Home कविताएं हटो हटो पीछे निज़ाम तुम

हटो हटो पीछे निज़ाम तुम

0 second read
0
0
247

हटो हटो पीछे निज़ाम तुम

हटो हटो पीछे निज़ाम तुम
किसान बढ़ रहे आगे
नहीं लड़ाई रुकेगी अब
ये लोग जा रहे जागे
तेरी तानाशाही को देंगे धक्के पर धक्के
तेरी मनमानी के बुल्डोजर के थमेंगे चक्के

खींचो खींचो पीछे क़दम तुम
निज थूके को चाटो
सैलाब नहीं फटेगा बीच से
जितना भी तुम बांटो
तीनों कृषि क़ानून को वापस लिये कि जो हैं काले
बाक़ी को भी वापस लो जनरोष के पड़े हो पाले

सीएए एनआरसी सब को
क़ब्रों में दफ़नाओ
भागो ऐ भगवा निज़ाम
तुम अपनी जान बचाओ
किसानों के हत्यारों, ख़ून से रंगे हैं हाथ तुम्हारे
लिये जायंगे एक एक कर तुम से बदले सारे

मुआवजा तो दोगे ही तुम
रो कर दो या हंस कर
हिटलर से भी हालत तेरी
जनता करेगी बदतर
न्यूनतम समर्थन मूल्य की तत्क्षण करो जी तुम गारंटी
छोड़ो अब बकबास झूठ ख़तरे की बज रही घंटी

चालबाज़ियों मक्कारी
हर झूठ का दामन छोड़ो
बढ़े हुए बिगड़े क़दमों को
तत्क्षण पीछे मोड़ो
निजीकरण जिन सेक्टरों के किये उन्हें करो सरकारी
दिख न रही क्या तुम्हें भुखमरी, मौतें और बेकारी ?

अडानियों अंबानियों के संग
भारत से तुम भागो
गद्दी कांटों की है बन गई
जान की ख़ैरियत मांगो.

  • वासुकि प्रसाद ‘उन्मत्त’

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • शातिर हत्यारे

    हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…
  • प्रहसन

    प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्य…
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…