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भाकपा (माओवादी) ने 20 नवंबर को एक दिवसीय (24 घंटा) ‘भारत बंद’ का किया ऐलान

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भाकपा (माओवादी) ने 20 नवंबर को एक दिवसीय (24 घंटा) 'भारत बंद' का किया ऐलान

भाकपा (माओवादी) के पूर्वी रीजनल ब्यूरो (ईआरबी) के प्रवक्ता संकेत ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भाकपा (माओवादी) के केंद्रीय कमिटी व पोलित ब्यूरो सदस्य तथा पूर्वी रीजनल ब्यूरो के सचिव का. किसान दा उर्फ़ प्रशांत बोस और उनकी पत्नी व केंद्रीय कमिटी के सदस्य का. शीला मरांडी की 12 नवंबर को हुई गिरफ़्तारी के खिलाफ 15 नवंबर से 19 नवंबर 2021 तक 5 दिवसीय ‘प्रतिरोध दिवस’ और 20 नवंबर 2021 को एक दिवसीय (24 घंटा) ‘भारत बंद’ घोषित किया है. इसी सन्दर्भ में सीपीआई माओवादी की पूर्वी रिजनल ब्यूरों की ओर एक पर्चा जारी किया गया है, जिसका मजमून इस प्रकार है –

भाकपा (माओवादी) ने 20 नवंबर को एक दिवसीय (24 घंटा) 'भारत बंद' का किया ऐलान

हमारी पार्टी भाकपा (माओवादी) के केन्द्रीय कमेटी व पोलित ब्यूरो सदस्य तथा पूर्वी रीजनल ब्यूरो सचिव का. किसान दा उर्फ प्रशांत बोस और उनकी पत्नी व केन्द्रीय कमेटी के सदस्या का. शीला मरांडी की गिरफ्तारी के खिलाफ 15 नवम्बर से 19 नवम्बर 2021 तक 5 दिवसीय प्रतिरोध दिवस और 20 नवम्बर, 2021 को एक दिवसीय (24 घंटा) भारत बंद को सफल करें.

विदित हो कि दिनांक 12/11/2021 को सुबह लगभग 09 बजे हमारी पार्टी भाकपा (माओवादी) के केन्द्रीय कमेटी व पोलित ब्यूरो के वरिष्ठ सदस्य तथा पूर्वी रीजनल ब्यूरो सचिव का. किसान दा उर्फ प्रशांत बोस उम्र 75 वर्ष और उनकी पत्नी व केन्द्रीय कमेटी तथा पूर्वी रीजनल ब्यूरो सदस्या का. शीला मरांडी उम्र लगभग 61 वर्ष, दोनों शारीरिक अस्वस्थता के कारण संघर्षशील क्षेत्र से बाहर इलाज के लिए जा रहे थे.

इलाज के लिए बाहर जाने के दौरान ही सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम और केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के संयुक्त टीम द्वारा सरायकेला जिला के चांडिल-कंड्रा पथ पर कंड्रा टोलप्लाजा नाका के पास गिरफ्तार कर लिये गये. गिरफ्तार करके उन्हें पुलिस हिरासत में रखकर पाशविक यातनाएं देते हुए पूछताछ की जा रही है.

केन्द्रीय कमेटी के पूर्वी रीजनल ब्यूरो (इआरबी) पुलिस द्वारा 75 वर्षीय वृद्ध एवं शारीरिक रूप से अस्वस्थ का. किसान दा और 61 वर्षीय वृद्ध एवं शारीरिक रूप से अस्वस्थ शीला दी दोनों इलाज के लिए जाने के क्रम में पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर उन्हें इलाज से वंचित कर पुलिस हिरासत में रखकर पूछताछ के दौरान उन्हें शारीरिक व मानसिक यातनाएं देने के बर्बर पुलिसिया कार्रवाई और वरिष्ठ नागरिकता अधिकार व मानवाधिकार हनन करने की तीव्र निन्दा और कठोर भर्त्सना करती है.

इआरबी का. किसान दा और का. शीला दी की शारीरिक अस्वस्थता के मद्देनजर तथा वरिष्ठ नागरिकता अधिकार के तहत झारखंड सरकार से अपील करती है कि उन दोनों साथियों को अविलम्ब न्यायालय में पेश कर उन्हें इलाज की समुचित व्यवस्था मुहैया किये जाएं तथा जाड़े का मौसम है इसलिए उन्हें तुरंत गरम कपड़े दिये जाएं क्योंकि का. किसान दा कई बीमारी के मरीज हैं, जैसे-

  1. Coronary artery, Anstable angina- from 2014;
  2. Cerebro vescular accident- from 2014;
  3. prostrate Cancer- for test;
  4. Osteo Arthritis and
  5. Blood Pressure and Sugar

वैसे ही का. शीला दी भी कई बीमारी के मरीज हैं, जैसे-

  1. Bllod Pressure Hypertrapy and Ventricular Hypertropy;
  2. Gall blader ston;
  3. Osteo Arthritis and Osteo Prosis;
  4. Senile Catract आदि

इसलिए उन्हें इन सारी बीमारियों की इलाज हेतु अस्पताल में अविलम्ब भर्ती किये जाएं तथा जरूरत की दवा भी मुहैया किये जाएं. साथ ही इन दोनों के साथ सफर करने वाले गिरफ्तार सभी व्यक्तियों को भी अविलम्ब न्यायालय में पेश करते हुए बिना शर्त रिहा किये जाएं.

