Home लघुकथा पिता-पुत्र संवाद : भगवान बनाम मानव

पिता-पुत्र संवाद : भगवान बनाम मानव

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रेणु आनंद

एक लड़का अपने पिताजी से सवाल करता है –

लडका – पापा मुझे स्कूल में पढाया गया कि इंसान पहले आदिमानव था, यह सच है क्या ?

पापा – हां बेटा, इंसान पहले आदिमानव था.

लडका – फिर तो वो शरीर पर कपड़े नहीं पहनते रहे होंगे ?

पापा – नहीं बेटा, इंसान के जीवन मे धीरे-धीरे प्रगति हुई. इंसान थोड़ा थोड़ा समझने लगा, तब पहले पेड़ के पत्तों के कपड़े पहनने लगे, फिर जैसे जैसे उसे समझ आने लगा, वैसे वैसे वो सुधरता गया और अनेक शोध करता गया. अभी जो कुछ भी हम देख रहे हैं, उपयोग कर रहे हैं, वो सब कुछ इंसान ने ही निर्माण किया है.

लडका – पापा तो फिर भगवान पहले थे या इंसान ?

पापा – बेटा भगवान पहले थे. भगवान ने ही दुनिया बनाई है.

लडका – फिर पापा ऐसा कैसे..?? वो भगवान की तस्वीर में तो कपड़े, गहने, त्रिशूल, सोना, भाले, गदा, लड्डू, मोदक ऐसे बहुत कुछ दिखता है ?

उस समय गहने बनाने वाला सुनार था क्या ??
कपड़े की मिल थी क्या ??
कपडे़ की सिलाई के लिये दरजी था क्या ??
भाले, त्रिशूल, गदा, तलवार बनाने वाले कारीगर थे क्या ??
लड्डू मोदक बनाने वाले हलवाई थे क्या ??

पापा – पागलों जैसे सवाल मत पूछ, चुप बैठ !! अरे बेटा, वो भगवान है. वो कुछ भी कर सकते हैं.

लडका – तो भगवान कहां है पापा ??

पापा – अरे भगवान हमारी आजुबाजु ही है.

लडका – क्या भगवान है यहां… ??

पापा – हां बेटा.
लडका – तो उन्हें कहो ना शेर-हिरन की चमड़ी​ के कपडे़ पहनने से अच्छा उन्नत कपड़े पहनें. त्रिशूल, भाले, गदा, तलवार से अब कोई नहीं डरता. उनसे कहो रायफल, मशीनगन और एटम बम अपने पास रखें.

वैसे तो जिसने दुनिया बनाई है, जिनकी श्राप वाणी में इतनी ताकत है, तो उन्हें गदा तलवार की जरूर क्या है पापा ??
वो तो दयालू और क्षमाशील हैं…?

और एक बात पापा, आप उन्हें कहो ना अपने देश का भ्रष्टाचार मिटाने के लिए, किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए, उनकी आत्महत्या रोकने के लिए, 2 साल की छोटी लडकी से 60 साल की औरत पर रोजाना बलात्कार होते हैैं, वो रोकने को कहो ना. मंदिरों में करोड़ों-अरबों की संपत्ती है, वो लोक कल्याण के लिये देने की बुद्धि उन मंदिर प्रशासन वालों को दे, वैसे कहो ना पापा…

पापा – बेटा मैं तेरे हाथ जोड़ता हूं. बस कर अपने सवाल. मुझे अब तक नहीं पता तो मैं तुझे क्या जवाब दूं .मुझे बचपन से जैसा भगवान दिखाया गया, जैसा धर्म सिखाया गया वैसे ही पूजा और पालन करता आया हूं. मुझे ये सब नहीं पता बेटा, पर सब पालन करना पड़ता है बेटा. अच्छा नहीं लगता है फिर भी चुप बैठना पड़ता है.

लडका – यानी आज तक आपने अपनी बुद्धि और धैर्य का उपयोग नहीं किया, पर पापा मैं वैसा नहीं करूंगा. सत्य-असत्य जान के ही आगे जाउंगा. पर मुझे इतना विश्वास जरूर है, ये सृष्टि का निर्माता जेसे हो वैसे हो, पर जैसा सभी धर्म सिखाते हैं, वैसे बिलकुल नहीं है.

ये सुन के पापा का सर नीचे झुक गया और लड़के से नजर चुराने लगा.

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ROHIT SHARMA

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