गिरीश मालवीय
मोदी राज में ‘विश्वगुरु’ भारत की स्थिति नेपाल, बांग्लादेश और यहां तक कि पाकिस्तान से भी बदतर हो गयी है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट रिलीज की गई है. भारत कुल 116 देशों में 101वें स्थान पर है, जबकि भूख के मामले में हमारे पड़ोसी देश जैसे नेपाल (76), बांग्लादेश (76), म्यांमार (71) और पाकिस्तान (92) हमसे कहीं बेहतर स्थान पर है.
भारत की तुलना में इन सभी देशो ने अपने नागरिकों को भोजन उपलब्ध कराने को लेकर बेहतर प्रदर्शन किया है. मोदी राज में हमारी स्थिति बद से बदतर की तरफ बढ़ रही है. साल 2014 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रैंकिंग में भारत 55वें पायदान पर था लेकिन 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में सरकार बनने के बाद भारत की रैंकिंग में लगातार गिरावट दर्ज की गई.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार 2015 में भारत 55वें स्थान से फिसलकर 80वें पायदान पर पहुंच गया, वहीं 2016 में 97वें और 2017 में 100वें स्थान पर पहुंच गया. 2018 में 103वें स्थान पर था, 2019 में 102वें नम्बर पर आया और पिछले साल 2020 में भी भारत 107 देशों में 94वें स्थान पर था. इस साल वह 116 देशों में 101वें स्थान पर है.
लगातार पिछले सात सालों से इसी तरह से भारत की रैंकिंग गिर रही है लेकिन इसके बावजूद न तो मोदी सरकार को शर्म आ रही है और न उसका गुणगान गाते रहने वाली मीडिया को.
अदम गोंडवी ने कहीं लिखा है – छेड़िए इक जंग, मिल-जुल कर ग़रीबी के ख़िलाफ़. दोस्त, मेरे मज़हबी नग़मात को मत छेड़िए, लेकिन भारत के मीडिया में वो सारी बातें जो नागरिक के जीवन को बेहतर बनाती है, उनकी चर्चा नही होती, सिर्फ ‘मज़हबी नग़मात’ ही चर्चा में रहते हैं.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में दुनिया के तमाम देशों में खानपान की स्थिति का विस्तृत ब्योरा होता है. मसलन, लोगों को किस तरह का खाद्य पदार्थ मिल रहा है, उसकी गुणवत्ता और मात्रा कितनी है और उसमें कमियां क्या हैं. इस इंडेक्स में दुनिया के विकसित देश शामिल नहीं होते हैं.
साल 2006 में इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट (आईएफपीआरआई) नाम की जर्मन संस्था ने पहली बार ग्लोबल हंगर इंडेक्स यानी वैश्विक भूख सूचकांक जारी किया था. हर साल अक्टूबर में ये रिपोर्ट जारी की जाती है.
‘ग्लोबल इंडेक्स स्कोर’ ज़्यादा होने का मतलब है उस देश में भूख की समस्या अधिक है. उसी तरह किसी देश का स्कोर अगर कम होता है तो उसका मतलब है कि वहां स्थिति बेहतर है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स को नापने के चार मुख्य पैमाने हैं – कुपोषण, शिशुओं में भयंकर कुपोषण, बच्चों के विकास में रुकावट और बाल मृत्यु दर.
मोदी जी का न्यू इंडिया इन चारों मोर्चो पर फेल साबित हुआ है. अगर सरकार कहती है कि हमने कोरोना काल मे 80 करोड़ लोगों को अनाज दिया है तो यह सब ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट में क्यों नहीं दिखाई देता ?
अदम गोंडवी ने ये भी लिखा है –
उनका दावा, मुफ़लिसी का मोर्चा सर हो गया
पर हक़ीक़त ये है कि मौसम और बदतर हो गया
वहीं दूसरी ओर मोदी जी की सरकार 13 हजार करोड़ रुपये को घोटाले को 275 करोड़ रुपये में सेटल कर रही है. मोदी जी की सरकार इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के सूत्रों को मुताबिक नीरव मोदी की बहन पूर्वी मोदी ने पैंडोरा पेपर्स में नाम आने के बाद अपने स्विस बैंक अकाउंट में जमा करीब 275 करोड़ रुपये भारत सरकार को देने की पेशकश की है.
