Home गेस्ट ब्लॉग The Next Big Thing : जल का निजीकरण

The Next Big Thing : जल का निजीकरण

4 second read
0
0
497

The Next Big Thing : जल का निजीकरण

गिरीश मालवीय

एक पत्रकार का दायित्व होता है कि वह न केवल हो चुकी घटनाओं का विश्लेषण करें बल्कि यह भी बताए कि क्या होने जा रहा है ? वह ये बताए कि देश व समाज के सामने आने वाले वह खतरे कौन से है, जो निकट भविष्य में सामने आ सकते हैं ? दरअसल सरकारें चाहे वह केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकारें, वह तेजी से जल के निजीकरण पर काम कर रही है.

कल खबर आई कि राजस्थान में एक बार फिर से पेयजल मीटर लगाने की शुरुआत की जा रही है. जलदाय विभाग पायलट प्रोजेक्ट के नल में स्मार्ट मीटर लगाकर जयपुर से इसकी शुरूआत करने जा रहा है, अब सेंसर के जरिए मीटरों की रीडिंग आ सकेगी. उपभोक्ता रोजाना मोबाइल एप पर ये देख सकेगा कि आज कितना पानी खर्च किया ? जल्द ही पूरे राजस्थान के हर घर मे स्मार्ट मीटर लग जाएंगे. वैसे यह प्रोजेक्ट 2017 का है, जब वहां भाजपा की सरकार थी.

सिर्फ राजस्थान में ही नहीं उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में इसकी शुरुआत हो चुकी है. शिमला शहर में पेयजल कंपनी एएमआर चिप वाले सात हजार नए स्मार्ट मीटर लगाने जा रही है. कंपनी दफ्तर में ही कंप्यूटर पर मीटर की रीडिंग देख सकेगी और बिल जारी करेगी. उत्तराखंड सरकार भी अब राज्य में पेयजल कनेक्शन पर मीटर अनिवार्य करने जा रही है.

इसके पहले मध्यप्रदेश के खंडवा में भी यह योजना लागू की गयी थी और इसका ठेका एक प्राइवेट कम्पनी विश्वा को दिया गया था, पर वहां यह प्रयोग सफल नहीं हुआ. महाराष्ट्र का नागपुर पहला ऐसा बड़ा शहर है जहां की जल व्यवस्था निजी क्षेत्र के हाथों में है.

दरअसल यह सारे प्रोजेक्ट प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप द्वारा चलाए जा रहे हैं. सरकारों को लगता है कि यदि जल स्रोतों के रख-रखाव से लेकर वितरण तक की ज़िम्मेदारी निजी क्षेत्र के हाथ में सौंप दी जाए तो जल प्रबन्धन की समस्या का समाधान किया जा सकता है.

देश के हर शहर कस्बे में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो दो वक्त का भोजन भी बड़ी मुश्किल से जुटा पाते हैं. सरकार ऐसे समूहों को सब्सिडाइज्ड दरों पर जलापूर्ति करती है. यदि निजी क्षेत्रों के हाथ में जल व्यवस्था चली जाती है तो ऐसे लोगों का क्या होगा ?

21वीं शताब्दी में साफ पानी सबसे बड़ी कमोडिटी है. वाटर इंडस्ट्री का वार्षिक राजस्व आज आयल सेक्टर के लगभग 40 प्रतिशत से ऊपर जा पहुंचा है. फ़ॉरच्यून पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार बीसवीं शताब्दी के लिए तेल की जो कीमत थी, 21वीं शताब्दी के लिए पानी की वही कीमत होगी.

सरकारें अब इससे भी मुनाफा कमाना चाहती है. वे चाहती हैं कि पानी का निजीकरण हो ही जाए ताकि मुनाफे का एक हिस्सा सरकारों तक भी पहुंचता रहे. इसकी शुरुआत PPP प्रोजेक्ट के जरिए जल वितरण की व्यवस्था में निजी कम्पनियों की भागीदारी सुनिश्चित कर के की जा चुकी है.

पानी के निजीकरण करने के क्या खतरे हैं ?

यह दक्षिणी अमेरिकी देश बोलिविया से स्पष्ट हो चुका है. साल 1999 में, जब विश्व बैंक के सुझाव पर बोलिविया सरकार ने कानून पारित कर कोचाबांबा की जल प्रणाली का निजीकरण कर दिया. उन्होंने पूरी जल प्रणाली को ‘एगुअस देल तुनारी’ नाम की एक कंपनी को बेच दिया, जो कि स्थानीय व अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों का एक संघ था.

कानूनी तौर पर अब कोचाबांबा की ओर आने वाले पानी और यहां तक कि वहां होने वाली बारिश के पानी पर भी ‘एगुअस देल तुनारी’ कंपनी का हक था. निजीकरण के कुछ समय बाद कंपनी ने घरेलू पानी के बिलों में भारी बढ़ोतरी कर दी. कोचाबांबा में उनका पहला काम था 300 प्रतिशत जल दरें बढ़ाना. इससे लोग सड़कों पर आ गए.

कोचाबांबा में पानी के निजीकरण विरोधी संघर्ष शुरू हुआ था, जो सात से अधिक सालों तक लगातार चला, जिसमें तीन जानें गईं और सैकड़ों महिला-पुरुष जख़्मी हुए. जिस निजी कम्पनी को जल पर नियंत्रण रखने का ठेका दिया गया उसका एकमात्र उद्देश्य था – मुनाफा कमाना. उन्होंने कोई निवेश नहीं किया. वे देश के बुनियादी संसाधनों का उपयोग कर सिर्फ मुनाफा ही कमाना चाहते थे.

बोलिविया के अनुभव से सीख लेते हुए जलक्षेत्र में पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप से हमें बचना चाहिए लेकिन ऐसा होता हमें दिख नहीं रहा है. बिजली तो पूरी तरह से निजी हाथों में जा ही चुकी है अब पेयजल व्यवस्था पर भी निजी क्षेत्र का कब्जा होने जा रहा है.

Read Also –

सत्ता और कारपोरेट का गठजोड़ : आज हमें कहांं ले आए
जल संकट और ‘शुद्ध‘ पेयजल के नाम पर मुनाफे की अंधी लूट
मरती नदियां और बोतलबंद पानी के खतरे
पानी का अर्थशास्त्र
जल, जंगल और ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने की कॉरपोरेट मुहिम के खिलाफ है यह किसान आंदोलन

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

‘माओवाद वर्तमान समय का मार्क्सवाद-लेनिनवाद है’, माओ त्से-तुंग की 130वीं जयंती के अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय माओवादी पार्टियों का संयुक्त घोषणा

महान मार्क्सवादी शिक्षक कॉमरेड माओ त्से-तुंग की 130वीं जयंती के अवसर पर दुनिया के माओवादी …