171वें दिन लगातार अपनी मांगों पर अडिग किसान आंदोलन के संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी प्रेस नोट में आज कहा गया है कि 26 मई को किसान देश भर में काला दिवस मनायेंगे तथा मोदी का पुतला दहन करेंगे. किसानों की ओर से 26 मई को काला दिवस मनाने के पीछे हिसार में किसानों पर पुलिस के क्रूर व अमानवीय हमला है. खट्टर-दुष्यन्त सरकार को तीखा जवाब देंगे किसान. तीन दालों पर आयात प्रतिबंध हटाना घरेलू उत्पादन व किसानों को हतोत्साहित करेगा.
जारी प्रेस नोट बलवीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हनन मौला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उग्राहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहाड़ की ओर से कहा गया है कि आज हिसार में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कोरोना हस्पताल के नाम पर एक कार्यक्रम रखा था. किसानों ने पहले ही चेतावनी दे रखी थी कि इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को आने नहीं दिया जाएगा क्योंकि पिछले साल से ही, जब से किसान आंदोलन चल रहा है, किसान विरोधी भाजपा और जजपा का लगातार विरोध हो रहा है व किसानों ने सामाजिक बहिष्कार किया हुआ है. इन नेताओ का कोई भी कार्यक्रम नहीं होने दिया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने इसे अपने घमंड का विषय मानते हुए पूरी सरकारी मशीनरी के सहारे इस कार्यक्रम में आने की तैयारी की. यह किसानों की जीत है कि उस राज्य के मुख्यमंत्री को पुलिस व अन्य सरकारी बल के दम पर अपने राज्य में कार्यक्रम करना पड़ रहा है.
आज मुख्यमंत्री खट्टर के हिसार आगमन पर कई जगह उनका विरोध किया जा रहा था. किसान भारी संख्या में इक्कठे होकर भाजपा-जजपा के नेताओं का विरोध कर रहे थे. इसी बीच हरियाणा सरकार के आदेशों पर पुलिस द्वारा किसानों पर बेरहमी से लाठियां बरसाई गयी. उन पर आसूं गैस के गोले दागे गए. कई पुलिसकर्मियों ने पत्थरों से भी हमला किया, जिसमें सैकडों किसानों को गहरी चोटें आई है व महिला किसानों के साथ पुलिस बर्बरता हुई है.
संयुक्त किसान मोर्चा इस अमानवीय और गैर-कानूनी कार्रवाई की सख्त निंदा करता है. हरियाणा के किसान संगठनों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए हरियाणा के सभी बड़े हाई-वे को 2 घण्टे जाम रखा है. KMP पर भी किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया है. किसान नेताओं का घटनास्थल पर पहुंचना भी जारी है. किसान नेताओं का कहना है कि किसानों की मांगे न माने जाने पर कल हरियाणा के सभी पुलिस थानों का घेराव किया जाएगा.
हिसार में पुलिस बल के सहारे किसानों को दबाने की कोशिश के जवाब में सभी किसान एकजुट है. इस तरह की गतिविधियों के द्वारा किसानों को उकसाया जा रहा है. किसानों के खिलाफ झूठे केस डालकर उन्हें परेशान किया जाएगा परंतु हरियाणा सरकार को संयुक्त किसान मोर्चा की सख्त चेतावनी है कि इस अंहकार को छोड़े व किसानों को परेशान करना बंद करें.
हरियाणा के किसान आगामी कार्रवाई तय कर हरियाणा सरकार को जवाब देंगे. संयुक्त किसान मोर्चा यह स्पष्ट करता है कि हालांकि किसानों का यह आंदोलन केंद्र सरकार के खिलाफ है जो तीन कृषि कानूनों और MSP के सवाल पर केंद्रित है, परन्तु अगर हरियाणा सरकार बीच में किसानों को बदनाम व परेशान करती है तो किसान उन्हें बुरा सबक सिखाएंगे.
भारत सरकार द्वारा तीन दालों पर आयात प्रतिबंधो को हटाना व उन्हें खुली सूची में डालना घरेलू उत्पादन पर गहरा प्रभाव डालेगा. यह किसानों को इनके उत्पादन के लिए हतोत्साहित करेगा व आयात निर्भरता को बढ़ाएगा.
14 मई को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में किसान नेताओं ने निम्नलिखित निर्णय सर्वसम्मति से लिए हैं –
1. 26 मई को हम दिल्ली की सीमाओं पर अपने विरोध के 6 महीने पूरे कर रहे हैं. यह केंद्र में आरएसएस-भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार के 7 साल पूरे होने का भी प्रतीक है. इस दिन को देशवासियों द्वारा ‘काला दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा. पूरे भारत में गांव और मोहल्ला स्तर पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे, जहां दोपहर 12 बजे तक किसान मोदी सरकार के पुतले जलाएंगे.
किसान उस दिन अपने घरों और वाहनों पर काले झंडे भी फहराएंगे. इस मौके पर एसकेएम ने सभी जन संगठनों, ट्रेड यूनियनों, व्यापारियों और ट्रांसपोर्टर संगठनों से किसानों की मांगों के समर्थन में काला झंडा धरना प्रदर्शन करने की अपील की है. दिल्ली के सभी मोर्चो पर भी उस दिन विशाल काले झंडे का प्रदर्शन किया जाएगा.
2. एसकेएम ने एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी को लागू करने और 3 काले कानूनों को रद्द करने की अपनी मांगों पर भाजपा को दंडित करने के लिए एक ‘मिशन यूपी और उत्तराखंड’ शुरू करने का फैसला किया है, जिसमें पूरे देश से सभी किसान बलों की रैली होगी. यह कार्यक्रम पूरे भारत के सभी संघर्षशील किसान संगठनों की भागीदारी के साथ शुरू किया जाएगा और इसे इन राज्यों में आयोजित किया जाएगा.
3. एसकेएम की आम सभा ने कोरोना वायरल संक्रमण के शिकार लोगों के लिए उचित और पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था करने में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की विफलता की कड़ी निंदा की. ऑक्सीजन, अस्पताल में बेड और दवाओं की भारी कमी और कालाबाजारी के कारण अधिकांश मौतें अस्पतालों के बाहर हुई हैं. एसकेएम सरकार से सभी गांवों और ब्लॉकों में इसके लिए उचित और मुफ्त व्यवस्था करने का आग्रह किया है, जिसमें सभी नागरिकों को मुफ्त टीकों का प्रावधान शामिल करने का मांग किया है.
वहीं, हरियाणा के शाहबाद के जजपा के विधायक रामकरण काला को किसानों ने घेर लिया व किसान विरोधी निर्णयों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. किसानों का यह गुस्सा इन्ही नेताओं की किसान विरोधी बयानबाजी और भाजपा का साथ देने के कारण बाहर आ रहा है. खट्टर सरकार सिर्फ जोड़ तोड़ की सरकार रह गयी है व राज्य की जनता में से विश्वास खो चुकी है.
पंजाब के किसान संगठनों ने बैठक कर निर्णय लिया कि वर्तमान किसान आंदोलन के साथ-साथ पंजाब में भी गन्ना किसानों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ना है. किसान नेताओं का कहना है कि पिछले पांच साल से राज्य में गन्ने का समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाया गया है इसलिए कम से कम 350 रुपये प्रति क्विंटल किया जाए एवं गन्ना किसानों की बकाया राशि उन्हें दी जाए. ऐसा नहीं होने पर पंजाब में भी किसानों के पक्के मोर्चे लगेंगे और हर सुगर मिल के बाहर किसान मोर्चा लगाएंगे.
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