भारत की एक अदालत में फादर स्टेन स्वामी के जमानत याचिका पर बहस चल रही थी. उसी समय वकील साहब के मोबाइल पर एसएसएस आया कि फादर स्टेन स्वामी की मृत्यु हो गई. तब वकील साहब ने जज को बताया –
वकील – माई लॉर्ड, फादर स्टेन स्वामी को ईश्वर ने रिहा कर दिया.
जज – जज मैं हूं. मैं फैसला करूंगा कि किसे रिहा करना है और किसे नहीं. ये ईश्वर कौन होता है रिहा करने वाला ?
वकील – माई लॉर्ड, ईश्वर तो सबसे ऊपर है. उसके इजाजत के सामने किसी की इजाजत नहीं चलती.
जज – (गुस्से से कांपते हुए) क्या बकते हो तुम. तुमने देखा नहीं, जब फादर ने पानी पीने के लिए पाईप मांगा तो हमने नहीं दिया. तब मुझसे बड़ा कौन हो सकता है ?
वकील – पर माई लॉर्ड, ईश्वर तो …
जज – चुप बे पाखंडी. मुझसे बड़ा तो ईश्वर भी नहीं हो सकता. हम तो फादर स्टेन स्वामी को और जलील कर तड़पाना चाहते थे, और इस ईश्वर ने उसे रिहा कर दिया. ईश्वर को इस अपराध की कड़ी सजा मिलेगी.
जज ने देश की सरकार को आदेश दिया – ईश्वर को इस अपराध के लिए कड़ी से कड़ी सजा दी जायेगी, उसे जिन्दा या मुर्दा अदालत में हाजिर करो.
देश की सरकार ने फौज को आदेश दिया – ‘ईश्वर जहां कहीं हो, जिन्दा या मुर्दा, उसे पकड़ कर लाओ.’
देश की फौज सरकारी आदेश पर ईश्वर को गिरफ्तार करने रफाल विमान से उड़ चली.
- रोहित शर्मा
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