गिरीश मालवीय
मोदी सरकार एक ऐसा फैसला ले रही है जो एक साल में आपकी और हमारी प्राइवेसी को पूरी तरह से ख़त्म कर देगा. न्यू वर्ल्ड आर्डर में आपका स्वागत है. BIG BROTHER IS WATCHING YOU…केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जी ने कल संसद में एक नयी घोषणा की है जो अगले एक साल में हकीकत बन जाएगी. बहुत से लोगो को यह बात बहुत पसंद आएगी क्योकि इससे जुड़े खतरों से अभी वह बिल्कुल अनजान है.
नितिन गडकरी ने कहा है कि अगले एक साल में मौजूदा टोल कलेक्शन की व्यवस्था को खत्म करके ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) के जरिए टोल टैक्स वसूला जाएगा. इसके तहत वाहन जितने किलोमीटर तक हाईवे का प्रयोग करेगा, उतने किलोमीटर के लिए ही टोल टैक्स की वसूली की जाएगी
यानी देश मे हाइवे पर टोल बूथ खत्म कर दिए जाएंगे और जीपीएस के जरिए आपकी गाड़ियों के हाईवे पर चलने का रिकॉर्ड रखा जाएगा और आपसे टोल वसूला जाएगा. सरकार ने इसी साल फ़ास्ट टैग की व्यवस्था को पूरी तरह से लागू कर दिया है.
क्या आप जानते है कि फ़ास्ट टैग लगाना सभी गाड़ियों के लिए कम्पल्सरी कर दिया गया है ? चाहे आपका चार पहिया वाहन सालो तक शहर के बाहर हाइवे पर न जाए तो भी आपको अपने वाहन पर फास्ट टैग लगाना जरूरी है. केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के अनुसार, 1 दिसंबर, 2017 से पहले बेचे गए चार पहिया वाहनों के पंजीकरण के लिए FASTag अनिवार्य होगा.
यानी एक तरह से भूमिका बना दी गई है, पूरी तैयारी है.
3 नए सिस्टम में एक ओर खासियत डाली गई है. इसे जीपीएस के साथ ही साथ गाड़ियों के मालिकों के बैंक अकाउंट से भी जोड़ा जाएगा. इससे सड़क के इस्तेमाल से हिसाब से अपने आप बैंक से पैसे कट जाएंगे. फास्टैग की तरह पहले से रिचार्ज कराने का झंझट नहीं रहेगा.
केंद्रीय मंत्री गडकरी के अनुसार सभी नई गाड़ियों में जीपीएस लगाना पहले ही अनिवार्य किया जा चुका है. पुरानी गाड़ियों में जीपीएस लगाने के मामले में फास्टैग की तरह नई व्यवस्था की जाएगी. टोल टैक्स कलेक्शन के नए सिस्टम के लिए सरकार की ओर से पुराने वाहनों में मुफ्त GPS लगवाया जाएगा. नए सिस्टम में टोल टैक्स की वसूली फास्टैग के जरिए होगी.
यदि कोई वाहन चालक एक पॉइंट से हाईवे पर चढ़ने के बाद 35 किलोमीटर की यात्रा करके हाईवे छोड़ता है तो उससे केवल 35 किलोमीटर के लिए ही टोल टैक्स वसूला जाएगा. मौजूदा व्यवस्था में प्रत्येक 60 किलोमीटर पर टोल टोल प्लाजा स्थित है और वाहन चालकों को कम से कम 60 किलोमीटर के लिए टोल टैक्स देना पड़ता है.
आप कहेंगें कि इसमें तो हमे काफी बचत होगी लेकिन यह बचत किस कीमत पर होगी यह भी जान लीजिए ! एक बात बताईये क्या सरकार इतनी भोली है कि GPS का इस्तेमाल सिर्फ हाइवे पर ही करेगी ? गाड़ियों में GPS तकनीक के जरिए में जो जो भी किया जा सकता है, वो आप सोच भी नही सकते.
सरकार आपकी कार / चार पहिया वाहन में GPS Tracker डिवाइस लगाएगी, जिसमें सिम लगी होगी. इसे पावर व्हीकल की बैटरी से मिलेगा. इसमें 4G, 3G और 2G सभी सिम लग सकती हैं. यह ट्रैकर वीक नेटवर्क सिग्नल पर भी काम करता है. यह डिवाइस लंबे समय तक खराब नहीं होने वाले हार्डवेयर के साथ आती है. कई ट्रैकर डिवाइस ऐसे भी होते हैं जिसमें एम2एम (मशीन-टू-मशीन) सिम पहले से ही दी गई होती है.
इस नई जीपीएस तकनीक के जरिए सरकार बहुत कुछ कर सकती है जो लोग ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े वो यह बात समझते हैं. कार से आप कहा जा रहे हैं, कहा रुक रहे हैं, आपका डेली रूटीन क्या है, सब पता होगा.
यह बहुत खतरनाक साबित हो सकता है जैसे मान लीजिए, आप सरकार के खिलाफ कोई आंदोलन कर रहे हैं और एक शाम को आपकी गाड़ी माँस बेचने वाले की दुकान पर रुकती है तो उन्हें बस गौरक्षकों को ईशारा ही करना है. बीच रोड पर आपकी लिंचिंग हो सकती है
सिर्फ इतना ही नहीं आप कार में बैठे किससे क्या बात कर रहे हैं, यह भी सरकार सुन सकती है. तकनीक के द्वारा यह भी सम्भव है कि कंट्रोल रूम से आप जहां है वही आपकी कार के इंजन को सेटेलाइट के जरिए बन्द कर दिया जाए और कार को लॉक कर दिया जाए. जब तक पुलिस नही आती आप अपनी कार में ही लॉक रहे.
यह तो बस झलकियां है. इस तकनीक से ओर क्या क्या हो सकता है आप सोच भी नही सकते. भले ही यह एक साल में न हो पर यकीन मानिए 2024 तक पूरा देश एक सर्विलांस स्टेट में बदल जाएगा और लोग बेवकूफों की तरह अपनी सुरक्षा के तर्क पर इसे स्वीकार भी कर लेंगे.
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