Home कविताएं हठ मत करो छेदी लाल

हठ मत करो छेदी लाल

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तुम कुछ भी कहो
छेदी लाल, तुम्हारे क़िस्से में
बहुत छेद है

बाढ़ का पानी उतरा
तो पता चला
क्या क्या लापता हुआ

हवाई दौरे में नेता थे या अफ़सर
यह तो नहीं पता
लेकिन कोई हेलिकॉप्टर इसके पहले
कभी इतने करीब से नहीं देखा था

तुम्हारा मरना
इस साल
पर साल
पर के पर साल ही नहीं
हर साल की मामूली घटना है
तुम्हारी कहानी में ऐसा कौन सा ट्विस्ट है
जिसकी कवर स्टोरी कवर हो
इतनी हाय तौबा मत करो

कितने आदमी मरे
कितने पशु बहे
लेखा जोखा रख कर क्या करना
सिवाय समय और जगह की बर्बादी के
छेदी लाल, कुछ समझा करो

आपदा उत्तराखंड में हो
या दुर्घटना गुंटुरु अमरावती में
मृतकों की सूची में
तुम्हारा नाम न हो
मुमकिन नहीं है

तुम्हारा प्रदेश, प्रदेश नहीं
वेयर हाउस है
तुम पत्तन के मालवाही जहाज़ों से
उतारे और सहेजे माल हो
जहां जैसी जरुरत पड़ती है, वहां
तुम सप्लाई हो जाते हो
सप्लाई चेन टूटे नहीं
खास खयाल रखा जाता है

हठ मत करो, छेदी लाल
शांति से छठ मनाओ
होली खेलो
होजियरी त्रिपुर की हो
या लुधियाने की, बंद नहीं होनी है
हीरा तराशना हो
खराद चलाना हो
हर सूरत
चलते रहना है

आदमी होकर भी तुम्हारा
आदमी न होना
आदमी का कितना बड़ा अपमान है

  • राम प्रसाद यादव

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