जिला अदालत के कठघरे में हाथ जोड़े खड़ा बौदु जज की ओर टकटकी बाधे देख रहा था. उसके हाथों में हथकड़ी लगी थी और वह भागने न पाये इसलिए दो पुलिसिया पीछे खड़ा था.
कागजातों का निरीक्षण करने के बाद जज ने अपना भारी सा टकला सर उठाया और बौदु की ओर देखते हुए गहरी सांस लेते हुए कहा –
जज – हां जी, तुम पर आर्म्स रखने का आरोप है. क्या तुम इस अपराध को स्वीकार करते हो ?
बौदु – जी हुजूर.
जज – मतलब तुम्हारे पास से दो गोलियां बरामद की गई थी, क्या यह सच है ?
बौदु – जी हुजूर.
जज – अदालत तुम्हें अपराधी मानते हुए तीन साल का सजा सुनाती है.
बौदु – जी हुजूर.
जज – तुमने जेल में करीब पांच साल बिताया है ?
बौदु – जी हुजूर.
जज – तुम्हारी सजा पूरी हो गई है इसलिए अब कोर्ट तुमको रिहा करती है.
बौदु – जी हुजूर.
उसी शाम आर्म्स एक्ट की धारा में अधिकतम 3 साल के बजाय पांच सालों से जेल में बंद बौदु रिहा हो जाता है.
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