यदि हम श्रमिक वर्ग के आंदोलन में सामाजिक-लोकतांत्रिकता को खत्म करने में सफल होते हैं, तो क्या हम बुर्जुआइ को अपने वर्चस्व के नुकसान के बिना और उसके पूर्ण दिवालियापन के बावजूद बुर्जुआइ को अपनी मुश्किल स्थिति से एक बार और निकालने से रोकने में सक्षम होंगे.
1918 में सामाजिक-लोकतंत्रवाद ने श्रमिकों को पूंजीवादी शासन को उखाड़ फेंकने से बचाया. बाद में यह बुर्जुआ शासन को समेकित करने में निर्णायक कारक था. विश्व आर्थिक संकट के दौर में सामाजिक-लोकतांत्रिकता, जो श्रमिक वर्ग की मजबूती में अविश्वास फैलाता रहा, प्रतिक्रियाओं के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई की स्थापना को निराश किया. पूंजीवादी देशों में श्रमिक वर्ग आंदोलन में सामाजिक-लोकतांत्रिकता का प्रभाव अभी भी मजबूत था, सामाजिक-लोकतांत्रिक नेता स्पेनिश लोगों के गणराज्य के पतन के बारे में लाने और तैयारियों को कवर करने में सक्षम थे एक साम्राज्यवादी युद्ध के लिए, और एक बार फिर इस युद्ध में लोकप्रिय जनता को खींचने में सफल रहा. अनुभव से पता चला है कि सामाजिक-लोकतांत्रिकता श्रमिक वर्ग आंदोलन में जड़ बुराई है और यदि यह उन्मूलन नहीं किया गया तो श्रमिक वर्ग अभी भी बदतर 1918. देखने के लिए जीवित रहेगा.
सामाजिक-लोकतांत्रिकता के खिलाफ संघर्ष सबसे अधिक अंतरंग रूप से क्रांतिकारी श्रमिकों द्वारा मार्क्सवाद-लेनिनवाद के सिद्धांत के महारथी से जुड़ा हुआ है. यह वास्तव में यह परेशान समय है, जिसमें हम अब रह रहे हैं और जो अप्रत्याशित घटनाओं के अप्रत्याशित मोड़ में शामिल हैं जो हर क्रांतिकारी कार्यकर्ता के लिए यह आवश्यक है कि वे प्रोलेटरिएट के सिद्धांतों को मार्क्सवाद-लेनिनवाद के मास्टर के लिए आवश्यक बनाते हैं. यह सिद्धांत सामाजिक विकास के कानूनों में एक अंतर्दृष्टि देता है और सही अभिविन्यास का निर्धारण संभव बनाता है. श्रमिक वर्ग में सामाजिक-लोकतांत्रिकता का विस्तार और मार्क्सवाद-लेनिनवाद का समावेश एक ही प्रश्न के दो पहलू हैं. इस संबंध में सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास का अध्ययन निर्णायक महत्व का है और रहेगा, इस साहसिक, सहज और विजयी पार्टी का अनुभव अपूरणीय है और कई सम्मानों में श्रमिक वर्ग आंदोलन के पथप्रदर्शक के रूप में कार्य करता है पूंजीवादी देशों में.
सामाजिक-लोकतांत्रिकता के खिलाफ संघर्ष अविश्वसनीय रूप से नीचे से संयुक्त मोर्चा के संघर्ष के साथ बाध्य है. सामाजिक-लोकतांत्रिकता के महाभियोग की भूलभुलैया से स्वयं को मुक्त करना, जो श्रमिक वर्ग को वर्ग संघर्ष से मोड़कर बुर्जुआ के साथ सुलह की सड़क पर आगे बढ़ाना, इसका मतलब है कि अत्याचारी और शोषकों से लड़ना, लेकिन जो वर्ग संघर्ष की सड़क को आगे बढ़ाता है, और वर्तमान स्थिति को लेकर नहीं, उसे विश्वासघाती नेताओं से लड़ना चाहिए, कम्युनिस्टों के साथ एक मोर्चा बनाना चाहिए, और ऐसे लोगों को जीता जा सकता है नीचे से संयुक्त मोर्चा का कारण.
