Home लघुकथा विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस

0 second read
0
0
528

नरेन भोज खाने में माहिर था. भण्डारा हो या श्राद्ध, शादी हो या मुंडन, रिसेप्शन, अन्नप्रासन – कुछ भी हो…, हर भोज में शामिल होता और दबाकर खाता.

लेकिन नरेन की एक आदत बहुत बुरी थी. जहां भी भोज खाने जाता, कोई न कोई नुक्स निकाल ही देता.

मसलन, पूड़ियां नरम नही थीं, मिर्च तीखी थी, चीनी के दाने थोड़े ज्यादा बड़े थे, पत्तल पूरी तरह गोल नहीं था…वगैरह वगैरह.

राज्य के राजा तीन सप्ताह के लिए कहीं युद्ध लड़ने गए थे. लड़ भिड़ कर जब वापस आये तो पता चला कि रानी प्रेग्नेंट हैं. इस उपलक्ष्य में राजा ने पूरे नगरवासियों को भोज देने का फैसला किया.

…तो अगला भोज राजा के यहां था.

भोज की खबर नरेन तक और नरेन के नुक्स निकालने वाली खबर राजा तक पहुंची.

राजा ने अपने राज्य के सर्वश्रेष्ठ कुक्स को भोजन बनाने के काम पर लगाया और सख्त हिदायत दी कि ऐसा 56 भोग बनाना कि नरेन कोई नुक्स न निकाल पाये.

कुक्स जी जान से लग गए. बड़ी मेहनत से उन्होंने 56 भोग तैयार किया.

तय समय पर भोज शुरू हुआ. नगरवासियों ने ऐसा अद्भुत भोज खाना तो दूर, चखा भी नहीं था. भोज के पश्चात सारा नगर राजा और उनके कुक्स की वाहवाही कर रहा था, सिवाय नरेन के.

लेकिन नरेन है कहां ? अभी तो यहीं भोज खा रहा था.

काफी देर ढूंढने के बाद नरेन टेंट के एक कोने में बेहोश पड़ा हुआ मिला. मुंह पर पानी के छींटे मारकर उसे उठाया गया.

खबर राजा तक पहुंची. राजा ने नरेन को बुलवाया और पूछा – ‘क्यों नरेन ! क्या हुआ ? भोजन पसन्द नहीं आया ?’

नरेन बोला – ‘भोजन तो बहुत स्वादिष्ट था महराज. एक से बढ़कर एक पकवान थे. मैं तो बस खाता ही चला गया.

राजा ने पूछा – फिर ?

नरेन ने कहा – भोजन बहुत स्वादिष्ट था महराज…

राजा – ये मैं सुन चुका हूं, आगे बोलो. तुम बेहोश क्यों हो गए थे ?

नरेन – वही तो बता रहा हूं. भोजन बहुत स्वादिष्ट था और आपको इतना भी स्वादिष्ट भोजन नहीं बनवा देना चाहिए था कि इंसान खाते खाते मर जाए !

उसी नरेन ने आज स्वतंत्र भारत के 75 साल के इतिहास में गोता लगाया है. गहराई में काफी देर रहा भी

…और देखिये क्या निकाल कर लाया है – विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस !!!

  • कपिल देव

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • कुम्भीपाक नर्क का दृश्य

    कुम्भीपाक नर्क का दृश्य है. मार्गदर्शक जी एक कड़ाही में उबाले जा रहे थे. दर्द काफी था. बगल…
  • पत्थलगड़ी

    बिसराम बेदिया सब जानता है. नदी-नाला, जंगल-पहाड़ और पेड़-पौधे सबके बारे में. आप छोटानागपुर के…
  • खजाना

    बाबा ने रिमजू के घर चप्पे चप्पे का मौका मुआयना किया. दीवारें कुरेद-कुरेद कर सूंघी, मिटटी क…
Load More In लघुकथा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…