Home गेस्ट ब्लॉग निवर्तमान प्रधानमन्त्री पर वर्तमान प्रधानमन्त्री की पार्टी को उन्हीं के गृह प्रदेश में हराने के लिए दुश्मन देश के साथ षड्यंत्र करने का आरोप क्या कभी सिद्ध होगा ?

निवर्तमान प्रधानमन्त्री पर वर्तमान प्रधानमन्त्री की पार्टी को उन्हीं के गृह प्रदेश में हराने के लिए दुश्मन देश के साथ षड्यंत्र करने का आरोप क्या कभी सिद्ध होगा ?

2 second read
0
0
914

भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री, निवर्तमान प्रधानमन्त्री पर एक चुनावी सभा में आरोप लगाते हैं कि उन्होंने व देश के पूर्व उपराष्ट्रपति, पूर्व सेना अध्यक्ष, पूर्व राजनायिकों ने मिलकर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, जो भारत का मित्र तो नहीं है दुश्मन ही माना जायेगा, के पूर्व अधिकारियों के साथ मिलकर उनके छोटे से गृहप्रदेश में उनकी पार्टी को हराने और अपनी पार्टी को जिताने के लिए एक गुप्त बैठक की.

ये उस बैठक का सार संक्षेप है, जो दिल्ली में 6 दिसम्बर को हुई और जिसका जिक्र प्रधानमन्त्री ने 7 दिसम्बर को अपनी चुनावी सभाओं में जोर-शोर से किया.

इसके बारे में विस्तार से चर्चा करना न उद्देश्य है न ही कोई औचित्य क्योंकि देश की मुख्यधारा का मीडिया बहुत ढो़ल पीट चुका, समाचार पत्रों में बहुत कुछ छप चुका.

पूरे देश के राष्ट्रभक्त, अपने वर्तमान प्रधानंत्री से इसलिए खुश और उत्साहित है कि उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री, उप-राष्ट्रपति , पूर्व सेना अध्यक्ष व पूर्व राजनयिक आदि के ऊपर जो कीचड़ उंडेला है, कांग्रेसी और वैसी मानसिकता रखने वाले उनके सहयोगी तो जन्मजात देशद्रोही थे ही, हमारे राष्ट्रभक्त प्राधानमन्त्री ने उन्हें रंगे हाथों नंगा भी कर दिया.

इन सब बातों का गुजरात चुनाव में बीजेपी की जीत हार पर क्या असर पड़ेगा ? यहां उद्देश्य ये चर्चा करना भी नही है.

चर्चा मात्र इतनी करनी है कि …

1 . सार्वभौम राष्ट्र की सत्ता के शीर्ष पर बैठा प्रधानमन्त्री अपनी नाक के नीचे गुप्त बैठक की जानकारी होने की बाद भी उसको रोकने का प्रयास क्यों नही करता ?
2 . गुप्त बैठक किस विषय पर हुई ? बैठक में क्या-क्या हुआ ? ये जानकारी भी प्रधानमन्त्री को है. फिर इस बैठक को गुप्त बैठक करार देने का औचित्य क्या है ?
3 . क्या मणिशंकर अय्यर के घर में इंटेलिजेंस विभाग के अधिकारियों ने कोई गुप्त कैमरा और ऐसा उपकरण लगा रख्खा था कि पल-पल की जानकारी उनको मिलती रही ?
4 . जानकारी मिलने के बाद भी अय्यर के घर से निकलते हुए दुश्मन देश के साथ षड्यंत्र करने वालों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया ?
5 . क्या पड़ोसी दुश्मन देश से लोग बिना भारत सरकार से वीजा हांसिल किये आ गए ?
6 . षड्यंत्रकारियों के विरुद्ध षड्यंत्र की जानकारी होने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही क्यों नही की गई ?
7 . क्या मान लिया जाय कि वर्तमान सरकार का कोई नियंत्रण देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार नौकरशाही पर नहीं है ?
8 . खुद प्रधानमन्त्री द्वारा आमसभा में लगाये खुल्लम खुल्ला आरोपों पर जिम्मेदार विभागों ने 10 दिन गुजर जाने के बाद भी स्वतः संज्ञान क्यों नही लिया गया ?
9 . क्या उक्त आरोप नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने अपनी व्यक्तिगत हैसियत में लगाये है ? या प्रधानमन्त्री की हैसियत में ?

सवाल तो और भी बहुत से है परंतु फिलहाल उपरोक्त नौ सवाल सार्वभौम राष्ट्र भारत के प्रधानमन्त्री से है ?

वो जबाब कब देंगे ?

क्या गुजरात चुनाव जीतने के लिए हवा में उछाली गयी इन बातों को कल अपेक्षित परिणाम आने के बाद ?

वैसे प्रधानमन्त्री की फितरत सिर्फ अपनी और अपने मन की बात करते रहने की है. देशके आमजन या पत्रकारों के सवालों के जबाब देने की नहीं है. पिछले साढ़े तीन सालों में उन्होंने पत्रकारों के साथ दोस्ताना साक्षात्कार तो कई रेकॉर्ड कराए हैं, पर सामूहिक रूप से कभी पत्रकारों से वार्ता की हो, याद नही पड़ता.

– विनय ओसवाल

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…