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पत्रकार

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पत्रकारों की भीषण बाढ़ है
फूली फूली पत्रकारों की
क्षत विक्षत सड़ी गली लाशें
महक रहीं हैं
इधर उधर
महामारी के भय से
भयभीत है संपूर्ण भारत

खबर का दैनिक विश्लेषण
शिद्दत से चल रहा है
जनता की बात
जनता जाने

मन की बात
घर घर चल रही है
आज की बात
आज तक की जा रही है

संजना रंजना
अंजना रोविना
चौधरी सिन्हा
सैम सरफराज
जो हों
सब की
अपनी अपनी पड़ी है

तुम टिकरी बॉर्डर पर हो
या सिंघु बॉर्डर पर
तुम जहां हो
जैसे हो
वैसे ही रहो
वहीं रहो

सरदार का सुसज्जित दरबार
सजा हुआ है
जल्द से जल्द हाजिर नाजिर होना है
हुजूर को आज की हाजिरी देनी है

कानून किसान का हो
या मजदूर का
तुम जानो
इससे उन्हें क्या लेना

खबर के आदि
खबर के अंत
बस संत
और संत जी हैं

जय श्री राम
जय भारत माता

हिंदी, जब तेरी बात चली
तो तेरी हर बात पर
रोना आया
तुम अब भाषा नहीं
धंधेबाजों के हाथ
एक लाभकारी धंधा हो

प्राइम नंबर की तरह
अनसुलझा है प्राइम टाइम

  • राम प्रसाद यादव

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ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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