Home गेस्ट ब्लॉग ड्रग माफिया अडानी एंड कम्पनी : देशभक्तों से ठसाठस भरे इस देश में किसकी मजाल जो सवाल करे ?

ड्रग माफिया अडानी एंड कम्पनी : देशभक्तों से ठसाठस भरे इस देश में किसकी मजाल जो सवाल करे ?

1 second read
0
0
355

ड्रग माफिया अडानी एंड कम्पनी : देशभक्तों से ठसाठस भरे इस देश में किसकी मजाल जो सवाल करे ?

राजीव कुमार मनोचा

मेरे पोर्ट पर 2988 किलोग्राम हेरोइन पकड़ी जाती है जो आज तक इस मिक़दार में पकड़ी नहीं गई और मैं झटक कर कहता हूँ, ‘मेरा काम प्रबंधन तक सीमित है, इसके आगे की बात आगे वालों से पूछो.’ बयान के बाद मैं आराम से घर बैठा रहता हूँ. कोई मुझे गिरफ़्तार नहीं करता, ग्रिल नहीं करता, सवाल नहीं करता. बात मेरी तरफ़ से ख़त्म हो जाती है. क्या मिला, कैसे मिला, किसका क्या करना और कैसे करना है, जांच एजेंसियां जानें, मेरा कोई मतलब नहीं.

मीडिया मुझ पर कोई वाद विवाद नहीं करता. अख़बारें मेरा अगला पिछला नहीं खंगालती. मैं खाद्य तेल के धंधे से कुछ ही बरसों में इतना शक्तिशाली कॉरपोरेट कैसे खड़ा कर पाया, इस पर कोई आलोचना कोई चर्चा नहीं होती.

देशभक्तों से ठसाठस भरे इस देश में मेरे ख़िलाफ़ कोई सरगोशियां नहीं होती. आने वाली नस्लों को नशे में झोंक किस तरह धन साम्राज्य खड़ा किया जाता है, कोई देशभक्त इस मुद्दे पर बात नहीं करता. ख़बर सुनते हैं, सुन कर सो जाते हैं चूंकि मीडिया भी सुप्त है. अब कोई ख़बर यदि मीडिया के लिए अहम नहीं तो इनके लिए भी अहम नहीं क्योंकि मीडिया ही तो बताता है कि अहम क्या है क्या नहीं. अपनी अक़्ल तो पिछले सात साल से घुटनों में रख छोड़ी है.

सड़कें, दफ़्तर, चौपालें सब चुप हैं. कहीं कोई नहीं बोल रहा कि जितना आज तक नहीं पकड़ा गया उतना अब कैसे पकड़ा गया ? ठीक अफ़ग़ान तख़्तापलट के बाद, वह भी मेरे जैसे आदमी के पोर्ट पर जो पिछले कुछ सालों से अकूत धन इकट्ठा करने के लिए बदनाम हो चुका है. घर घर चर्चे हैं जिस संदिग्ध किरदार के.

ये जो आज इत्तिफ़ाक़ से या मुख़बिरी से हाथ लग गया, इसका कितने गुना होगा जो अक्सर हाथ न आ कर अपने गंतव्य तक पहुंच जाता होगा. इतने अरब का एक दिन में हाथ लगा, यदि वह है तो कितने खरब का वह होगा जो दिनोंदिन हाथ न आता होगा ! क़ीमत अरबों की है तो क्या बताए गए छोटे मोटे फ़र्ज़ी नाम इसके पीछे होंगे ? ये चंगू मंगू !! या कोई ड्रग सिंडिकेट यह खेल खिलाता होगा ?

कितने सारे सवाल और जवाब एक भी नहीं. किसकी हिम्मत है जो मुझसे पूछे ?किसका हौसला है जो सवाल करे ? जो चलताऊ स्पष्टीकरण दे दिया बहुत है क्योंकि देश का चौकीदार मेरा पालतू है और जनता उसकी भक्त. कौन कहता है राम आज प्रासंगिक नहीं ! इस देश का राम नाम सदा सत्य है !

उठाए आम आदमी जाते हैं, धन्नासेठ नहीं

देखिए जी मुझे इस बात से इन्कार नहीं कि मुंद्रा पोर्ट की सुरक्षा और कस्टम जांच सरकार के हाथ है और अडानी एंड कम्पनी इसका प्रशासन और प्रबंधन देखती है. बाद में यह बात उन्हें क़ानूनी राहत भी दिला सकती है पर क्या क़ानून यहीं तक सीमित होता है ?

आप के होटल में अपनी प्रेमिका संग ठहरने वाला व्यक्ति अपने कमरे में उसका क़त्ल कर चुपचाप खिसक जाता है. पुलिस लाश बरामद करती है और आप उस व्यक्ति का रजिस्टर में दर्ज नाम पता दे कर कहते हैं कि लीजिए मेरा फ़र्ज़ पूरा हुआ ! अब आप जानें और यह क़ातिल, मेरा इस मुआमले से क्या मतलब !!