दोस्तो, का. किसान दा 60 के दशक से ही भारतीय नव जनवादी क्रांतिकारी संघर्ष में कूद पड़े थे. उन्होंने भाकपा (माओवादी) के अन्यतम संस्थापक नेता का. कन्हाई चटर्जी के नेतृत्व में अक्टूबर 1969 में गठित ‘माओवादी कम्युनिस्ट केन्द्र’ (एमसीसी) से जुड़कर सांगठनिक कामकाज करते हुए बिहार-बंगाल स्पेशल एरिया कमेटी के सचिव के पद की जिम्मेदारी निभाते हुए संघर्ष का नेतृत्व प्रदान किये.

उसके बाद एमसीसी के केन्द्रीय कमेटी के सचिव, बाद में एमसीसीआई के केन्द्रीय कमेटी के सचिव की जिम्मेदारी भी निभाते हुए क्रांतिकारी संघर्ष का नेतृत्व किये और वर्ष 2004 के 21 सितम्बर को सीपीआई (एमएल) (पीपुल्स वार) और एमसीसीआई का विलय होकर गठित भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के केन्द्रीय कमेटी व पोलित ब्यूरो सदस्य तथा पूर्वी रीजनल ब्यूरो के सचिव के पद पर कार्यरत रहे.

भारत के मजदूर-किसान, शोषित-उत्पीडित आदिवासी और दलित जनता सहित तमाम मेहनतकश वर्गों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर शोषक-शासक वर्गों का शोषण और जुल्म से मुक्ति पाने तथा सही इज्जत-आजादी और आर्थिक-राजनीतिक अधिकार हासिल करने के संघर्ष में नि:स्वार्थ भाव से जान की परवाह किये बिना जनता के सेवक के बतौर नेतृत्व प्रदान करते हुए शोषित-उत्पीडित जनता के लोकप्रिय नेता बन गये.

वैसे ही का. शीला दी भी 70 के दशक से छोटी उम्र में ही तत्कालीन एमसीसी के संघर्ष में शामिल होने के बाद सांगठनिक कामकाज को संभालते हुए शोषित-उत्पीड़ित महिलाओं की मुक्ति हेतु पार्टी के नेतृत्व में संचालित महिला फ्रंट नारी मुक्ति संघ के अध्यक्ष के पद की जिम्मेदारी निभाते हुए एक मजबूत महिला संगठन का निर्माण करने में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिये.

खासकर बिहार-झारखण्ड में तिलक-दहेज प्रथा के खिलाफ, बाल विवाह के खिलाफ, नशाखोरी के खिलाफ, महिलाओं को पुरुषों के समान मजदूरी पाने, पितृसत्ता के खिलाफ तथा समाज में समान इज्जत व मर्यादा पाने के आन्दोलन में नारी मुक्ति संघ ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और संघ को पहचान दिलाने में उनकी महत्वपूर्ण योगदान रही है.

इस तरह उन्होंने महिलाओं को अपनी इज्जत-आजादी और अधिकार हासिल करने के संघर्ष हेतु जन संगठन व जन आन्दोलन में महिलाओं को संगठित करने के साथ-साथ पार्टी और फौज में भी व्यापक महिलाओं को शामिल करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

इस तरह का. शीला दी पार्टी में महिला फ्रंट की जिम्मेदारी निभाते हुए एमसीसी व एमसीसीआई में कार्य के दौरान ही एरिया पार्टी कमेटी से लेकर स्पेशल एरिया कमेटी के स्तर तक के पद की जिम्मेदारी निभाई और 2004 में भाकपा (माओवादी) गठन होने पर केन्द्रीय कमेटी की सदस्य चुनी गई और उसी पद पर कार्यरत थे.

यह जग जाहिर है कि भाकपा (माओवादी) तथाकथित आजादी यानी 1947 में अंग्रेजी साम्राज्यवाद द्वारा सत्ता के हस्तांतरण के बाद से हमारे देश में जारी साम्राज्यवाद के अप्रत्यक्ष शोषण-शासन यानी अर्द्ध औपनिवेशिक-अर्द्ध सामंती शासन के तहत साम्राज्यवाद-सामंतवाद और दलाल नौकरशाह पूंजीपति वर्ग के शोषण व शासन से मुक्त नव जनवादी भारत व समाजवाद की स्थापना करते हुए साम्यवादी समाज के निर्माण की ओर आगे बढ़ने के लक्ष्य रख कर भारतीय नव जनवादी क्रांति सफल करने हेतु न्यायपूर्ण क्रांतिकारी संघर्ष व जनयुद्ध चला रही है.

