Home कविताएं अधोपतन

अधोपतन

0 second read
0
0
391

तिरंगे में लिपटा अपराधी
अपराधी ही होता है
अपराधी का अपराध
कम नहीं हो जाता
अपराध धुल नहीं जाता

समूह के कहने पर या,
मुल्क के एक बहुत खास के एलान पर
कोई मुजरिम शहीद नहीं हो जाता
हां, एक मुल्क शहीद जरुर हो जाता है

अपराधी को
अपराधी नहीं मानना
उसका साथ देना
घोषित अपराध है

थाने का
अदालत का
चुप रहना
हस्तक्षेप
नहीं करना
गिरोहबंद राष्ट्रीय अपराध है

अपराध सुकना के जंगल से हो
या रायसीना हिल्स के पत्थरों से
अपराध को अपराध कहा जाएगा

तिरंगे में लिपटने का हक
शहीद का है
किसी अपराधी का नहीं
यह सम्मान नहीं
तिरंगे का खुला अपमान है

मुल्क का मूक रहना
जवाबदेहों से जवाब नहीं मांगना
मुल्क का, मुल्क में रहने वालों का
अधोपतन है!
अधोपतन है!!

  • राम प्रसाद यादव

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • शातिर हत्यारे

    हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…
  • प्रहसन

    प्रहसन देख कर लौटते हुए सभी खुश थे किसी ने राजा में विदूषक देखा था किसी ने विदूषक में हत्य…
  • पार्वती योनि

    ऐसा क्या किया था शिव तुमने ? रची थी कौन-सी लीला ? ? ? जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…