कोई बंदा किसी बैंक में डाका मार लूट के माल संग आपके घर आ छुपता है. चलिए माना, आपको पता भी नहीं कि वह बैंक डकैती करके आया है. माल और बंदा पुलिस धर लेती है. आप कहते हैं कि मुझे क्या मालूम और मुझे क्या लेना ? बंदा और माल दोनों उठाइये, मेरा पीछा छोड़िये !

वाह ! कमाल है !! किसे मूर्ख बना रहे हो यार ? क्या ऐसा होता है कभी ? पुलिस कैसे तय कर सकती है कि आप निर्दोष हैं ? हो सकता है आप संलिप्त हों, किसे पता ! पुलिस पहले वाले केस में होटल का वह कमरा सील कर डालती है, आपको उठा कर अच्छी तरह ग्रिल करती है और अपने तरीक़े से आपकी भूमिका उगलवाने की कोशिश करती है. इतना ही नहीं, आपको हवालात में रखा जाता है और फिर कोर्ट में पेश कर आरोपी संग आपके रिमांड की भी दरख़्वास्त की जाती है और अक्सर यह इजाज़त मिल जाती है. अगली पेशी में आपकी ज़मानत हो जाए तो हो जाए, आप इतनी जल्दी इस मुआमले से बाहर नहीं हो जाते.

बिल्कुल यही हालत दूसरे केस में भी होती है. सिर्फ़ आप ही अपने मित्र के साथ संलिप्तता के शक में उठाए नहीं जाते, यदि आपका मकान आपकी पत्नी अथवा बालिग़ बच्चे के नाम पर है तो बाक़ायदा उसकी भी गिरफ़्तारी होती है. पुलिस के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं कि स्वविवेक के आधार पर आपकी गिरफ़्तारी न करे. आपको उठा कर हर हाल में पहले ग्रिल किया जाएगा, फिर कोर्ट में पेशी होगी. हाँ, आगे कोर्ट क्या करती है वह उसकी मर्ज़ी और आपका नसीब !

और यहाँ तो बकवास ही कुछ और चल रही है. श्रीमान धन्नासेठ जी अपना पल्ला झाड़ आराम से बैठ गए हैं. कोई सरकार, कोई क़ानूनी संस्था उन्हें उठाती नहीं क्योंकि उन्होंने बड़ी सादगी से कह दिया कि पोर्ट के प्रशासन और प्रबंधन के अलावा मेरा किसी बात से कोई वास्ता नहीं. चोरी, बदमाशी, स्मगलिंग सब सुरक्षा अभिकरण जानें, मुझे क्या लेना ? वाह, और वे सब भी इस बकवास से आश्वस्त हो कर इन्हें निस्तार दे डालते हैं.

अरे पुलिस, कस्टम , एक्साइज़ या रिवेन्यू विभाग कौन होते हैं तुम्हें छोड़ने वाले ? उन्हें कब से इतनी शक्तियां मिल गईं कि तुम्हें आराम से घर बैठने दें ? ऐसी अभूतपूर्व तस्करी वह भी अरबों रुपये की ड्रग्स की और तुम पर कोई हाथ नहीं डालता. कमाल है !?!? क्या मुझे या किसी अन्य आम नागरिक को यह शर्फ़ हासिल हो सकता है ? क्या क़ानून केवल हम जैसे लोगों के लिए बना है और तुम धन्नासेठ इसकी ज़द में नहीं आते. क्यों ? क्योंकि तुम हमारे देश की नीच से नीचतर होती चली गई सियासत के दामाद हो !?!

जो लोग इस समय इस संदिग्ध बदमाश और बदमाश परवर सरकार के पक्ष में हैं, वे केवल देश के ही नहीं कहीं न कहीं अपनी आने वाली नस्लों के भी दुश्मन हैं. वे इस पक्षपात द्वारा यह संदेश दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में केवल सियासत ही क़ानून होगी और उसकी छतरी तले बैठे सफ़ेदपोश चोरों, डकैतों और तस्करों का ही बोलबाला होगा. बस इसी तरह लोग धनपति बनेंगे. अगर आम आदमी को मौज से जीना है तो इनके गिरोहों में शामिल हो जाए या इनका चेला बन बैठे. क़ायदे गए चूल्हे में और क़ानून जाएं भाड़ में.

Read Also –

ड्रग्स का कारोबार : मोदी सरकार के निजीकरण का भयावह चेहरा
पुलवामा में 44 जवानों की हत्या के पीछे कहीं केन्द्र की मोदी सरकार और आरएसएस का हाथ तो नहीं ?
पेगासस जासूसी कांड : निजता के अधिकार और जनतंत्र पर हमला
फर्जी राष्ट्रवादी अट्टहास के कुशल और पेशेवराना प्रयास का प्रतिफल मोदी
इसरो में निजीकरण का विरोध करने वाले एक बड़े वैज्ञानिक को जहर देकर मारने की कोशिश

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

किस चीज के लिए हुए हैं जम्मू-कश्मीर के चुनाव

जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए चली चुनाव प्रक्रिया खासी लंबी रही लेकिन इससे उसकी गहमागहमी और…