हर देश में नीचे से एक संयुक्त मोर्चा बनाने, मजबूत बनाने और विकसित करने में, विशिष्ट परिस्थितियों के अनुसार, साथ ही श्रमिक वर्ग एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई की एकता स्थापित करता है. विभिन्न देशों में जनता की दैनिक जरूरतों की ओर से संघर्ष के लिए साम्राज्यवादी युद्ध के खिलाफ एक संघर्ष है. यदि प्रत्येक देश में श्रमिक वर्ग अपने संयुक्त मोर्चा के साधन के माध्यम से उकसाने के चौविनवादी अभियानों का मुकाबला करता है और जनता को दिखाता है कि युद्ध के जिम्मेदार लोगों को अपने देश में ही मिलना है, तो यह सही ढंग से उस महान अंतरराष्ट्रीय एकता को प्राप्त करता है जो कि है क्रिया की अंतरराष्ट्रीय एकता का विकास. प्रत्येक देश में मजदूर वर्ग का संघर्ष, नीचे से अपने संयुक्त मोर्चा के माध्यम से आयोजित, सोवियत संघ की शांति नीति के समर्थन के लिए, उस अंतरराष्ट्रीयवाद अवतार का गठन करता है जो इस तथ्य को व्यक्त करता है कि पूंजीपति देशों के श्रमिक वर्ग के मूल हितों के लिए सोवियत संघ के लोगों के साथ संयोग. इस प्रकार नीचे से एक संयुक्त मोर्चा का निर्माण ही श्रमिक वर्ग की अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त कार्रवाई में पहुंचने का एकमात्र तरीका है, जो अकेले साम्राज्यवादी युद्ध से बाहर निकलने का एक प्रोलेटेरियन रास्ता प्रदान करेगा.
– एफ. फोरनबर्ग, ′′ वर्किंग क्लास यूनिटी का सवाल “, कम्युनिस्ट इंटरनेशनल, अक्टूबर 1940
‘यह होकर रहेगा’ – ये उस विश्वविख्यात पुस्तक ‘माँ’ की पंक्तियाँ है. इस पुस्तक के बारे में कभी लेनिन ने कहा था कि ‘यह मजदूरों के लिए एक जरूरी किताब है.’ यह किताब 1905 में रूसी क्रांति के विफल होने के बाद 1906 में लिखी गयी थी. मेक्सिम गोर्की की यह एक कालजयी रचना है. इस उपन्यास के नायक पावेल व्लासेव के द्वारा अदालत में दिया गया बयान गोर्की के उद्देश्य को दिखाता है. पावेल कहता है –
हम क्रान्तिकारी हैं और उस समय तक क्रान्तिकारी रहेंगे जब तक इस दुनिया में यह हालत रहेगी कि कुछ लोग सिर्फ हुक़्म देते हैं और कुछ लोग सिर्फ़ काम करते हैं. हम उस समाज के ख़िलाफ हैं जिनके हितों की रक्षा करने की आप जज लोगों को आज्ञा दी गयी है. हम उसके कट्टर दुश्मन हैं और आपके भी और जब तक इस लड़ाई में हमारी जीत न हो जाय, हमारी और आपकी कोई सुलह मुमकिन नहीं है.
और हम मजदूरों की जीत यकीनी है ! आपके मालिक उतने ताकतवर नहीं हैं जितना कि वे अपने आपको समझते हैं. यही सम्पत्ति जिसे बटोरने और जिसकी रक्षा करने के लिए वे अपने एक इशारे पर लाखों लोगों की जान कुर्बान कर देते हैं, वही शक्ति जिसकी बदौलत वे हमारे ऊपर शासन करते हैं, उनके बीच आपसी झगड़ों का कारण बन जाती है और उन्हें शारीरिक तथा नैतिक रूप से नष्ट कर देती हैं. सम्पत्ति की रक्षा करने के लिए उन्हें बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ती है. असल बात तो यह है कि आप सब लोग, जो हमारे मालिक बनते हैं हमसे ज़्यादा गुलाम हैं. हमारा तो सिर्फ़ शरीर गुलाम है, लेकिन आपकी आत्मायें गुलाम हैं.
