कुछ अंधभक्त पूछ रहे हैं कि भारतीय मुस्लिम तालिबानी आतंकवाद का विरोध क्यों नहीं करते ? लेकिन आप देखिये कि भारत में पिछले सात साल से क्या चल रहा है. हम सब खुद यहीं तालिबानी शासन को झेल रहे हैं, उसका विरोध भी कर रहे हैं और विरोध करने की सज़ा भी भुगत रहे हैं.
अफगानिस्तान के तालिबान से हमें क्या फर्क पड़ता है जब हम अपने यहां वैसे ही संगठन को मजबूती दिये हैं ? वो कहते हैं कि अब अफगान महिलाओं और बच्चियों के साथ अन्याय, बलात्कार होगा, उनके स्कूल जाने पर पाबंदी लगेगी. कृपया ऐसे घड़ियाली आंसू बहाना छोड़ दीजिये क्योंकि यह रोना रोने का अधिकार हम खो चुके हैं.
भारत में 6,57,000 (UN DATA) वेश्यायें हैं. क्या उन्हें पुरुषों को सुखद अनुभव देने के लिये स्वयं उपर वाले ने पैदा किया है ? रोड किनारे की सेक्स वर्कर इनमें शामिल नहीं है. रही बात बलात्कार की तो महिलाओं की लाश को कब्र से निकाल कर बलात्कार करने वालों के हम समर्थक हैं.
उन्नाव, हाथरस केस तो याद भी होगा. काश्मीर के मंदिर (कठुआ) में हम मासुम बच्ची को तो फुल माला पहना रहे थे. दक्षिण में तो स्वयं भगवान को खुश करने के लिये देवदासीयां आज भी हैं. गुजरात दंगों में 3000 महिलाओं के साथ तो आरती पूजा हुई थी. और बात करें बच्चियों के स्कूल जाने पर पाबंदी की, तो हमारे यहां रोहित बेमुला जैसे युवक को भी फांसी पर झुलना पड़ता है, बच्चियों की बात तो छोड़ ही दें.
JNU में लड़कियों के कपड़े फाड़ने से लेकर कंडोम गिनने वालों के साथ हम कंधा मिलाकर खड़े होते हैं. JMI में तो बच्चियों के टांग तोड़े जाते हैं. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्राओं के हॉस्टल में पुरूष पुलिस बल भेजकर आधी रात को पीटा और बेइज्जत किया जाता है. हिन्दुत्ववादी ताकतों द्वारा देश की राजधानी दिल्ली के गार्गी कॉलेज में घुसकर छात्राओं के साथ बदसलूकी की गई है.
वैलेंटाइन डे पर तथाकथित हिंदू तालिबानीयों के रंग ढंग देखिये. भारत में चल रहा फासीवाद और साम्प्रदायिक भेदभाव देखिये. राजधानी दिल्ली में लग रहे मार काट के नारे देखिये. सड़कों पर घूमते हथियारबंद आतंकवादियों के समूह देखिये जो राहगीरों को मारपीट कर धार्मिक नारे लगाने के लिए मजबूर करते हैं. CAA NRC के माध्यम से मुसलमानों को देश से निकालने की कोशिश देखिये. मस्जिदों मदरसों के खिलाफ़ दुष्प्रचार देखिये. विरोध और विरोधियों को दबाने और कुचलने के तौर तरीके देखिये. क्या आपको जरा भी अंतर दीखता है ?
जब इस सबके खिलाफ़ बोलने वाले को देशद्रोही करार दिया जाता है और उन्हें जेल में बंद कर दिया जाता है. जमानत तक नहीं दी जाती. जब अपने देश में यह स्थिति है फिर हम किस मुंह से अफगानिस्तान के तालिबान का विरोध की बात कर रहे हैं ?
पहले भारत को तालिबानी शासन से मुक्त कराइये. जो भारतीय मुस्लिम भारत में चल रहे फ़ासीवादी तालिबानी शासन को झेल रहे हैं, उन्हें न्याय और सम्मान दिलाईये, प्रताड़ना से मुक्ति दिलाईये तब कहियेगा उनसे अफगानिस्तान के तालिबान का विरोध करने के लिए.
- अग्नि प्रकाश
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