खेल

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क्रिकेट हो या फूटबाल
खेल कोई हो
हर खेल में जोखिम है

थोड़ा धीरे बोलो
समंदर की बेवकूफ मछलियां
पास यहीं तैर रही हैं

खेला तो हुआ है
खेला होगा
और हो कर रहेगा
खेलने से आप कैसे डरेंगे
आप तो खेले हुए हैं
खेलने का तजुर्बा भी लंबा है

उन्नीस सौ चौरासी हो
दो हजार दो हो
ये गौरवमय पल
खेल आर्काइव के
संयोजित अनमोल रतन हैं

अपने अपने व्यक्तिगत
खेल कैरियर के जेनिथ हैं
ऐसे यादगार बैटिंग बालिंग
कम ही देखने को मिलते हैं

मैच जहां खेले
जिस स्टेडियम
जिस पिच और
जिस टर्फ पर खेले
खूब खेले
दर्शनीय खेले
यादगार बेमिसाल खेले

  • राम प्रसाद यादव

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ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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