आपके कंधे पर आपकी आदतों और पूर्व–धारणाओं का जो जुआ रखा है, उसे आप उतारकर फेंक नहीं सकते लेकिन हमारी आत्मा पर कोई बंधन नहीं है. आप हमें जो जहर पिलाते रहते हैं, वह उन जहरमार दवाओं से कहीं कमजोर होता है जो आप हमारे दिमागों में अपनी मर्जी के ख़िलाफ उँड़ेलते रहते हैं. हमारी चेतना दिन–ब–दिन बढ़ती जा रही है और सबसे अच्छे लोग, वे सभी लोग जिनकी आत्मायें शुद्ध हैं हमारी और खिंचकर आ रहे हैं, इनमें आपके वर्ग के लोग भी हैं.
आप ही देखिये-आपके पास कोई ऐसा आदमी नहीं है जो आपके वर्ग के सिद्धान्तों की रक्षा कर सके; आपके वे सब तर्क खोखले हो चुके हैं जो आपको इतिहास के न्याय के घातक प्रहार से बचा सकें, आपमें नये विचारों को जन्म देने की क्षमता नहीं रह गयी है, आपकी आत्मायें निर्जन हो चुकी हैं. हमारे विचार बढ़ रहे हैं, अधिक शक्तिशाली होते जा रहे हैं, वे जन–साधारण में प्रेरणा फूँक रहे हैं और उन्हें स्वतंत्रता के संग्राम के लिए संगठित कर रहे हैं. यह जानकर कि मजदूर वर्ग की भूमिका कितनी महान है, सारी दुनिया के मजदूर एक महान शक्ति के रूप में संगठित हो रहे हैं-नया जीवन लाने की जो प्रक्रिया चल रही है, उसके मुकाबले में आपके पास क्रूरता और बेहयाई के अलावा और कुछ नहीं है.
परन्तु आपकी बेहयाई भोंडी है और आपकी क्रूरता से हमारा क्रोध और बढ़ता है. जो हाथ आज हमारा गला घोंटने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं, वही कल साथियों की तरह हमारे हाथ थाम लेने को आगे बढ़ेंगे. आपकी शक्ति धन बढ़ाते रहने की मशीनी शक्ति है, उसने आपको ऐेसे दलों में बाँट दिया है जो एक–दूसरे को खा जाना चाहते हैं. हमारी शक्ति सारी मेहनतक़श जनता की एकता की निरन्तर बढ़ती हुई चेतना की जीवन–शक्ति में है. आप लोग जो कुछ करते हैं, वह पापियों का काम है, क्योंकि वह लोगों को गुलाम बना देता है.
आप लोगों के मिथ्या प्रचार और लोभ ने पिशाचों और राक्षसों की अलग एक दुनिया बना दी है, जिसका काम लोगों को डराना–धमकाना है. हमारा काम जनता को इन पिशाचों से मुक्त कराना है. आप लोगों ने मनुष्य को जीवन से अलग करके नष्ट कर दिया है; समाजवाद आपके हाथों टुकड़े–टुकड़े की गयी दुनिया को जोड़कर एक महान रूप देता है और यह होकर रहेगा.’
और फिर कहते हैं कि यह होकर रहेगा. मेक्सिम गोर्की इसक् अलावे कई किताबें लिखी. असमर्थ युग के समर्थ लेखक के रूप में मक्सीम गोर्की को जितना सम्मान, कीर्ति और प्रसिद्धि मिली, उतनी शायद ही किसी अन्य लेखक को अपने जीवन में मिली होगी. वे क्रांतिदृष्टा और युगदृष्टा साहित्यकार थे. जन्म के समय अपनी पहली चीख़ के बारे में स्वयं गोर्की ने लिखा है- ‘मुझे पूरा यकीन है कि वह घृणा और विरोध की चीख़ रही होगी.’
मेक्सिम गोर्की का जन्म 28 मार्च, 1868 को हुआ था. उनके जन्मदिन पर गोर्की को क्रांतिकारी अभिनंदन !
- सुनील कुमार सिंह
[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]