कुछ महीने पहले मोदी सरकार ने नीरव मोदी की बहन पूर्वी को पीएनबी के 13500 करोड़ रुपये घोटाले में माफी दे दी गई थी. पूर्वी ने सरकारी गवाह बनते हुए अपने लंदन के खाते से 17.25 करोड़ रुपये ईडी को ट्रांसफर कर दिए थे. पूर्वी मोदी जो अब पूर्वी मेहता है, उन्होंने घोटालों से जुड़ी जानकारी एजेंसी को बताने की पेशकश की थी, जिसे कुछ शर्ताें के साथ स्वीकार कर लिया गया.
इसके बाद ईडी ने पूर्वी मेहता और उसके पति मयंक मेहता को पूछताछ से राहत देने के साथ माफी दे दी थी लेकिन अब पता चला है कि स्विस बैंक में जमा रकम इसकी दस गुना से भी अधिक है. यह सब बातें पेंडोरा पेपर्स के सामने आने के बाद हुई है.
इंडियन एक्सप्रेस ने पेंडोरा पेपर्स की पड़ताल करते हुए 4 अक्टूबर को खुलासा किया था कि जनवरी 2018 में जब नीरव मोदी भारत छोड़कर भागा था, उससे कुछ महीने पहले ही उसकी बहन पूर्वी ने ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड में ब्रुकटन मैनेजमेंट लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई थी. ये कंपनी उनकी सिंगापुर स्थित कंपनी के डिपॉज़िट ट्रस्ट के प्रोटेक्टर के तौर पर काम करती थी. यानी वो अपनी सिंगापुर की कंपनी का पैसा इस कंपनी में डायवर्ट करती थी.
ईडी ने 2018 में नीरव मोदी और उसके पिता दीपक मोदी, बहन पूर्वी मेहता, बहनोई मयंक मेहता, भाई नीशल मोदी और एक दूसरे रिश्तेदार निहाल मोदी सहित 23 लोगों के खिलाफ पीएनबी से जुड़े धोखाधड़ी के मामले में 12,000 पन्नों का आरोप-पत्र दायर किया था.
यानी साफ है कि पूर्वी मेहता को भी आरोपी बनाया गया था, लेकिन अब उसे बचाया जा रहा है. जबकि इस बात के पक्के सबूत भी ED के पास है कि कैसे पूर्वी मेहता का सक्रिय सहयोग नीरव मोदी को प्राप्त था.
इंडियन एक्सप्रेस’ में एक रिपोर्ट में एक ED अधिकारी के हवाले से बताया गया था कि ‘वो (पूर्वी) इस स्कैम में कम से कम 963 करोड़ की लाभार्थी हैं. इस स्कैम में मनी लॉन्ड्रिंग की प्रोसेस को कामयाब बनाने के लिए कई तरह की शेल कंपनियां (एक तरह की फर्जी कंपनी) बनाई गई थी. पूर्वी इन्हीं कुछ शेल कंपनियों की डायरेक्टर या मालकिन हैं.’
बड़ा सवाल यहां यह खड़ा होता है कि आखिरकार पूर्वी मोदी पर मोदी सरकार इतनी मेहरबान क्यों है ? दरसअल नीरव मोदी की बहन पूर्वी की शादी मयंक मेहता से हुई है. मयंक जो है वे मोना मेहता के सगे भाई हैं, जिनकी शादी रोजी ब्लू के मालिक रसेल मेहता से हुई है. मोना मेहता और रसेल मेहता की बेटी श्लोका मेहता मुकेश अम्बानी की बहू है और आकाश अम्बानी की पत्नी है. मोना मेहता की चचेरी बहन प्रीति की शादी मेहुल चोकसी से हुई है यानी मुकेश अम्बानी की समधन की चचेरी बहन मेहुल चौकसी की पत्नी है. साफ है कि जो अम्बानी के नजदीक है उसके सात खून माफ है.
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