Home कविताएं अभी दिवाली कहां है यारों ?

अभी दिवाली कहां है यारों ?

0 second read
0
0
346

अभी दिवाली कहां है यारों, अभी दिवाली नहीं है आई.

अभी तो देखो यारों कितने घरों का बुझा है चूल्हा
ना जाने कब से भर पेट है रोटी खाई.
अभी दिवाली कहां है यारों, अभी दिवाली नहीं है आई.

अभी तो हर पल पिस रहा इन्सान है
अभी तो करोड़ों बच्चे भूख से बेहाल है
अभी तो हर तरफ़ है छाई उदासी.
अभी दिवाली कहां है यारों, अभी दिवाली नहीं है आई.

अभी झूठे हैं दीपक सारे,
झूठी है ये लड़ियां झड़ियां
ना जाने कितने घरों में अंधियारा है
कितनों का जीवन अंधेरे में है.
अभी दिवाली कहां है यारों, अभी दिवाली नहीं है आई।

असल दिवाली उस दिन होगी यारों
जब हर चेहरे पर मुस्कान खिलेगी
हर आंख का सपना जिस दिन साकार होगा यारों
अभी दिवाली कहां है यारों, अभी दिवाली नहीं है आई.

अभी तो भटक रहे दरबदर करोड़ों इन्सान है
अभी तो खौफजदा बहन, बेटी और मां है
डर के साए में जी रहा हर इन्सान है.
अभी दिवाली कहां है यारों, अभी दिवाली नहीं है आई.

  • पवन कुमार

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • शातिर हत्यारे

    हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…
  • प्रहसन

    प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्य…
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…