इस न्यायपूर्ण क्रांतिकारी संघर्ष को साम्राज्यवाद का दलाल बड़े पूंजीपति या नौकरशाह दलाल पूंजीपति वर्ग और सामंत जमीन्दार वर्ग और उसका प्रतिनिधित्व करने वाली शासक वर्गीय राजनीतिक पार्टियों के नेतृत्वाधीन प्रतिक्रियावादी सरकार द्वारा भाकपा (माओवादी) को अति वामपंथी उग्रवादी करार देकर बर्बर दमनात्मक अभियान चलाया जा रहा है.

वर्ष 2004 में भाकपा (माओवादी) गठन होने के साथ ही तत्कालीन यूपीए नीत मनमोहन सरकार द्वारा भाकपा (माओवादी) को आंतरिक सुरक्षा के मामले में सबसे बड़ा खतरा बताकर पार्टी के नेता व कार्यकर्ताओं के ऊपर बर्बर दमन अभियान चलाया जा रहा है और 2009 के उत्तरार्द्ध से ‘ऑपरेशन ग्रीन हंट’ नामक बर्बर युद्ध अभियान पूरे देश के पैमाने पर चलाया जा रहा है.

2014 में केन्द्र में फासिस्ट भाजपानीत एनडीए की नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद ‘ऑपरेशन ग्रीन हंट’ दमन अभियान को और तीव्र व खूखार रूप से चलाया जा रहा है. इसी दमन अभियान के तहत 2017 से 2022 तक ‘मिशन समाधान’ के तहत माओवादी आन्दोलन को कूचल डालने और माओवादियों का सफाया करने के लक्ष्य से दमन अभियान को और क्रूरतापूर्ण ढंग से चलाया जा रहा है. भाजपानीत मोदी की सरकार केन्द्र में दूसरी बार सत्तारूढ़ होने के बाद फासीवादी हमले और तेज हो गये हैं तथा न्यूनतम जनवादी अधिकार को भी बूटों तले रौंदे जा रहे हैं.

सरकार के जनविरोधी कानून व नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले मानव अधिकार कार्यकर्ताओं-सामाजिक कार्यकर्ताओं और अधिवक्ताओं के ऊपर फासीवादी कातिलाना हमले चलाने तथा झूठे आरोप लगाकर जेलों में डालकर शारीरिक व मानसिक यातनाएं चलाये जा रहे हैं. फासिस्ट भाजपानीत केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा क्रांतिकारी संघर्षों के ऊपर चलाये जा रहे चौतरफा हमला का ही अभिन्न हिस्सा है – का. किसान दा और का. शीला दी की गिरफ्तारी.

भाकपा (माओवादी) की पूर्वी रीजनल ब्यूरो (इआरबी) हमारे केन्द्रीय कमेटी व पोलित ब्यूरो सदस्य तथा पूर्वी रीजनल ब्यूरो के सचिव का. किसान दा और केन्द्रीय कमेटी के सदस्या का. शीला दी की गिरफ्तारी के खिलाफ 15 से 19 नवम्बर तक प्रतिरोध दिवस मनाने तथा 20 नवम्बर 2021 को एक दिवसीय (24 घंटे) भारत बंद की घोषणा करती है.

पूर्वी रीजनल ब्यूरो प्रतिरोध दिवस तथा एक दिवसीय भारत बंद को सफल बनाने के लिए रीजनल ब्यूरो के अधीनस्थ तमाम पार्टी कमेटियों सहित पूरे पार्टी कतारों, पीएलजीए के सभी कमानों, फारमेशनों तथा कमांडरों और लाल सैनिक जन योद्धाओं, जन संगठन-जन आन्दोलन के नेताओं, कार्यकर्ताओं और क्रांतिकारी जन कमेटी व जन सरकार के पदाधिकारियों सहित क्रांतिकारी जनता से प्रतिरोध दिवस व भारत बंद को सफल बनाने के लिए सक्रिय भागीदारी निभाने का आह्वान करती है.

साथ ही पूर्वी रीजनल ब्यूरो तमाम प्रगतिशील संगठनों व व्यक्तियों तथा मानवाधिकार संगठनों और न्यायपसंद प्रबुद्ध नागरिकों से अपील करती है कि आप का. किसान दा और का. शीला दी के ऊपर किये जा रहे मानवाधिकार हनन व अमानवीय यातनाओं के खिलाफ आवाज उठाने तथा समुचित इलाज व आवश्यक दवा मुहैया कराने के साथ-साथ राजनीतिक बंदी का दर्जा प्रदान करने तथा बिना शर्त रिहा करने हेतु जन आन्दोलन को तेज करें.

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