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लखीमपुर खीरी नरसंहार मोदी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुआ है ?

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लखीमपुरखीरी में केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी का बेटा आशीष मिश्र ने अपने गाड़ियों के काफिले के साथ गोली चलाते हुए किसान आन्दोलनकारियों के न केवल कुचल ही दिया अपितु गोली चलाकर एक किसान की हत्या भी कर दी. इस घटना का हादसा तो कतई नहीं माना जा सकता है, जिसकी पुरजोश कवायद कर योगी-मोदी की सरकार कर रही है और मामले को रफा-दफा करने पर तुली हुई है. बहरहाल शहीद किसान के परिजनों को 45 लाख रूपये और एक-एक नौकरी देकर मामले की लीपापोती में दलाल मीडिया और भाजपाई आई-सेल के गुण्डें भिड़ गये हैं, जो किसी भी सूरत में न तो इंसानियत के तौर पर मान्य है और न ही किसान मानने जा रहे हैं.

किसान आन्दोलकारियों को गाड़ियों से कुचलने का यह मामला उन मामलों से कतई अलग नहीं है, जिसमें करनाल के पुलिस अधिकारी एक-एक किसानों को सर फोड़ देने का निर्देश दे रहा है, अथवा यह मामला उन मामलों से भी कतई अलग नहीं है, जिसमें केन्द्र की मोदी सरकार किसान आन्दोलनकारियों का रास्ता रोकने के लिए सड़क खुदवाना, सड़कों पर कीलें ठुकवाना अथवा कंक्रीट की दीवार बनावाना शामिल है, जिस कारण पिछले दस महीनों से किसान आन्दोलनकारी दिल्ली जाने के विभिन्न रास्तों पर बैठे हुए हैं, जिसमें अबतक तकरीबन 700 किसानों ने शहादत हुई है.

ताजा मामला लखीमपुर खीरी यह दर्शाता है कि किसानों के खिलाफ किस हद तक मोदी-योगी की अंबानी-अदानी वाली यह सरकार जा सकती है. मोदी सरकार का सिपहसालार हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर किसानों पर हमला करने के लिए गुण्डों का हथियारबंद दस्ता देश में खड़ा करने के लिए आह्वान कर रहे हैं. मुख्यमंत्री खट्टर अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं से कह रहे हैं –

 हज़ार पांच सौ के गिरोह बनाओ औऱ शठे शाठ्यम समाचरेत करो. दो चार महीने जेल में रह आओगे तो बड़े लीडर बन जाओगे.

केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी भरी सभा में गर्वोन्मत दुर्योधन की तरह खुद के विरोध का जिक्र करते हुए मंच से कहा था कि –

विरोध करने वालों आकर सामना करो, हम आपको सुधार देंगे. मैं केवल मंत्री या सांसद नहीं हूं, जो लोग मेरे विषय में जानते हैं उनको पता होगा कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं. जिस दिन मैंने उस चुनौती को स्वीकार कर लिया, उस दिन पलिया नहीं लखीमपुर खीरी भी छोड़ना पड़ जाएगा. यह याद रखना, दो मिनट लगेगा केवल. सुधर जाओ वरना सुधार देंगे.’

और वाकई दो ही मिनट लगे. सड़क के किनारे खड़े हुए किसानों को पूरी रफ्तार से चल रही 1500 CC की SUV से उड़ाने में. चार किसानों की मौके पर ही मौत हो गयी. वहीं, इस हत्यारे गुंडों को त्वरित न्याय मिल गया. बाद में मालूम हुआ के मंत्री का बेटा, जिसने किसानों पर गाड़ी चढ़ाकर मार डाला था, भाग गया. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री समेत इस हत्यारे मंत्री और उसके बेटे को बचाने में पूरी ताकत से जुट गया.

एक ओर देश भर की भाजपा राज्य सरकार किसानों के खिलाफ अपने संघी गुंडों (समर्थकों) को किसानों पर हमला करने के लिए उकसा रहा है, वहीं दूसरी ओर संघी मिजाज सुप्रीम कोर्ट का खलिहर जज किसानों पर संघी गुंडों के हमलों को न्यायोचित ठहराने के लिए अपने फैसलों के जरिए मार्ग प्रशस्त कर रहा है.

शुरुआत से ही सुप्रीम कोर्ट किसान आंदोलन को रोकने के लिए कानूनी डंडा इस्तेमाल करने का कोशिश कर रहा था, लेकिन किसानों के मुड को भांपते हुए उसे भी किसान आन्दोलनकारियों के संघर्ष को रोकने का हिम्मत नहीं हुआ और न ही किसान आंदोलनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट को किसी तरह का तरजीह दिया.

तब, अंत में मोदी सरकार ने किसान आंदोलनकारियों के नाम पर एक अनजान फर्जी संगठन ‘किसान महापंचायत’ का नाम लेकर सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के खलिहर संघी जज ने इस मुकदमें को आधार बनाकर अनाप-शनाप आदेश जारी करना शुरु कर दिया. ‘हम आदेश दे सकते हैं’ कहते हुए उसने किसान आंदोलनकारियों पर यह कहते हुए हमला कर दिया कि ‘आप दिल्ली का गला घोंट रहे हैं. आप दिल्ली आकर कोहराम मचाना चाहते हैं.’ इसके साथ ही यह खलिहर संघी जज ने इस बात की समीक्षा करने के लिए तैयार हो गया कि देश में कितने समय तक आंदोलन चलाया जा सकता है.

दरअसल यह सब आंदोलन को खत्म करने की अंबानी-अदानी का नौकर मोदी सरकार के इशारे पर सुप्रीम कोर्ट के खलिहर जज कर रहे हैं. यही कारण है कि वह मोदी सरकार के द्वारा सड़कों पर बिछाये गये कील, कंक्रीट की दीवारें खड़ाकर सड़क बंद कर आम नागरिकों को परेशानी में डालने के कुकर्म को किसानों के मत्थे मढ़ने को कोशिश दलाल मीडिया कर रही थी और अब सुप्रीम कोर्ट के खलिहर जज मढ़ने की नापाक कोशिश कर रहे हैं.

यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट का यह खलिहर जज आंदोलनकारियों से सड़क को खाली कराने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के किसानों पर हमला करने के विचार का समर्थन करता नजर आ रहा है. और अब जब अजय मिश्र टेनी का अपराधी बेटा किसान आंदोलनकारियों के शांतिपूर्ण वापसी के समय अपनी तेज रफ्तार गाड़ियों से 4 किसानों को कुचलकर मार डालता है, तब कहना नहीं होगा देर सबेर यह सुप्रीम कोर्ट इन हत्यारे अपराधियों को बचाने जरुर आयेगा.

अब देखना यह है कि अंबानी-अदानी के नौकर मोदी सरकार और सुप्रीम कोर्ट के इस खलिहर जजों से किसान आंदोलनकारी कैसे निपटते हैं. वैसे भी संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी प्रेस बयान और राकेश टिकैत के पलटवार ने यह साबित कर दिया है, सुप्रीम कोर्ट, जिसकी आम लोगों के बीच विश्वसनीयता अब लगभग शून्य पर पहुंच गई है, के किसी भी फैसलों से किसान आंदोलन पर कोई फर्क नहीं पड़ने जा रहा है.

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