, औरतों के साथ छेड़खानी की थी, इसलिए हत्या का पहला शक उन पर ही जाता है. घर के लोगों ने भी एफआईआर में उस परिवार के लोगों को ही नाम जद किया है, जबकि पुलिस मात्र फोन चैट के आधार पर आरोपी किसी और को बना रही है.

पुलिस द्वारा आरोपी बनाए गए लड़के के घर से खून से सनी टी शर्ट मिलना भी संदिग्ध लगता है. ठाकुर परिवार को बचाने का पुलिस का जो पिछला रिकॉर्ड है, उसे देखते हुए पुलिस की जांच और कहानी संदिग्ध लगती है. यह भी लगता है पुलिस इस मामले की जांच में आगे भी निष्पक्ष नहीं रहेगी क्योंकि घर वालों के आरोपों को देखते हुए पुलिस इस मामले में खुद आरोपी पक्ष है इसलिए वह इस घटना की सही जांच नहीं कर सकती. यह एक जघन्य हत्याकांड है, जिसकी पृष्ठभूमि में जातीय उत्पीड़न निहित है, इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए.

पीयूसीएल (इलाहाबाद इकाई) की माँगें-

  1. मामले की जांच स्थानीय पुलिस थाने से लेकर उच्च न्यायालय रिटायर्ड न्यायधीश के नेतृत्व में कराई जाय.
  2. घर के लोगों द्वारा लगाए गए आरोपों को देखते हुए पुलिस को भी जांच के लिए पार्टी बनाया बनाया जाय व पूर्व के मामलों और fIR में कारवाही न किए जाने की जांच की जाय, व दोषी पुलिस कर्मियों को बर्खास्त किया जाय. क्योंकि यह संभव है कि अगर पुलिस ने सही समय पर उचित कारवाही की होती तो यह जघन्य हत्याकांड न हुआ होता.
  3. ख़ौफ़ के साये में जी रहे पीड़ित परिवार को सुरक्षा सुरक्षा प्रदान की जाये.
  4. घटनास्थल पर सबूत अभी भी जिस प्रकार बिखरे पड़े हैं और वहां कोई भी बेखटके जा सकता है, उससे यह साफ दिखता है कि सबूतों को इकट्ठा करने में बहुत अधिक लापरवाही बरती गई है. इन सबूतों को सुरक्षित किया जाय तथा पुलिस की पहुंच से दूर स्वतंत्र जांच एजेंसी को सौंपा जाए.
  5. इस क्षेत्र और प्रदेश में बढ़ते जातीय उत्पीड़न, जातीय अपराध, और यौन हिंसा पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं.

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