Home गेस्ट ब्लॉग हिंदुत्व, हिन्दू धर्म नहीं है, सावरकर के राजनैतिक दर्शन से उपजा फासिज्म है

हिंदुत्व, हिन्दू धर्म नहीं है, सावरकर के राजनैतिक दर्शन से उपजा फासिज्म है

6 second read
0
0
614

हिंदुत्व, हिन्दू धर्म नहीं है, सावरकर के राजनैतिक दर्शन से उपजा फासिज्म है

हिंदुत्व, हिन्दू धर्म नहीं है. हिन्दू शब्द पर आस्था रखने वाली जनता शब्दों के महीन खेल से विचलित हो रही हैण् सचाई यही है कि हिंदुत्व, हमारा सनातन धर्म नहीं है. हमारी वैदिक परम्पराएं, हमारा कल्चर, हमारे आदर्श और शिक्षाएं, हिंदुत्व नहीं है.

राहुल ने इस छलावे पर सीधा वार करने की हिम्मत दिखाई, इसकी सराहना होनी चाहिए. इस पर खुलकर बात होनी चाहिए क्योंकि हिंदुत्व एक कल्ट है, ये एक नया पंथ है. धार्मिक नहीं, राजनैतिक पंथ है.

ये कल्ट, महज 100 साल पहले, सावरकर के राजनैतिक दर्शन से उपजा है. इसकी जड़ें प्राचीन हिन्दू धर्म मंे नहीं, इटालियन ‘डॉक्ट्रिन ऑफ फासिज्म’ में हैं. हिंदुत्व, उस दौर में सफलता के चरम पर खड़े फासिज्म से चुंधियायी आंखों का स्वप्न है. ये शुद्ध राजनीति है.

बेझिझक इसमें हिन्दू धर्म के प्रतीकों, नारों, श्लोक का इस्तेमाल होता है. हमारे ईश्वर, देवताओं, हमारी मान्यताओं, हमारी वेशभूषा, गाय, तिलक, श्लोक, और तमाम सिंबल का इस्तेमाल होता है. चुराकर, कब्जा करके, धोखे से, प्रोपगेंडे के साथ इस्तेमाल होता है. राम, कृष्ण, अशोक, विक्रमादित्य का इस्तेमाल होता है. गाय और गणेश का इस्तेमाल होता है – पॉलिटिक्स के लिए, अगले चुनाव के लिए !

हिंदुत्व का ये नया कल्ट, धोखेबाजी, डबल स्पीक और मौकापरस्ती का कल्ट है. ये विचार के रूप में सावरकरत्व है, संगठन के रूप में गोलकरत्व है, सत्ता के रूप में मोदीत्व है.

ध्यान से देखिये, ये लोग इस कल्ट के ब्रह्मा-विष्णु-महेश हैं, रचयिता, पालक और संहारक हैं. शाह इस कल्ट के हाई प्रीस्ट हैं, पार्टी के दो-दो करोड़ के फैंसी कार्यालय इसके मन्दिर हैं. हर गली-मोहल्ले में तलवार लाठी भांजते गालीबाज, नफरती लौंडे, इनके पंडे हैं. अरे, ये मेरे हिन्दू धर्म के प्रतिनिधि हरगिज नहीं हैं.

ये हिंदुत्व तो हर वो चीज है, जो हमारा हिन्दू धर्म नहीं है. अखलाक को मारना हिंदुत्व है, दलितों को घसीटना हिंदुत्व है, पादरी को जलाना हिंदुत्व है. अपने कल्ट के नेता के खिलाफ आवाज उठाने वाले छात्र, किसान, पत्रकार और नागरिक को गद्दार देशद्रोही बताना हिंदुत्व है. विचार, विज्ञान, प्रगति, और राष्ट्र निर्माणको का मख़ौल उड़ाना हिंदुत्व है. देश की आजादी को लीज पर, भीख में मिली नकली आजादी बताना हिंदुत्व है.

डर का व्यापार हिंदुत्व है. हिन्दू को खतरे में बताना हिंदुत्व है. एक को दूसरे को डर दिखाकर सत्ता हथियाना हिंदुत्व है. पैसे से सत्ता और सत्ता से पैसा हिंदुत्व है. धोखा, माफी, वादा-खिलाफी, मैनीपुलेशन, फोटोशॉप, नकली वेबसाइट, झूठे किस्से, झूठ को सच, सच को झूठ बनाने के ऑर्गनाइज्ड गैंग की ‘रणनीति’ हिंदुत्व है.

अगर नहीं, तो दिल पर हाथ रखकर, धर्मशास्त्र की किताबें खोलकर, गीता पर हाथ रखकर कहिए – यही मनुस्मृति है, रामायण है, हमारा हिन्दू धर्म है ?

आंखंे खोलिये. देखिये तो सही, इस ‘हिंदुत्व’ में हिन्दू धर्म का कौन-सा आदर्श है ? अगर किसी हत्या को जस्टिफाई न करना हो तो इन्हें गीता की जरूरत नहीं. अगर विज्ञान का मजाक न बनाना हो, तो गणेश की जरूरत नहीं. नेहरू को नीचा नहीं दिखाना हो, तो सरदार की जरूरत नहीं.

दरअसल वोट मिलने बन्द हो जाएं, तो इन्हें श्रीराम की भी जरूरत नहीं. इन्हें बुद्ध की, गांधी की जरूरत नहीं. इस कल्ट में दादागिरी है, खून की गर्मी है. इसमें कब्रों से लाशें निकालकर बलात्कार के प्रवचन हैं. इसमे कब्रिस्तान और श्मशान की प्रतिस्पर्धा है. ये मेरा हिन्दू धर्म कतई नहीं.

हिंदुत्व तुम्हारा निजी कल्ट है. तुम्हारे कल्ट का पैगम्बर सावरकर है, तुम्हारा नबी गोडसे है. तुम्हारे मन मन्दिर में उनकी मूरत है और इसलिए कोई शक नहीं. गांधी के सीने में पैवस्त, रक्तरंजित वो गोलियां, वो गोलियां ही तुम्हारा हिंदुत्व है.

  • मनीष सिंह

Read Also –

 

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…