गिरीश मालवीय
देश आज मेडिकल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है. सैकड़ो-हजारों मौते मोदी सरकार की बदइंतजामी से हो चुकी है. इन मौतों की पूरी जिम्मेदारी मोदी की ही बनती है. दो दिन पहले मोदी सरकार ने एक बड़ा झूठ फैलाने की कोशिश की. इसके अंतर्गत कहा गया कि मोदी सरकार ने देश की तमाम राज्य सरकारों को प्रधानमंत्री केयर निधि से फंड आवंटित किया, लेकिन राज्य आवश्यक ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने में विफल रहे.
मोदी सरकार के इस झूठ की विस्तार से पोल खोलना बहुत जरूरी है. दरअसल जनवरी 2021 में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति में ही यह बताया गया है कि जो फंड मोदी सरकार ने दिया वो सीधा राज्यों को नही दिया गया है.
दरअसल 162 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए मोदी सरकार ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंडर आने वाली इंडिपेंडेंट बॉडी – सेंट्रल मेडिकल सर्विस सोसायटी (CMSS) को नोडल एजेंसी बनाया था. यह एजेंसी ही देश भर के सरकारी हस्पतालों मे नियमित संचालन की, रखरखाव की और बड़ी खरीदी की जिम्मेदारी लेती है. प्रधानमंत्री केयर्स फंड का यह सारा पैसा CMSS को ही मिला है. कहीं पर भी हमे यह उल्लेख नहीं मिला कि यह धनराशि सीधे राज्यों को दी गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले पर हुई सुनवाई के दौरान भी यही तथ्य सामने आया है.
जब आप CMSS की वेबसाइट पर जाएंगे तो आप आप पाएंगे कि यह पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित होती है. CMSS के डीजी और सीईओ भारत सरकार के संयुक्त सचिव के पद के बराबर सीपीए का पूर्णकालिक कर्मचारी हैं. जब हम CMSS की साईट पर गए तो पता चला कि 21 अक्टूबर, 2020 को इसने देश के 150 जिला अस्पतालों में 162 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट लगाने के वास्ते निविदा आमंत्रित की है. इस वास्ते 201 करोड़ 58 लाख रुपये ख़र्च की बात की गयी थी.
यानी कि साफ है कि सारी जिम्मेदारी मोदी सरकार की एजेंसी CMSS की ही है. राज्यों की जिम्मेदारी भूमि उपलब्ध कराने की थी लेकिन वो भी सभी मे नही. दिल्ली की ही बात करे तो वहां भी जिन आठ अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाया जाना था, उसमें से तीन केंद्र सरकार के ही हैं. यानी इन अस्पतालों में जमीन भी इन्हीं अस्पतालों या केंद्र सरकार को ही उपलब्ध करानी थी.
अब आप पूछेंगे कि बीते सात महीने में यह ऑक्सीजन प्लांट कहां-कहां लगे और नहीं लगा पाए तो उसकी वजह क्या है ? तो आप जान लीजिए कि 18 अप्रैल, 2021 तक, पूरे देश में 162 स्वीकृत ऑक्सीजन संयंत्रों में से केवल 33 स्थापित किए गए हैं.
अब इस बात पर आते हैं कि नही लग पाने की क्या वज़ह रही ‘द प्रिंट’ की इस बारे में जो रिपोर्ट उपलब्ध है वह बताती है कि यह दिसंबर, 2020 में CMSS ने वेंडर्स को PSA ऑक्सीजन प्लांट बनाने का फाइनल ऑर्डर दिया लेकिन जब वेंडर ये ऑक्सीजन प्लांट लगाने पहुंचे तो उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा. कई जगहों पर कहा गया कि प्लांट लगाने के लिए जगह नहीं है. हालांकि रिपोर्ट में एक इंडस्ट्री सोर्स ने बताया कि इसका कारण कुछ लोगों का निहित स्वार्थ है. क्योंकि उन लोगों को साइट पर ऑक्सीजन पैदा करने के बजाय ऑक्सीजन खरीदने से ज्यादा मुनाफा हो रहा था.
और एक बात हमारे मित्र सुनील सिंह बघेल ने जो दैनिक भास्कर इंदौर में रिपोर्टर हैं उन्होंने बताई कि इसमे कमीशन बाजी का भी खेल है. उनका मानना है कि CMSS के वेंडर्स की अपेक्षा राज्यों के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों को सिर्फ पाइपलाइन और इलेक्ट्रिक, सिविल वर्क का काम सौंपा गया, जोकि औसतन एक से दो करोड़ के प्लांट के आगे बहुत छोटा काम था. जाहिर है राज्य के अधिकारियों के पास एडजस्टमेंट का स्कोप भी लगभग ना के बराबर. नतीजा यह निकला कि राज्य सरकारों ने ज्यादा रुचि ही नहीं ली.
वे कहते हैं कि ऊपरी तौर से आपको इसमें किसी भ्रष्टाचार की बू नजर नहीं आएगी लेकिन ‘अपराधशास्त्र’ के नजरिए से देखेंगे तो साफ समझ में आएगा की अफसरों का तथाकथित आर्थिक हित आम जनता की सांसो पर भारी पड़ गया.
अब एक बात और. जब तक यह CMSS वाली बात पब्लिक डोमेन में नही आई थी, तब तक बीजेपी, गैर बीजेपी सरकारो पर खूब आक्रामक मुद्रा में आ गयी थी. दो दिन पहले दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने अरविंद केजरीवाल पर लानत बरसाते हुए कहा था कि ‘मुख्यमंत्री होने के नाते अरविंद केजरीवाल पर तो हत्या का और आपराधिक लापरवाही का मुकदमा चलना चाहिए’.
अब यह बात खुलकर सामने आ गयी है कि देश भर में 129 ऑक्सीजन प्लांट जो चालू नही हो पाए हैं, उसमें गलती दरअसल मोदी सरकार की है तो दिल्ली के भाजपा अध्यक्ष देश को फिर से बताए कि आपराधिक लापरवाही और हत्या का मुकदमा किस पर चलना चाहिए ?
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