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हमारे निगरां

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झूठ इतना विस्तारित है
कि ढ़कने की चादर छोटी पड़ रही है
ईत्र का छिड़काव बेअसर है
दुर्गंध कुछ ऐसी है

सुबह
कविता पढ़ने
लिखने से नहीं

बहुत दुखद
सादर नमन
विनम्र श्रद्धांजलि

पढ़ कर
लिख कर
शुरू हो रही है

समाचार
लेकिन यह है
सब अच्छा है
कहीं किसी
बात की कमी नहीं है

भ्रम फैलाने वाले
जेल भेजे जाएंगे

हमारे निगरां
हम पर
बहोत मेहरबान हैं

  • राम प्रसाद यादव

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