Home ब्लॉग संयुक्त किसान मोर्चा : किसान आंदोलन पर राजकीय दमन बंद करो

संयुक्त किसान मोर्चा : किसान आंदोलन पर राजकीय दमन बंद करो

4 second read
0
0
577

संयुक्त किसान मोर्चा : किसान आंदोलन पर राजकीय दमन बंद करो

आज किसान आंदोलन के 345वां दिन, 6 नवंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से प्रेस नोट जारी किया गया है. संयुक्त किसान मोर्चा अपने आंदोलन के दौर में हर दिन की स्थिति पर प्रेस नोट जारी करता है, जो इस ऐतिहासिक किसान आन्दोलन की सबसे बड़ी विशेषताओं में से एक है.

यह प्रेस नोट संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह की ओर से हस्ताक्षरित होता है. आज जारी इस प्रेस नोट में आन्दोलन के सन्दर्भ में ये बाते स्पष्ट की गई है.

किसान आंदोलनकारी हरियाणा के नारनौंद थाने के समक्ष लगातार चल रहे घेराव में शामिल होकर बड़ी संख्या में धरना दे रहे हैं. प्रदर्शनकारियों की एक बड़ी संख्या महिला किसानों की है. कल एक प्रदर्शनकारी कुलदीप सिंह राणा के गंभीर रूप से घायल होने के मामले में किसान, भाजपा सांसद रामचंद्र जांगड़ा और उनके सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग कर रहे हैं.

साथ ही भाजपा सांसद रामचंद्र जांगड़ा के खिलाफ स्थानीय किसानों द्वारा काला झंडा दिखाए जाने पर कल हरियाणा के नारनौंद पुलिस स्टेशन, हांसी में तीन किसानों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गई है. हर्षदीप गिल, कैलाश और सुधीर पर इस प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 120बी, 147, 148, 149, 186, 341, 353 और 427 (आपराधिक साजिश, दंगा, एक लोक सेवक पर हमला करने आदि की धाराओं) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

कई संयुक्त किसान मोर्चा नेताओं सहित पुलिस थाने के बाहर इकट्ठा हुए किसानों की भारी संख्या के दबाव में उन्हें कल देर शाम रिहा कर दिया गया, लेकिन उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. इस बीच, कल पुलिस लाठीचार्ज में गंभीर रूप से घायल प्रदर्शनकारी कुलदीप राणा जिंदल अस्पताल के आईसीयू में भर्ती हैं, जहां उनकी सर्जरी हुई और उन्हें अभी तक खतरे से बाहर नहीं बताया गया है.

संयुक्त किसान मोर्चा की मांग है कि हरियाणा पुलिस द्वारा किसानों के खिलाफ दर्ज मामले तुरंत वापस लिए जाएं, भाजपा सांसद राम चंदर जांगड़ा के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया जाए और भाजपा सांसद किसानों को अपशब्द बोलने के लिए माफी मांगे.

संयुक्त किसान मोर्चा ने भाजपा-जजपा नेताओं से किसानों को भड़काना बंद करने और भाजपा की पार्टी गतिविधियों के लिए विभिन्न संस्थानों (कॉलेजों, मंदिरों और अन्य स्थानों) का इस्तेमाल बंद करने को भी कहा है. कल भाजपा नेताओं ने रोहतक में कलोई गांव में भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का इस्तेमाल किया और इसका विरोध करते हुए किसानों ने घेराव किया और कई घंटों तक भाजपा नेताओं को बाहर नहीं जाने दिया.

28 अक्टूबर 2021 को टिकरी मोर्चा पर शहीद हुई तीन महिलाओं – अमरजीत कौर, गुरमेल कौर और सुखविंदर कौर की टिपर ट्रक से कुचले जाने से मौत हो गई थी, जबकि दो अन्य महिलाएं हरमीत कौर और गुरमेल कौर गंभीर रूप से घायल हो गईं. इन छोटे-जोत वाली महिला किसानों के परिवारों पर कर्ज की तुलना में पंजाब सरकार द्वारा अनुग्रह राशि के रूप में घोषित मुआवजा अपर्याप्त है, और संयुक्त किसान मोर्चा मुआवजे की राशि को बढ़ाने की मांग करता है.

इन महिला शहीद किसानों के अंतिम अरदास में (7 नवंबर 2021) को पंजाब के मनसा जिले के खिवा दयालपुरा में कई संयुक्त किसान मोर्चा नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है। संयुक्त किसान मोर्चा ने तीनों शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए विभिन्न विरोध स्थलों पर प्रार्थना सभा आयोजित करने का भी आह्वान किया है.

सिंघू मोर्चा पर कल आग लग गई जिसमें दो टेंट और एक ट्राली जल कर ख़ाक हो गई. हलांकि इस पर तुरंत क़ाबू पा लिया गया पर अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि आग कैसे लगी. हालांकि, प्रदर्शनकारी किसान इस तरह की हादसों और अन्य विभिन्न कठिनाइयों का निर्भीकता से सामना कर रहे हैं.

अपने लेखन के माध्यम से क्रांतिकारी और दलित चेतना को जगाने वाले पंजाबी कवि संत राम उदासी की आज 25वीं पुण्यतिथि है. वह मजदूर-किसान एकता के प्रतीक थे और संयुक्त किसान मोर्चा उन्हें आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता है.

देश के विभिन्न हिस्सों में डीएपी और अन्य उर्वरक हासिल करने में किसानों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. इस कमी से संबंधित मौतों और आत्महत्याओं के उदाहरण लगातार सामने आ रहे हैं और संयुक्त किसान मोर्चा मांग करता है कि भारत सरकार कालाबाजारी और जमाखोरी को रोककर सुचारुपूर्वक और समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करे.

जैसा कि कई विशेषज्ञों ने बताया है, कृषि आत्महत्या पर भारत सरकार का हाल ही में जारी एनसीआरबी डेटा अत्याधिक संदेहास्पद है. जैसा कि पहले बताया गया है, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, त्रिपुरा आदि जैसे कई राज्यों ने शून्य कृषि आत्महत्याओं की सूचना दी है, जो केवल आंकड़ों का हेरफेर है।

इसके अलावा, ज्यादातर राज्यों में, पंजाब में विश्वविद्यालयों द्वारा किए गए व्यापक सर्वेक्षण सहित अन्य स्रोतों के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों की तुलना में संख्या काफी कम है. एनसीआरबी की संख्या ऐसे सर्वेक्षणों से प्राप्त संख्या के आधे से भी कम है.

एसकेएम एक बार फिर इंगित करता है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी की मुख्य मांग किसानों के संकट को दूर करने में एक महत्वपूर्ण समाधान होगी. संयुक्त किसान मोर्चा भारत सरकार से इस मांग को बिना किसी देरी के पूरा करने की मांग को दोहराता है.

Read Also –

 

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…